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केरल में भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा ने अच्छी-खासी सीटें जीतकर अपने जनाधार का विस्तार कर लिया है और इसके साथ ही दक्षिण भारत में जोरदार एंट्री पा ली है। अब केरल में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं।

01:18 AM Dec 14, 2020 IST | Aditya Chopra

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा ने अच्छी-खासी सीटें जीतकर अपने जनाधार का विस्तार कर लिया है और इसके साथ ही दक्षिण भारत में जोरदार एंट्री पा ली है। अब केरल में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं।

केरल में भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा ने अच्छी-खासी सीटें जीतकर अपने जनाधार का विस्तार कर लिया है और इसके साथ ही  दक्षिण भारत में जोरदार एंट्री पा ली है। अब केरल में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। भाजपा ने अब केरल में वोट शेयर बढ़ाने का फैसला किया है। यद्यपि हैदराबाद से अलग केरल में भाजपा के बड़े चेहरों ने चुनाव प्रचार नहीं किया। जिस तरह हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंककर छोटे से चुनाव को हाई प्रोफाइल बना दिया था, उस तरह केरल के स्थानीय निकाय चुनावों को हाईप्रोफाइल नहीं बनाया गया। भाजपा के बड़े नेेताओं का ध्यान इन दिनों पश्चिम बंगाल पर है। इसलिए केरल में भाजपा के लिए कुछ खोने को नहीं है इसलिए वह जितनी भी सीटें जीते उतना ही उसे फायदा है। पंचायत, नगर पालिकाओं और 6 निगमों के चुनावों के लिए भाजपा की प्रदेश की इकाई के नेताओं ने ही प्रचार किया है। केरल भाजपा के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन और पूर्व अध्यक्ष के. राजशेखरन ने राज्य के सभी हिस्सों का दौरा किया है जबकि अभिनेता सुरेश गांधी ने भी जनता से वोट देने की अपील की है। कांग्रेस ने भी स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचार के लिए दिल्ली से किसी नेता को नहीं भेजा जबकि राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं लेकिन उन्होंने भी इन चुनावों में कोई रुचि नहीं दिखाई, न ही मुख्यमंत्री विजयन ने किसी चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया है। 
भाजपा ने इन चुनावों में सोशल इंजीनियरिंग को अपनाया है। इस बार चुनाव में कई मुस्लिम और इसाई उम्मीदवारों को भी टिकट दिये हैं। भाजपा को उम्मीद है कि कई मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के कानून के लिए उसे वोट देंगी। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 वर्ष करने की योजना का भी कई मुस्लिम लड़कियों ने स्वागत किया था।  उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में, जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं, विधानसभा चुनावों में भाजपा ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया और स्थानीय निकाय के चुनावों में भी वह उन्हें ज्यादा महत्व नहीं देती लेकिन केरल के स्थानीय निकायों के चुनावों से उसने 112 मुस्लिम नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। साढ़े तीन करोड़ की आबादी वाले केरल राज्य में 27 फीसदी मुसलमान हैं और 19 फीसदी ईसाई हैं। भाजपा ने 500 ईसाइयों को भी टिकट दिया है। राज्य में ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या को देखते हुए पार्टी को ये रणनीतिक कदम उठाना पड़ा है।
इससे साफ है कि भाजपा की नजर स्थानीय निकाय नहीं विधानसभा चुनाव पर है। यह उसका प्रयोग है। इसमें अगर वह सफल होती है तो विधानसभा चुनाव में भी इसे आजमाएगी। एलडीएफ और यूडीएफ की कड़ी टक्कर में भाजपा किंगमेकर के तौर पर उभर सकती है। भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग के अलावा दिलचस्प पहलु यह है कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, जो पापुलर फ्रंट आफ इंडिया की राजनीतिक शाखा है, ने एक दर्जन सीटों पर हिंदू महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा पीएफआई पर इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन होने का आरोप लगाती है।  विधानसभा चुनावों के लिए ही भाजपा ने सबरीमाला के मुद्दे पर स्थानीय भावनाओं का सम​र्थन करते हुए पूरा जोर लगाया था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी विरोध दर्ज कराया था। इसका नतीजा पिछले वर्ष राज्य की कोन्नी सीट पर हुए उपचुनाव में भी देखने को मिला था। इस सीट पर पहले कांग्रेस का कब्जा था लेकिन उपचुनाव में एलडीएफ के उम्मीदवार को जीत मिली थी और कांग्रेस का वोट शेयर करीब 20 फीसदी घट गया था। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर भाजपा के खाते में जाता दिखा। भाजपा को इस सीट से 17 फीसदी वोट शेयर का फायदा मिला था। पिछले चुनाव में उसका वोट शेयर 11.70 फीसदी था जबकि उपचुनाव में बढ़कर 28.68 फीसदी हो गया था। चुनाव विशेषज्ञों ने माना ​था कि भाजपा ने कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी कर ली है। जहां तक चुनाव मुद्दों का सवाल है, स्थानीय निकाय के मुद्दों के अलावा कांग्रेस और भाजपा दोनों  ही सत्तारूढ़ वामदल को साेने की तस्करी के मामले में घेर रही है। इस मामले में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को भी लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा है। ड्रग्स की तस्करी के मामले में भी केरल सरकार घिरी हुई है। सोने की तस्करी का मामला इतना बड़ा हो चुका है कि इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के पूर्व प्रधान सचिव एस. शिवशंकर और पूर्व दूतावास कर्मचारी स्वपना सुरेश की गिरफ्तारी हो चुकी है। मुख्यमंत्री के निजी सचिव से भी ईडी कई बार पूछताछ कर चुकी है। 
केरल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मजबूत उपस्थिति है, ऐसे में भाजपा चुनावी जीत को लक्ष्य मानकर चल रही है। केरल विधानसभा चुनाव में महज 6 माह का समय बचा है। भाजपा मुस्लिम, ईसाई समुदाय की सोशल इंजीनियरिंग और हिंदू मतदाताओं के ध्रुुवीकरण से अपनी राजनीतिक जमीन को पुख्ता करने का प्रयास कर रही है। भाजपा ने कांग्रेस से आए टाम बड़क्कन और एमपी अब्दुल्ला कुट्टी को क्रमशः प्रवक्ता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। ऐसा करके भाजपा ने संदेश दिया ​है कि वह केरल में ईसाई और मुस्लिम समुदाय के नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जगह देकर राज्य में अपना विस्तार करना चाहती है। भाजपा केरल में वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ने के लिए डटकर मैदान में आ चुकी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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