W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

Bhopal Gas Tragedy: 2 दिसंबर की वो काली रात जब हवा में घुला जहर, खत्म हुई हजारों जिंदगियां, आंकड़े जो आज भी रुला दें

03:23 AM Dec 02, 2025 IST | Shera Rajput
bhopal gas tragedy  2 दिसंबर की वो काली रात जब हवा में घुला जहर  खत्म हुई हजारों जिंदगियां  आंकड़े जो आज भी रुला दें
Bhopal Gas Tragedy

Bhopal Gas Tragedy: कल्पना कीजिए—एक ठंडी सर्द रात, जब अचानक हवा में ऐसा ज़हर घुल जाए कि लोग तड़प-तड़पकर जान देने लगें।

Advertisement

2 दिसंबर 1984: वो रात जिसने सब बदल दिया

2 दिसंबर 1984 की वही काली रात आज भी इतिहास के सबसे भयावह पन्नों में दर्ज है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के टैंक-610 से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ। पानी के संपर्क में आने से बना दबाव टैंक को फाड़ गया और जहरीली गैस ने शहर को मौत की चादर में लपेट लिया।

Advertisement

Bhopal Gas Tragedy

मौत का मंजर: आंकड़े जो आज भी रुला दें

इस इंसानी भूल ने पल भर में हजारों जिंदगियां लील लीं—

Advertisement

  • 2,000 से अधिक लोगों की मौत
  • 50,000 से ज्यादा लोग घायल और हमेशा के लिए विकलांग

41 साल बाद भी भोपाल की गलियों में उस मर्मांतक रात के घाव आज भी ताज़ा हैं।

Bhopal Gas Tragedy
Bhopal Gas Tragedy

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस?

इस त्रासदी से सबक लेते हुए भारत ने हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।
इसका उद्देश्य है—

  • औद्योगिक हादसों से सीख लेना
  • पर्यावरण सुरक्षा को प्राथमिकता देना
  • लोगों को प्रदूषण के खतरों से जागरूक करना

1985 में कल्याण आयुक्त कार्यालय, भोपाल गैस रिसाव अधिनियम, और अन्य कानूनी कदम इसी उद्देश्य से उठाए गए।

Bhopal Gas Tragedy

मुआवजा: क्या इंसाफ इतना सस्ता था?

मध्य प्रदेश के रसायन एवं पेट्रो-रसायन विभाग की जानकारी के अनुसार—

  • फरवरी 1989 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन डॉलर (लगभग 3,000 करोड़ रुपए) मुआवजा जमा किया।
  • वास्तविक वितरण नवंबर 1992 में शुरू हुआ।
  • कुल 5,74,394 दावे दर्ज हुए, जिनमें से 5,73,959 दावों को स्वीकृति मिली।
  • 31 जुलाई 2024 तक कुल 1,549.33 करोड़ रुपए बांटे गए।
  • औसतन 27,000 रुपए प्रति क्लेम…

पर क्या ये रकम खोई हुई जिंदगी, टूटा परिवार, या दर्द का न्याय कर सकती है?

शायद कभी नहीं।

Bhopal Gas Tragedy

प्रदूषण: सिर्फ पर्यावरण नहीं, सभ्यता का भी दुश्मन

आज की दुनिया में प्रदूषण का खतरा और भी विकराल हो चुका है—

  • ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं
  • नदियां सूख रही हैं
  • दिल्ली और कई शहरों की हवा जहरीले स्तर पर पहुंच चुकी है
  • ऐसे समय में इस दिवस का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
Bhopal Gas Tragedy

Bhopal Gas Tragedy: दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा

भोपाल आपदा सिर्फ एक शहर की त्रासदी नहीं, बल्कि दुनिया के लिए चेतावनी है।
यह दिवस इस बात पर जोर देता है कि—

  • सुरक्षित उद्योग व्यवस्था
  • स्वच्छ ऊर्जा
  • रिसाइक्लिंग
  • पौधरोपण
  • फैक्ट्री और वाहन उत्सर्जन नियंत्रण

ये सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा के लिए अनिवार्य उपाय हैं।

सबक जो भूलना नहीं चाहिए

Bhopal Gas Tragedy: राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हमें याद दिलाता है कि  लापरवाही की एक चिंगारी पूरी सभ्यता को जला सकती है। अगर हम आज नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियां शायद हमें माफ़ न करें।

Advertisement
Author Image

Shera Rajput

View all posts

Advertisement
Advertisement
×