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पाकिस्तानी अत्याचारों को न भूले बंगलादेश

धर्म के आधार पर भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने बंगलादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान) पर…

11:10 AM Apr 19, 2025 IST | Aditya Chopra

धर्म के आधार पर भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने बंगलादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान) पर…

धर्म के आधार पर भारत से अलग हुए पाकिस्तान ने बंगलादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान) पर बेतहाशा जुल्म ढहाए। कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो के शासन ने नरसंहार, बलात्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में सभी हदें पार कर दी थीं। जब पाकिस्तान के अत्याचारों से परेशान होकर पूर्वी पाकिस्तान के लाखों लोग भारत आने लगे तब भारत ने ही पूर्वी पाकिस्तान की मदद करते हुए बंगलादेश मुक्ति संग्राम में सहायता की। भारत को पाकिस्तान से 1971 में 13 दिन युद्ध भी लड़ना पड़ा। भारतीय सेना ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में युद्ध लड़ा। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर युद्ध लड़ते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों से हथियार डलवा​ लिए थे। 16 दिसम्बर, 1971 को दुनिया के मान​चित्र पर एक नए देश बंगलादेश का उदय हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने पूरी दुनिया को यह ​िदखा दिया कि मानवता की रक्षा और अपनी सुरक्षा के लिए वह पूरी तरह से सक्षम और समर्थ है। शेख मुजीबुर्रहमान बंगलादेश की आवाज बने और आजाद बंगलादेश के पहले राष्ट्रपत बने तथा बाद में प्रधानमंत्री भी चुने गए।

मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा 30 लाख बंगलादेशियों का नरसंहार किया गया। लाखों महिलाओं से बलात्कार किया गया। बंगलादेश अभी भी पाकिस्तान के अत्याचारों को भूल नहीं पाया है। पाकिस्तान भले ही भूूल जाए लेकिन बंगलादेश के आवाम के जख्म अभी भी हरे हैं। बंगलादेश में हाल ही में हुए शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बंगलादेश का सियासी परिदृश्य काफी बदला हुआ नजर आ रहा है। वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का झुकाव चीन और पाकिस्तान की तरफ है। पाकिस्तान भी इन दिनों अपने आका चीन के कहने पर बंगलादेश से दोस्ती बढ़ाने की हर सम्भव कोशिश कर रहा है। तख्तापलट के बाद जिस तरह से बंगलादेश में ​िहन्दुओं और उनके धर्म स्थलों को निशाना बनाया गया उससे यह स्पष्ट है कि बंगलादेश में एक बार फिर कट्टरपंथी ताकतों का दबदबा कायम हो चुका है। बंगलादेश की आर्थिक हालत बहुत कमजोर हो चुकी है और मोहम्मद यूनुस स्थितियों को सम्भालने में विफल सिद्ध हो रहे हैं। अब यह कहा जा रहा है कि बंगलादेश पाकिस्तान के ​िफर करीब आ रहा है।

बंगलादेश और पाकिस्तान के बीच 15 वर्ष बाद विदेश सचिव स्तर की बैठक हुई। पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलोच और बंगलादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीमउद्दीन ने बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में बंगलादेश ने पाकिस्तान को आंखें दिखाई। बंगलादेश ने पाकिस्तान से 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा बंगालियों के खिलाफ किए गए अत्याचारों के लिए माफी मांगने को कहा है। इतना ही नहीं बंगलादेश ने पाकिस्तान की परिसम्पत्तियों में अपना ​िहस्सा मांगते हुए बंगलादेश को बकाया 4.5 अरब डॉलर का मुआवजा देने को कहा है।

4.5 अरब डॉलर के मुआवजे में इसमें अविभाजित पाकिस्तान की 1971 से पहले की परिसंपत्तियों में से उसका हिस्सा जिसमेंं सहायता राशि, भविष्य निधि और बचत साधन शामिल हैं। बंगलादेश और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की बैठक में बंगलादेश ने कई पुराने और संवेदनशील मुद्दे उठाए। ऑपरेशन सर्चलाइट का भी जिक्र था जिसमें, पाकिस्तानी सेना ने अनुमानित 30 लाख बंगालियों को मार डाला और दस लाख से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार किया। पाकिस्तान के साथ खूनी युद्ध के बाद 1971 में बंगलादेश को स्वतंत्रता मिली। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने 1970 के भोला चक्रवात के बाद बंगलादेश को विदेशी सहायता में 200 मिलियन डॉलर का अपना हिस्सा आवंटित नहीं किया। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 1970 का चक्रवात भोला दुनिया का सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था, जिसने वर्तमान बंगलादेश में पांच लाख लोगों की जान ले ली थी।

बंगलादेश ने अनसुलझे मुद्दों को उठाया है। यद्यपि बंगलादेश और पाकिस्तान की करीबियां बढ़ें। भले ही बंगलादेश का इरादा पाकिस्तान के साथ सम्मान और आपसी लाभ के आधार पर जुड़ने का हो लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेहद खराब इतिहास की वजह से इस्लामाबाद और ढाका के बीच बेहतर संबंध सम्भव नहीं हैं। बंगलादेश की मांगों पर पाकिस्तान सरकार ने चुप्पी साध रखी है लेकिन अनसुलझे मुद्दों को सुलझाया जाना भी जरूरी है। बंगलादेश अब भारत को भी आंखें दिखा रहा है, जिसका नक्सान उसे झेलना ही पड़ रहा है। उसे संतुलन बनाकर चलना भी दूभर हो रहा है। भारत द्वारा बंगलादेश को उसके निर्यात किए जा रहे समान के ​िलए दी गई ट्रांसशिपमैंट सुविधा बंद किए जाने से बंगलादेश को काफी नुक्सान पहुंचा है और वह निर्यात के ​लिए नए मार्ग तलाश रहा है। बंगलादेश को भारत के अहसानों को भूलना नहीं चाहिए। क्योंकि बंगलादेश की आजादी की लड़ाई में भारत की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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