बंगाल में होती है दो तरह की दुर्गा पूजा, जानें किस तरह से हैं दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल अलग
विश्वभर में प्रसिद्घ कोलकाता की दुर्गा पूजा में परंपरागत सभी काम किए जाते हैं। भले पूजा कैसी क्यों न दिखे लेकिन कोलकाता में दुर्गा पूजा की अपनी अलग विशेषताएं हैं।
06:50 AM Oct 03, 2019 IST | Desk Team
बंगाल में दुर्गा पूजा का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। नवरात्रि के पवन अवसर पर पश्चिम बंगाल कोलकाता में दुर्गा पूजा प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यहां की भव्य दुर्गा पूजा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वैसे तो इस बात में कोई दोराए नहीं है कि कोलकाता अपनी अनोखी व प्रमुख परंपरा के लिए काफी ज्यादा मशहूर है।
Advertisement
यहां पर पूजा के चार दिन सबसे ज्यादा खास और मनमोहक होते हैं। इसी के साथ सभी आपस में मिल जुलकर एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं। विश्वभर में प्रसिद्घ कोलकाता की दुर्गा पूजा में परंपरागत सभी काम किए जाते हैं। भले पूजा कैसी क्यों न दिखे लेकिन कोलकाता में दुर्गा पूजा की अपनी अलग विशेषताएं हैं।
यही वो विशेषताएं हैं जो कोलकाता की दुर्गा पूजा को सबसे ज्यादा अलग बनाती है। एक खास बात आपको और बता दें कि जो दुर्गा पूजा सिर्फ यहां होती है वो एक नहीं बल्कि दो तरह से होती है। जी हां आपको बता दें कि कोलकाता में दुर्गा पूजा दो तरह से मनाई जाती है। पहली पारा और दूसरी बारिर। तो आइए जानते हैं कैसे होती है यह दोनों पूजा…
पारा दुर्गा पूजा
कोलकाता में दो तरह की दुर्गा पूजा मनाई जाती है। जिसमें रस्मों के अलावा सबकुछ अलग होता है। यह अलग तरीके से मनाई जाती है। परंपरा के मुताबिक यह एक होती है पारा दुर्गा पूजा यानि स्थानीय दुर्गा पूजा जो सामान्यत:पंडालों और कम्यूनिची हॉल में होती है। इसका मतलब हुआ रोशनी,डिजाईन्स,थीम बेस्ड और भीड़ का एक भव्य आयोजन होना।
बारिर दुर्गा पूजा
वहीं उत्तरी कोलकाता आर दक्षिण कोलकाता में बारिर परंपरा के मुताबिक दुर्गा पूजा की जाती है। बारिर यानि की घर में पूजा। इस पूजा का एक घरेलू प्रभाव होता है यह घर वापसी की भावना के साथ लोगों को अपनी जड़ों के करीब लाती है। वैसे यह पूजा सामान्यत धनी परिवारों में की जाती है।
Advertisement