बंगलादेश को झटके पर झटका
बंगलादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने…
बंगलादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनूस अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने पर लगे हुए हैं। मोहम्मद युनूस पूरी तरह से चीन और पाकिस्तान की गोद में बैठे हुए हैं। भारत लगातार बंगलादेश को झटके दे रहा है। उससे बंगलादेश को नुक्सान होना तय है। केन्द्र सरकार ने अब बंगलादेश से आने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब रेडीमेट गारमेंट्स, प्रोसैस्ड फूड, प्लास्टिक उत्पाद, लकड़ी के फर्नीचर और डाई जैसे उत्पादों का आयात भारत के हर बार्डर या पोर्ट से नहीं हो सकेगा। रेडीमेट गारमेंट्स अब केवल न्हावा शेवा (मुंबई) और कोलकाता सीपोर्ट के माध्यम से ही भारत में आ सकेगा। वहीं, बेक्ड गुड्स, स्नैक्स, फल-सब्जियों से बने ड्रिंक्स, कॉटन यार्न वेस्ट, पीवीसी और डाई जैसे सामानों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, और पश्चिम बंगाल के चांगराबंधा और फूलबाड़ी बॉर्डर प्वाइंट्स को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यह निर्णय बंगलादेश द्वारा भारतीय निर्यात पर भूमि मार्ग के जरिए लगाए गए प्रतिबंधों और अधिक ट्रांजिट शुल्क के जवाब में लिया गया है जो द्विपक्षीय समझौतों की भावना के विरुद्ध है। सूत्रों का कहना है कि बंगलादेश को पूर्वोत्तर भारत के बाजार में मुक्त प्रवेश मिला हुआ है जिससे स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। इससे अस्वस्थ निर्भरता बनती है और पूर्वोत्तर राज्यों का औद्योगिक विकास रुक जाता है।
इससे पहले भारत ने 9 अप्रैल को बंगलादेश को दी गई ट्रांसिट सुविधा वापिस ले ली थी जिसके तहत बंगलादेश दिल्ली एयरपोर्ट समेत अन्य भारतीय पोर्ट्स से मिडिल ईस्ट और यूरोप के लिए निर्यात करता था। यह सुविधा केवल नेपाल और भूटान तक सीमित कर दी गई थी। भारत के इस कदम से बंगलादेश निर्यात बुरी तरह से प्रभावित होगा और उसे दुनियाभर में समान भेजने में दूरी, ऊंची लागत और अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा। भारत ने बंगलादेश को कई सुविधाएं दी हुई थी और ट्रांस-शिपमेंट के जरिए बंगलादेश को व्यवस्थित रास्ते दिए हुए थे। भारत ने बंगलादेश के विरुद्ध यह कदम मनमाने तरीके से नहीं उठाए बल्कि इस स्थिति के लिए बंगलादेश स्वयं जिम्मेदार है। शेख हसीना की सरकार अपदस्थ किए जाने के बाद बंगलादेश लगातार भारतीय हितों को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास कर रहा था। बंगलादेश के भारत विरोधी रवैये के चलते आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए पिछले एक दशक से चल रही कोशिशों पर मोहम्मद युनूस ने पानी फेर दिया है। दरअसल युनूस सरकार भारत विरोधी भावनाओं के तख्तापलट के बाद हिन्दुओं के धार्मिक स्थल तोड़े गए। उससे दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट धुल चुकी थी। बंगलादेश पाकिस्तान के अत्याचारों को भूल और भारत द्वारा किए गए उपकार को भूलकर कट्टरपंथियों के हाथों में पहुंच चुका है। भारत सरकार द्वारा यह कदम अचानक नहीं लिया गया है। हाल ही में बंगलादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने चीन में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य “लैंडलॉक्ड” हैं और उनकी समुद्र तक पहुंच केवल बंगलादेश के जरिए ही संभव है। उन्होंने खुद को “भारतीय महासागर का गार्जियन” बताते हुए चीन को बंगलादेश के माध्यम से ग्लोबल शिपमेंट भेजने का न्यौता भी दिया था। यह बयान भारत को बेहद आपत्तिजनक लगा और इसका असर इस फैसले में स्पष्ट रूप से दिखा।
मोहम्मद युनूस की इस हरकत के पीछे चीन की ही चाल नजर आ रही है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों अरुणाचल, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्कम और त्रिपुरा को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाला कॉरिडोर मुर्गे की गर्दन जैसा नजर आता है इसलिए इसे चिकन नैक कहा जाता है। इसकी लंबाई 60 किलोमीटर है और चौड़ाई कुछ जगह पर केवल 22 किलोमीटर है। चीन किसी न किसी तरह से पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत से तोड़ देना चाहता है। चीन तो अरुणाचल पर भी अपना दावा जताता है और चिकन नैक का गलियारा उसे कमजोर कड़ी लगता है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाक को सबक सिखाया तो चीन पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा नजर आया। लगातार तीसरे साल चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल के कई स्थानों का नाम बदल दिया। भारत ने पहले की तरह चीन के बेतुके निराधार दावों को खारिज कर दिया।
जटिल स्थितियों में भारत ने बंगलादेश पर आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला लिया। बंगलादेश का रेडीमेट गारमेंट्स उद्योग उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। हालांकि बंगलादेश की इंडस्ट्री का साइज भारत के मुकाबले काफी छोटा है लेकिन निर्यात 45 अरब डालर का है। राजनीतिक उथल-पुथल के चलते उसके रेडीमेट गारमेंट्स के उद्योग को काफी नुक्सान पहुंचा है। भारत द्वारा उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाने से उसका निर्यात प्रभावित होगा। पहले से ही कंगाल हो चुके बंगलादेश को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा। चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत ने चिकन नैक कॉरिडोर और उसके आसपास मजबूत रेलवे और सड़क नेटवर्क विकसित करने की परियोजना शुरू कर दी है। बंगलादेश ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं। लोकतंत्र के रूप में भारत स्वाभाविक रूप से लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं के कमजोर होने से चिंतित है। भारत बंगलादेश में स्वतंत्र निष्पक्ष चुनावों का ही समर्थन करता है। देखना होगा कि दोनों देशों के संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।