Bihar Assembly Elections 2025 : जानिए कब हुआ था पहला चुनाव, कौन बना था पहला मुख्यमंत्री
नैशनल डैस्क : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी तापमान धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। राज्यभर में राजनीतिक पोस्टर, झंडियां और नेताओं की सभाओं ने माहौल को गर्म कर दिया है। अनुमान है कि विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होंगे। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि बिहार में पहला विधानसभा चुनाव कब हुआ था, उस समय राजनीतिक हालात कैसे थे और कौन-कौन सी पार्टियां चुनावी मैदान में थीं।
बिहार का पहला चुनाव: 1952 में हुआ था ऐतिहासिक मतदान
आजादी के बाद बिहार में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था, जो भारत के पहले आम चुनाव (1951-52) का हिस्सा था। उस समय बिहार विधानसभा में 330 सीटें थीं — इनमें 276 एकल सदस्यीय और 50 दो-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र शामिल थे। उस वक्त राज्य में साक्षरता दर सिर्फ 13-14% थी। इसी वजह से निर्वाचन आयोग ने वोटरों की सहूलियत के लिए रंग-बिरंगे बैलट बॉक्स और चुनाव चिह्नों वाले मतपत्रों का इस्तेमाल किया।
1952: कौन-कौन मैदान में थे और किसे मिली जीत
पहले चुनाव में कुल 13 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां चुनावी मैदान में उतरी थीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने 322 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 239 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। अन्य दलों का प्रदर्शन इस प्रकार रहा:
- झारखंड पार्टी – 32 सीटें
- प्रजा सोशलिस्ट पार्टी – 23 सीटें
- सीएनएसपीजेपी – 11 सीटें
- एलएसएस – 7 सीटें
- स्वतंत्र उम्मीदवार – 14 सीटें
- अन्य – 4 सीटें
कुल मतदाता संख्या 1,80,80,181 थी, जिसमें से 99,95,451 लोगों ने मतदान किया। वोटिंग प्रतिशत 55.3% रहा।
श्रीकृष्ण सिंह बने पहले मुख्यमंत्री
कांग्रेस नेता श्रीकृष्ण सिंह (श्री बाबू) बिहार के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। उनके सहयोगी अनुग्रह नारायण सिन्हा उपमुख्यमंत्री बने। दोनों नेताओं ने मिलकर जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए, जो बिहार की सामाजिक-आर्थिक संरचना के लिए मील का पत्थर साबित हुए। बाबू 1946 से ही बिहार के मुख्यमंत्री रहे और 1961 तक इस पद पर बने रहे। पहले मनोनीत और फिर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्री के रूप में।
1952 का चुनाव क्यों था खास?
1952 का चुनाव भारतीय लोकतंत्र की पहली परीक्षा थी। मतदाता घंटों पैदल चलकर मतदान केंद्र तक पहुंचे। बैलट बॉक्स पर केवल चुनाव चिह्न होते थे — उम्मीदवारों के नाम नहीं होते थे। इतिहासकार मानते हैं कि यह चुनाव बिहार समाज में लोकतांत्रिक चेतना फैलाने और समाज को जोड़ने में सहायक रहा।
2025 के चुनाव: पुराने अनुभवों से नई उम्मीदें
बिहार विधानसभा में अब 243 सीटें हैं। 2025 के चुनाव में एक ओर नीतीश कुमार की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन मैदान में है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन चुनौती देने को तैयार है। राज्य की साक्षरता दर अब 70% से अधिक हो चुकी है और EVM के जरिए मतदान होगा। सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं और जनता तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं। यह चुनाव न सिर्फ सत्ता का फैसला करेगा, बल्कि बिहार के राजनीतिक भविष्य की दिशा भी तय करेगा।