भाखड़ा नहर विवाद: हाईकोर्ट में BBMB की याचिका, पंजाब पर दखलंदाजी का आरोप
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जल विवाद की सुनवाई आज
भाखड़ा नहर जल विवाद में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने पंजाब सरकार पर दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने पुलिस फोर्स की गलत तैनाती का मुद्दा उठाया है और इसे हटाने की मांग की है। मामला पंजाब और हरियाणा के बीच पानी वितरण को लेकर है, जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार किया है।
पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा नहर जल विवाद को लेकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने याचिका दायर कर पंजाब सरकार पर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के काम में दखलंदाजी का आरोप लगाया है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने याचिका में कहा है कि पंजाब सरकार उनके काम में दखलंदाजी कर रही है। पंजाब सरकार ने पुलिस फोर्स को गलत तरीके से तैनात किया है, इसलिए उसे वहां से हटाया जाए। फिलहाल इस मामले में सुनवाई आज ही हो सकती है। हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, ”भाजपा की केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब के पानी को लेकर एक और गंदी चाल चली जा रही है, हम इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।”
Punjab Police की जबरन तैनाती पर BBMB की याचिका
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बयान में कहा था कि हर साल 21 मई से लेकर अगले वर्ष 21 मई तक का पानी वितरण का कोटा निर्धारित होता है। इस अवधि में पंजाब और हरियाणा को उनके हिस्से के अनुसार पानी दिया जाता है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा अपने हिस्से का सारा पानी मार्च महीने में ही इस्तेमाल कर चुका है, जबकि अब अप्रैल और मई के लिए अतिरिक्त पानी की मांग की जा रही है। इससे पहले, पंजाब सरकार के इस फैसले को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री सैनी ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने 26 अप्रैल को भगवंत मान को फोन कर स्थिति से अवगत कराया था और उन्हें बताया था कि बीबीएमबी की तकनीकी समिति ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान को पानी छोड़ने का जो निर्णय 23 अप्रैल को लिया था, उसका क्रियान्वयन पंजाब के अधिकारी टाल रहे हैं।
इस पर मुख्यमंत्री मान ने उन्हें स्पष्ट आश्वासन दिया था कि वे अपने अधिकारियों को तुरंत निर्देश देंगे और अगले दिन तक उस निर्णय को लागू करवा देंगे। हालांकि, सैनी ने आरोप लगाया था कि अगले दिन 27 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक पंजाब की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई और यहां तक कि हरियाणा के अधिकारियों के फोन कॉल्स का भी जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें मजबूरन मुख्यमंत्री मान को एक औपचारिक पत्र लिखकर इन तथ्यों से अवगत कराना पड़ा।