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भूटान का तंबाकू प्रतिबंध: स्वास्थ्य और संस्कृति का संगम

भूटान का तंबाकू प्रतिबंध: स्वास्थ्य और संस्कृति का अनूठा संगम

02:45 AM Jun 15, 2025 IST | IANS

भूटान का तंबाकू प्रतिबंध: स्वास्थ्य और संस्कृति का अनूठा संगम

भूटान ने 2010 में तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर स्वास्थ्य और धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धता को दर्शाया। यह कदम 2004 में आंशिक प्रतिबंध से शुरू होकर तंबाकू नियंत्रण अधिनियम के माध्यम से व्यापक रूप से लागू किया गया। हालांकि, तस्करी और काला बाजार जैसी चुनौतियाँ भी सामने आईं, जिसके चलते 2012 में कानूनी संशोधन किए गए।

आज से ठीक 15 साल पहले भूटान ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 15 जून 2010 को खुद को विश्व का पहला ऐसा देश घोषित किया, जिसने तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। हालांकि, भूटान ने 2004 में ही तंबाकू की बिक्री पर आंशिक प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2010 में पारित हुए नए “तंबाकू नियंत्रण अधिनियम” ने इसे एक नए स्तर पर पहुंचा दिया, जिसमें तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर व्यापक रोक शामिल है। भूटान का यह निर्णय अचानक नहीं था, बल्कि यह एक दशक से अधिक समय से चल रहे प्रयासों का परिणाम था। भूटान की नेशनल असेंबली ने 17 दिसंबर 2004 को देश भर में किसी भी प्रकार की तंबाकू बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था, जिससे यह इस तरह का कदम उठाने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया। इसके बाद, फरवरी 2005 तक सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान भी प्रतिबंधित कर दिया गया।

भूटान में तंबाकू पर प्रतिबंध सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता से प्रेरित नहीं था, बल्कि इसकी गहरी जड़ें बौद्ध धर्म में भी थीं, जहां तंबाकू को “पाप” माना गया है। इस प्रकार, यह प्रतिबंध स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था। साल 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘संयुक्त राष्ट्र का धूम्रपान नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ को भूटान द्वारा पुष्टि करने से इस नीति को और भी मजबूती मिली, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रासंगिकता स्थापित हुई। दिसंबर 2004 में बिक्री प्रतिबंध के बाद, 2005 से 2010 तक भूटान ने धीरे-धीरे अपने नियमों को और अधिक मजबूत किया। इस कानून में न केवल तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर रोक लगाई गई, बल्कि सरकार द्वारा तंबाकू छोड़ने की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान भी शामिल किया गया, जो इस पहल की व्यापकता को दर्शाता है।

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हालांकि, इस सख्त प्रतिबंध के कुछ अनपेक्षित परिणाम भी सामने आए। तस्करी में तेजी से वृद्धि हुई, विशेष रूप से भारत से तंबाकू की मांग का एक काला बाजार विकसित हो गया। साल 2010 में सरकार ने सख्त जुर्माना और दंड का प्रावधान किया, जिसमें कुछ साल तक की जेल की सजा भी शामिल थी, लेकिन इसके बावजूद प्रतिबंध के प्रभाव और इससे जुड़े विवाद बने रहे। कुछ विरोधों के बाद 2012 में विभिन्न कानूनी संशोधन हुए। व्यक्तिगत उपभोग के लिए लाई जाने वाली तंबाकू की मात्रा की सीमा तय की गई, और तुलनात्मक रूप से सजाओं को हल्का कर दिया गया, जो सरकार की ओर से जन भावनाओं के प्रति कुछ लचीलेपन को दर्शाता है।

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