एक फोन कॉल बदल गया माहौल! आखिर भागलपुर से अर्जित शाश्वत चौबे क्यों बन गए चर्चा का विषय?
Bhagalpur Election Drama: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे ने भागलपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला आखिरी समय में वापस ले लिया। नामांकन भरने से कुछ ही देर पहले उन्होंने यह कदम अपने पिता की एक सख्त फोन कॉल के बाद उठाया।
Bhagalpur Election Drama: पिता की कॉल ने बदल दिया फैसला
अर्जित शाश्वत पूरी तैयारी के साथ भागलपुर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक और कार्यकर्ता मौजूद थे, और उन्होंने मालाएं पहन रखी थीं। लेकिन जैसे ही वह नामांकन दाखिल करने वाले थे, उनका फोन बजा। फोन पर उनके पिता अश्विनी चौबे थे। उस छोटी-सी बातचीत ने पूरी स्थिति को बदल दिया। बाद में मीडिया से बात करते हुए अर्जित शाश्वत ने बताया कि उनके पिता ने उनसे साफ शब्दों में कहा, "तुम भाजपा में हो और भाजपा में ही रहोगे।" पिता की बात मानते हुए अर्जित ने नामांकन नहीं भरा और कलेक्ट्रेट से लौट आए।

Ashwini Choubey Son Nomination: पार्टी और परिवार का दबाव
अर्जित शाश्वत ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी उनसे संपर्क किया और समझाया कि वह पार्टी के खिलाफ न जाएं। उन्होंने बताया कि उनकी मां ने भी उन्हें समझाया और अंत में वह सबकी बात मानने को तैयार हो गए। उन्होंने कहा, "मैं अपने पिता, मां और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बात नहीं टाल सकता। मैं पार्टी के खिलाफ बगावत नहीं कर सकता।"
BJP Leader Ashwini Choubey News: क्यों उठाया था बगावत का कदम?
दरअसल, अर्जित शाश्वत ने तब नाराजगी जताई थी जब भाजपा ने भागलपुर सीट से एक बार फिर रोहित पांडे को उम्मीदवार बनाया। अर्जित 2020 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस के अजीत शर्मा से करीब 1000 वोटों से हार गए थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार पार्टी उन्हें मौका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। यह वही सीट है, जिसे उनके पिता अश्विनी चौबे ने 1995 से 2010 तक लगातार जीता था।

भागलपुर सीट का राजनीतिक महत्व
भागलपुर, बिहार का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है और यहां कांग्रेस के अजीत शर्मा पिछले तीन बार से जीत दर्ज कर रहे हैं। इस सीट को कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ माना जाता है। ऐसे में भाजपा यहां कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी।
चुनाव की तारीखें और परिणाम
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। ऐसे में अर्जित शाश्वत का चुनाव न लड़ने का फैसला भाजपा के लिए राहतभरा माना जा रहा है।
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