दुष्चक्र में फंसा बंगलादेश!
शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ने के बाद बंगलादेश में जो हालात बन चुके…
शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ने के बाद बंगलादेश में जो हालात बन चुके हैं उससे वहां की जनता काफी त्रस्त है। युवा पीढ़ी हताश और मायूस है। पिछले साल लोकतंत्र की बहाली के लिए सड़कों पर उतरे छात्रों के सारे सपने अब धूमिल होते जा रहे हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता और मौजूदा अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने लोगों की उम्मीदों को खंड-खंड कर दिया है। चारों तरफ अराजकता का वातावरण है। हालात यह है कि मोहम्मद यूनुस की निष्पक्षता पर उन्हीं की पार्टी ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं जिसकी मदद से वे पिछले अगस्त में अंतरिम प्रधानमंत्री बने थे। बंगलादेश में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा है कि अगर अंतरिम सरकार तटस्थ नहीं रह सकती तो चुनाव के समय दूसरी तटस्थ सरकार की जरूरत पड़ सकती है। अस्थिरता की शिकार बंगलादेश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर चल रहा है। राजस्व संग्रह हो नहीं रहा। महंगाई आसमान को छू रही है और देश की एक तिहाई श्रम शक्ति बेरोजगार हो चुकी है। बेरोजगारों में 87 प्रतिशत हिस्सा िशक्षित युवाओं का है। कुल मिलाकर बंगलादेश विफल राष्ट्र की तरफ बढ़ रहा है।
बंगलादेश का समूचा घटनाक्रम इस बात का प्रमाण है िक अगस्त की कथित क्रांति के बाद स्थितियों को सम्भालना कोई आसान काम नहीं होता। दुनिया के कई देशों में िनरंकुश शासन व्यवस्था के िखलाफ क्रांतियां होती रही हैं लेकिन क्रांतियों के बाद व्यवस्था को नए सिरे से उभारना आसान नहीं रहा। ऐसा लगता है कि पूरी की पूरी शासन व्यवस्था ही चौपट हो चुकी है। एक तरफ जिहादी तत्व अपना वर्चस्व कायम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ समाज में उथल-पुथल मची हुई है। क्रांतियों के बाद राजनीतिक स्थिरता की जरूरत होती है। नीति निर्माताओं, नागरिक, समाज, व्यापारियों, उद्योगपतियों, िशक्षाविदों को एक साथ मिलकर आर्थिक और सामाजिक सुधारों के िलए काम करना होता है लेकिन मोहम्मद यूनुस सरकार शेख हसीना की पूर्ववर्ती सरकार को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर रही। चुनौतियों का मुकाबला करने की बजाय बंगलादेश त्रिकोणीय दुष्चक्र में फंस गया है। विश्व बैंक ने भी बंगलादेश के आर्थिक वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के सांसदों और पदाधिकारियों के ऑफिस, कारखाने आैर घर लूटे और जलाए जा रहे हैं। आवामी लीग के नेतृत्व का एक तिहाई हिस्सा जेल में है। एक तिहाई देश के बाहर भूमिगत हैं और बाकी बंगलादेश में ही छिपे हुए हैं। आवामी लीग के नेताओं की जमानत याचिकाएं खारिज की जा रही हैं। पार्टी का नेतृत्व पूरी तरह से असहाय है। इसके बावजूद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है और पार्टी के पक्ष में अन्तर्राष्ट्रीय जनमत जुटाने के िलए भारत की ओर देख रहे हैं। आवामी लीग के नेता शेख हसीना से सम्पर्क में हैं और देश में कानून का शासन लौटने की इंतजार में हैं। भूमिगत रहते हुए भी बंगलादेश के लगभग सभी जिलों के कार्यकर्ता आपसी सम्पर्क में हैं। भारत में निर्वासन के दौरान भी शेख हसीना व्हाट्सएप के जरिये पार्टी के नेताओं से नियमित तौर से जुड़ी हुई हैं। पार्टी के नेता देश में रहकर कानून का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इंपोर्ट टैरिफ फैसले ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है। खासतौर पर बंगलादेश की गारमेंट इंडस्ट्री इस फैसले से गहरे संकट में है। बंगलादेश बड़ी मात्रा में अमेरिका को कपड़े की सप्लाई करता है। हालांकि, अब जब अमेरिका ने टैरिफ लगाने का फैसला लिया है वो बंगलादेश के लिए आर्थिक नजरिए से बड़ा झटका है। वहीं, इस संकट में भारत के लिए अवसर तलाशने की संभावना भी बनती है। ट्रम्प के ऐलान के अनुसार अमेरिका दूसरे देशों से आने वाले सामनों पर टैरिफ और टैक्स लगाएगा। बंगलादेश की गारमेंट इंडस्ट्री, जो अमेरिका को सबसे बड़ा बाजार मानती है, इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होगी। 2022 में बंगलादेश ने अमेरिका को 11.7 बिलियन डॉलर का गारमेंट एक्सपोर्ट किया था। गारमेंट फैक्टरियों में इस फैसले के बाद से हलचल तेज हो गई है, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
बंगलादेश का व्यापारिक समूह इस बात को लेकर चिंतित है कि खरीदार पहले ही बंगलादेश से दूर जा चुके हैं। इस बात को लेकर अनिश्चितता है िक देश की फैक्टरियां खुल भी जाएं तो क्या वे उत्पादन की मांग को पूरा कर सकती हैं? बाजार इंतजार नहीं करता। एक बार खरीदार देश छोड़ दे तो बाजार बदल जाता है। सबसे बड़ी चिंता इस बात की है िक पिछले 5 महीनों में जो भी हुआ वो गलत ही हुआ। अगस्त 2024 में पुलिस थानों से लूटे गए हजारों हथियारों को बरामद करने की कोई कोिशश नहीं की गई, बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई समुद्र के रास्ते हथियार भेज रही है, जो जिहादी तत्वों के हाथों में पहुंच रहे हैं। मोहम्मद यूनुस के हाथों से बंगलादेश फिसल रहा है और शेख हसीना को हटाने वालों को अब पछतावा हो रहा है।