भारतवंशी कमला और तुलसी
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2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारतवंशी कमला हैरिस ने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अमेरिकी सदन में पहली हिन्दू सांसद तुलसी गेबार्ड भी चुनावों में अपनी दावेदारी ठोक सकती हैं। फिलहाल कैलिफोर्निया की पूर्व अटार्नी जनरल और भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर कमला हैरिस ने चुनाव में अपनी उम्मीदवारी की दावेदारी की बढ़त ले ली है। वह डैमोक्रेटिक पार्टी के सम्भावित उम्मीदवारों में से हैं। 54 वर्षीय कमला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निन्दा करने में आगे रही हैं। कमला हैरिस तमिलनाडु में जन्मी श्यामला गोपालन की बेटी हैं जो एक ब्रेस्ट कैंसर विशेषज्ञ थीं और 1960 में चेन्नई से अमेरिका गई थीं और उसने जमैका के डोनाल्ड हैरिस से विवाह रचाया था। कमला अपने दादा पी.वी. गोपालन की देखरेख में ही पली और बड़ी हुईं। बचपन से ही कमला को उसकी मां मन्दिरों में ले जाती थीं इसलिए उसे हिन्दू धर्म, संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान है। कमला हैरिस अपनी बहन के साथ चर्च भी जाती रही हैं।
राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा के लिए उन्होंने मार्टिन लूथर किंग जूनियर डे को चुना जिन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा ली थी। वह सीनेट में पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली इकलौती महिला सांसद हैं। पिछले वर्ष नवम्बर में कराए गए डैमोक्रेट मतदाताओं के पोल में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप से मुकाबले के लिए उन्हें पांचवीं पसंदीदा नामांकित प्रत्याशी माना गया था। कमला हैरिस ने घोषणा करने के बाद 24 घण्टे के भीतर 15 लाख डॉलर की धनराशि भी जुटा ली है, जिसे वह अपने चुनाव प्रचार पर खर्च करेंगी। कमला हैरिस ने हमेशा से ही नागरिक अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलन्द की है।
वह अफ्रीका और भारत दोनों देशों में अपने रिश्तेदारों से मिलने जाती रही हैं। राजनीति में वह इसलिए आईं ताकि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ सकें। कमला हैरिस को फीमेल ओबामा भी कहा जाता है। ओबामा शासनकाल के दौरान कमला फीमेल ओबामा के नाम से लोकप्रिय हुईं क्योंकि वह ओबामा की बेहद करीबी रह चुकी हैं। 2016 के सीनेट चुनाव अभियान में ओबामा ने कमला का समर्थन किया था। वह 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपने चुनाव अभियान की थीम रखी है ‘कमला हैरिस फॉर दी पीपल।’ दूसरी ओर भारतीय मूल की तुलसी गेबार्ड भी राष्ट्रपति पद की दावेदारी करने के बारे में सोच रही हैं। तुलसी हवाई से अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में चार बार की डैमोक्रेट सांसद रह चुकी हैं।
तुलसी गेबार्ड ने बचपन में ही हिन्दू धर्म अपना लिया था जबकि उसके माता-पिता ईसाई हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं जिन्होंने भागवत गीता हाथ में पकड़कर शपथ ली थी। उसने अमेरिका के भारतवंशियों से एक हिन्दू व्यक्ति के देश के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की सम्भावना पर राय मांगी थी। जाने-माने प्रतिष्ठित हिन्दू अमेरिकी नागरिकों ने ईमेल के जरिये देशभर में समुदाय के कुछ शीर्ष सदस्यों से इस पर राय मांगी। अगर वह टिकट हासिल कर लेती हैं तो वह अमेरिका के दो बड़े राजनीतिक दलों डैमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के इस पद की टिकट पाने वाली पहली हिन्दू महिला होंगी। तुलसी ने नरेन्द्र मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं दिए जाने का विरोध किया था। जब नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनकर अमेरिका गए तो तुलसी ने ही उन्हें भागवत गीता भेंट की थी। उसने समलैंगिक विवाह के खिलाफ अभियान भी चलाया था जिस कारण उसकी काफी आलोचना भी हुई थी।
अमेरिका में बसे भारतवंशियों के लिए अपने किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनते देखना गर्व का क्षण है। भारतीय मूल के अप्रवासी कमला हैरिस की घोषणा से काफी उत्साहित भी हैं। कमला हैरिस का राजनीतिक कद तुलसी गेबार्ड से कहीं ऊंचा है। ऐसी स्थिति में तुलसी की राह में कमला हैरिस सबसे बड़ी बाधा बन सकती हैं। अहम बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार हिन्दू महिला चुनाव लड़ेंगी। डोनाल्ड ट्रंप की अप्रवासी नीतियों के चलते लोग उनसे काफी नाराज हैं। उन्हें सनकी करार दिया जा रहा है। अमेरिका में अप्रवासी भारतीयों ने वहां की संस्कृति को आत्मसात करके काफी प्रगति की है और उन्होंने अमेरिका के विकास में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है लेकिन वह ट्रंप की अति संरक्षणवादी नीतियों से अप्रसन्न हैं।
भारतीय मूल की निक्की हेली भी अमेरिकी कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली भारतीय अमेरिकी रही हैं और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि रह चुकी हैं। निक्की हेली भी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने की मंशा रखती हैं। कौन जीतता है, कौन हारत है लेकिन इतना तय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में नया इतिहास रचा जाएगा।