W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

बिपल्व देव : तोल-मोल के बोल

राजनीति हो या समाज विभिन्न विषयों पर विवाद स्वाभाविक है, विषयों पर मतभेद भी स्वाभाविक है। स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए। हम यह मानते हैं कि जिस तरह से दूसरों को अपना​ विचार रखने का अधिकार है,

12:13 AM Jul 23, 2020 IST | Aditya Chopra

राजनीति हो या समाज विभिन्न विषयों पर विवाद स्वाभाविक है, विषयों पर मतभेद भी स्वाभाविक है। स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए। हम यह मानते हैं कि जिस तरह से दूसरों को अपना​ विचार रखने का अधिकार है,

बिपल्व देव   तोल मोल के बोल
Advertisement
राजनीति हो या समाज विभिन्न विषयों पर विवाद स्वाभाविक है, विषयों पर मतभेद भी स्वाभाविक है। स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए। हम यह मानते हैं कि जिस तरह से दूसरों को अपना​ विचार रखने का अधिकार है, उसी तरह हमें भी है। किन्तु किसी भी स्थिति में ऐसा बयान ​नहीं दिया जाना चाहिए जिससे कोई दूसरा समुदाय अपमानित होता हो या किसी भी प्रकार की साम्प्रदायिक विद्वेष की भावना पैदा हो या किसी की भी भावनाएं आहत होती हों। खास तौर पर ऐसे नेता को जो किसी राज्य का मुख्यमंत्री हो या केन्द्र में मंत्री हो या फिर जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि, उन्हें तो एक-एक शब्द सोच-समझ कर इस्तेमाल करना चाहिए।
Advertisement
राजनीति का इतिहास बताता है कि राजनीतिज्ञों द्वारा बोले गए एक शब्द पर भी जबरदस्त गतिरोध पैदा हो जाता रहा है और नतीजन संसद की कार्यवाही ठप्प हो जाती है। राजनीतिज्ञ अपने शब्द बोलकर बहुत ही आसानी से माफी मांग लेते हैं। आजकल नेताओं की बदजुबानी तो आम बात है। चुनाव के दिनों में तो नेताओं की फौज जनता का रुख करती है। इस दौरान अपने भाषणों में कब उनके बोल बिगड़ जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं होती। वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि मानो अमर्यादित बयानों की बाढ़ सी आई हुई है। भारतीय राजनीति में भाषा की ऐसी गिरावट शायद पहले कभी नहीं देखी गई। ऊपर से नीचे तक सड़क छाप भाषा ने अपनी बड़ी जगह बना ली है। यह ऐसा समय है जब शब्द सहमे हुए हैं, क्योंकि उनके दुरुपयोग जारी हैं। एक दौर था जब हमारे राजनेताओं का आचरण शालीन और ​विनम्र होता था लेकिन तब से गंगा में काफी पानी बह चुका है। आज के राजनीतिज्ञों को न तो इतिहास का ज्ञान है, और न ही भारत की संस्कृति का। नेताओं की नई फौज ने जो चाहा वह बोल दिया। उनके शब्दों के पीछे कोई तर्क भी नहीं होता। उनको इस बात की भी समझ नहीं कि उनके शब्दों पर समाज में किस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है जिससे पंजाबी होने के नाते मुझे काफी पीड़ा हुई है। देव ने कहा कि ‘‘अगर हम पंजाब के लोगों की बात करें तो हम कहते हैं कि वह पंजाबी हैं, एक सरदार हैं। सरदार किसी से नहीं डरता। वे बहुत मजबूत होते हैं लेकिन दिमाग कम होता है। हरियाणा के जाट भी कम बुद्धिमान हैं, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ्य हैं। अगर आप जाटों को चुनौती देते हैं तो वह अपनी बंदूक अपने घर से बाहर ले जाएगा। बंगाल या बंगालियों के लिए कहा जाता है कि बुद्धिमता के संबंध में चुनौती नहीं देनी चाहिए। भारत का हर समुदाय एक निश्चित प्रकार और चरित्र के साथ जाना जाता है।’’
यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर इस तरह के अतिश्योक्तिपूर्ण, अनर्गल और तथ्यात्मक त्रुटियों से भरे बयान ​दिए हैं। बिप्लव देव ने दावा किया था कि महाभारत के समय इंटरनेट और सैटेलाइट कम्युनिकेशन मौजूद थे। संजय ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से महाभारत युद्ध का ब्यौरा दिया था। उन्होंने यह बयान भी दिया था कि सौंदर्य प्रतियोगिताओं के रूप में रिजल्ट हमेशा पहले से तय होता है। वर्षों पहले डायना हैडन को मिस वर्ल्ड का ताज पहनाने की मंजूरी नहीं मिली थी। उनका एक बयान काफी चर्चित हुआ था कि युवा सरकारी नौकरी के पीछे वर्षों भागता है। उसे इसकी जगह पान की दुकान खोलनी चाहिए या गायों का पालन करना चाहिए। जब भाजपा हाईकमान को लगा कि बिपल्व देव अपने राज्य में पान बिकवा रहे तो उन्हें दिल्ली तलब भी किया गया था। उन्होंने एक हास्यास्पद बयान यह भी दिया था कि ‘‘गौतम बुद्ध ने शांति और एकता का संदेश दिया है। इसके लिए उन्होंने पूरे भारत, बर्मा (म्यांमार), जापान, तिब्बत और अन्य देशों की पैदल यात्रा की थी।
Advertisement
पंजाबियों और जाटों संबंधी दिए गए बयान पर बवाल मचने के बाद यद्यपि पहले की तरह देव ने माफी मांग ली है और दोनों समुदाय पर गर्व भी जताया है, लेकिन इस बयान से उनकी मानसिकता साफ उजागर हो गई है। देव स्वयं भी पंजाबियों और जाटों के बीच रहे हैं।
स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्र भारत तक पंजाब और हरियाणा ने ऐसे-ऐसे देशभक्त देश को दिए हैं, जिनका कोई सानी नहीं है। देश की आजादी के लिए अनेक युवकों ने शहादतें दीं तो दोनों राज्यों ने देश को चोटी के राजनीतिज्ञ दिए। प्रसिद्ध पत्रकार खुशवंत सिंह भी लिखते रहे हैं कि पंजाब में जहां दिमाग खत्म हो जाता है तो वहां हाथों से काम लिया जाता है। उनका अभिप्राय मेहनतकश पंजाबियों से था। लेकिन किसी समुदाय को अल्पबुद्धिवाला बताना घटिया मानसिकता का परिचायक है। पंजाब और हरियाणा ने चोटी के सम्पादक, पत्रकार, साहित्यकार और लेखक दिए हैं तो यह धारणा अपने आप में गलत है कि इनका दिमाग कम होता है। देव जैसी बयानबाजी करने वालों की कोई कमी नहीं है। ऐसे लोग सभी दलों में हैं। इसलिए यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाई जाए। कोई तोल-मोल के बोल ही नहीं रहा। मगर यहां तो असभ्यता को सिद्ध करने की जिद पकड़ ली गई है। कवि भवानी प्रसाद मिश्र ने ठीक ही कहा है-
Advertisement
‘‘मैं असभ्य हूं क्योंकि खुले नंगे पांवों चलता हूं
मैं असभ्य हूं क्योंकि धूल की गोदी में पलता हूं
आप सभ्य हैं क्योंकि हवा में उड़ जाते हैं ऊपर
आप शब्द हैं क्योंकि आग बरसा देते हैं भू पर।’’


आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
Advertisement
×