भाजपा सांसद रवि किशन ने उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में की पूजा-अर्चना
रवि किशन ने महाकालेश्वर में किया भव्य पूजा-अर्चना
भाजपा सांसद रवि किशन ने उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की और महाकाल कॉरिडोर के विकास के लिए प्रशासन और सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भस्म आरती में महाकाल का आशीर्वाद लिया और कहा कि अब श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रवि किशन ने सोमवार को उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए और ज्योतिर्लिंग मंदिर में पूजा-अर्चना की। सांसद ने महाकाल कॉरिडोर के विकास के लिए जिला प्रशासन, मध्य प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। यहां उन्होंने भस्म आरमी में महाकाल का आशिर्वाद लिया। महाकालेश्वर मंदिर द्वारा साझा किए गए वीडियो में रवि किशन ने कहा, “मैं प्रशासन, मध्य प्रदेश सरकार, पीएम मोदी और डबल इंजन वाली सरकार का आभारी हूं, जिन्होंने इतना भव्य महाकाल कॉरिडोर बनाया है। अब श्रद्धालुओं के लिए अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं।”
धर्मेंद्र प्रधान ने भी की थी पूचा अर्चना
7 जून को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की थी। उज्जैन के श्री महाकालेश्वर भारत के बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का वर्णन विभिन्न पुराणों में किया गया है। कालिदास से लेकर कई संस्कृत कवियों ने इस मंदिर की भावपूर्ण प्रशंसा की है। उज्जैन भारतीय काल गणना का केंद्र बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट अधिष्ठाता देवता माना जाता था। समय के देवता शिव अपनी पूरी भव्यता के साथ उज्जैन में शाश्वत रूप से राज करते हैं।
भगवान महाकाल की होती है विशेष भस्म आरती
महाकालेश्वर का मंदिर, जिसका शिखर आसमान में ऊंचा उठता है और क्षितिज के सामने एक भव्य अग्रभाग है, अपनी भव्यता के साथ आदिकालीन विस्मय और श्रद्धा को जगाता है। महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती सबसे प्रतिष्ठित अनुष्ठानों में से एक है। यह शुभ ब्रह्म मुहूर्त के दौरान, सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच किया जाता है। मंदिर की परंपराओं के अनुसार, यह अनुष्ठान तड़के बाबा महाकाल के कपाट खुलने के साथ शुरू होता है, उसके बाद दूध, दही, घी, चीनी और शहद के पवित्र मिश्रण पंचामृत से पवित्र स्नान कराया जाता है।
इसके बाद भगवान को भांग और चंदन से सजाया जाता है, उसके बाद अनूठी भस्म आरती और धूप-दीप आरती होती है, साथ ही ढोल की लयबद्ध थाप और शंख की गूंजती ध्वनि होती है। देश भर से लोग इस दिव्य अनुष्ठान को देखने के लिए मंदिर आते हैं, उनका मानना है कि भस्म आरती में शामिल होने से आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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