कौन थे महान स्वतंत्रता सेनानी भूलाभाई देसाई? जिन्होंने अपने वकालत के दम पर हिला दी थी अंग्रेजों की हुकूमत
Bhulabhai Desai Birth Anniversary: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी की अहम भूमिका रही। लेकिन आज कुछ ऐसे क्रांतिकारी जिनका नाम इतिहास के पन्नों में गुम कर दिया गया। ऐसा ही एक नाम है वरिष्ठ वकील और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भूलाभाई देसाई का। भूलाभाई देसाई का जन्म 13 अक्टूबर 1877 को गुजरात के वलसाड शहर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके मामा ने दी।
बाद में उन्होंने वलसाड के अवाबाई स्कूल और बॉम्बे के भरदा हाई स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद 1895 में मैट्रिक की परीक्षा में वे अपने स्कूल में प्रथम स्थान पर आए। किशोरावस्था में ही उनका विवाह इच्छाबेन से हुआ, जिनसे उन्हें एक बेटा धीरुभाई हुआ। दुर्भाग्यवश, 1923 में इच्छाबेन का कैंसर से निधन हो गया।
Bhulabhai Desai Birth Anniversary: शिक्षा और विधि में कदम
मैट्रिक के बाद भूलाभाई जी ने एल्फिन्सटन कॉलेज, मुंबई में अंग्रेजी साहित्य और इतिहास विषयों में स्नातक किया। वे इन विषयों में प्रथम स्थान पर रहे और उन्हें वर्ड्सवर्थ पुरस्कार और छात्रवृत्ति भी मिली। इसके बाद उन्होंने स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी की और गुजरात कॉलेज में अंग्रेजी और इतिहास पढ़ाने लगे। इस दौरान उन्होंने कानून की पढ़ाई भी पूरी की और बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। जल्द ही वे देश के अग्रणी वकीलों में गिने जाने लगे।
BhulaBhai Desai kon the: स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
भूलाभाई देसाई का स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ाव 1928 में हुआ जब उन्होंने बारडोली सत्याग्रह के दौरान किसानों का पक्ष मजबूती से रखा। इस आंदोलन का नेतृत्व सरदार पटेल कर रहे थे, और भूलाभाई जी ने भी किसानों की आवाज को ब्रिटिश सरकार तक पहुंचाया।
Bhulabhai Desai: कांग्रेस में भूमिका
1930 में वे औपचारिक रूप से कांग्रेस से जुड़ गए। उन्होंने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के समर्थन में ‘स्वदेशी सभा’ की स्थापना की, जिसमें 80 से अधिक कपड़ा मिलें शामिल हुईं। इन गतिविधियों के चलते उन्हें 1932 में जेल भेज दिया गया। रिहाई के बाद इलाज के लिए वे यूरोप गए। बाद में सरदार पटेल के अनुरोध पर उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति में शामिल किया गया।
केंद्रीय विधानसभा में नेतृत्व
1934 में वे गुजरात से केंद्रीय विधान सभा के सदस्य बने और कांग्रेस के निर्वाचित प्रतिनिधियों के नेता चुने गए। भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत अधिक अधिकार मिलने पर उन्होंने कांग्रेस की विधानसभाओं में भागीदारी का समर्थन किया।
आजाद हिंद फौज केस
भूलाभाई देसाई जी की सबसे बड़ी पहचान आजाद हिंद फौज के सैनिकों का मुकदमा लड़ने से जुड़ी है। उन्होंने अदालत में पूरे आत्मविश्वास और तर्क के साथ सैनिकों की रक्षा की, जिससे उनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी।
कारावास और अंतिम समय
1940 में उन्होंने केंद्रीय विधानसभा में ब्रिटिश सरकार की नीतियों के खिलाफ जोरदार भाषण दिया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेजा गया। स्वास्थ्य खराब होने के कारण 1941 में वे जेल से रिहा हुए, लेकिन इसके कारण वे ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय नहीं रह सके।
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