संघ की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देगी भाजपा
आज गुड़िपढ़वा के दिन ही जब संघ मुख्यालय नागपुर में प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख…
‘माना कि इस वक्त जिधर भी देखो तुम, हर तरफ अंधेरा घना है
पर आग की जद में हो तुम, चिंगारियों से खेलना एकदम मना है’
आज गुड़िपढ़वा के दिन ही जब संघ मुख्यालय नागपुर में प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की एक अहम मीटिंग आहूत है तो इस मीटिंग के बाद भाजपा में अर्से से लंबित कई फैसलों पर सहमति की मुहर लग सकती है। जैसे भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा? सनद रहे संघ पहले से ही इसके लिए अपनी ओर से 2 नाम आगे कर रहा है इसमें से एक नाम है योगी आदित्यनाथ का और दूसरा नाम है शिवराज सिंह चौहान का। पर भाजपा अपनी ओर से मनोहर लाल खट्टर का नाम आगे बढ़ा रही है। संघ भाजपा के संगठन महासचिव बी.एल. संतोष को लेकर भी विचार चल रहा है।
बताते हैं कि सहसरकार्यवाह अरुण कुमार से जब इस बारे में राय ली जाएगी तो यह बात देखने योग्य होगी कि वह कैसे सब कुछ प्रस्तुत करते हैं तभी जवाब मिल पाएगा।
दिले नीतीश तुझे हुआ क्या है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश की बदली भंगिमाओं और अटपटे आचरण को लेकर कयासों के बाज़ार गर्म हैं कि आखिर उन्हें हुआ क्या है इस दर्दे दिल की आखिर दवा क्या है। नीतीश के ढुलमुल स्वास्थ्य को देखते हुए उनके 49 वर्षीय पुत्र निशांत कुमार की सियासत में एंट्री को लेकर माहौल बनाया जा रहा है और इन दिनों निशांत भी बढ़-चढ़कर अपने पिता के पक्ष में बयान दे रहे हैं। इस बार पहली दफे सीएम हाउस के होली मिलन समारोह में निशांत बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते दिखे।
पटना की दीवारों पर चस्पा हुए होली और ईद के बधाई पोस्टरों में निशांत का चेहरा हावी रहा। जब जद (यू) के नेताओं ने नीतीश से जानना चाहा कि इस बार के बिहार चुनाव में निशांत को पार्टी किस सीट से अपना उम्मीदवार बनाएगी तो नीतीश ने बेखटके कहा-‘निशांत को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा और चुनाव उनके यानी नीतीश के पोते अधिराज लडें़गे। सब हैरत में पड़ गए कि यह अधिराज कौन है? क्योंकि नीतीश के इकलौते बेटे निशांत की तो अभी शादी भी नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो नीतीश ने अपने बेटे के लिए लड़की ढूंढ ली है, 9 अप्रैल के बाद जब खरमास समाप्त हो जाएगा तो नई दिल्ली में निशांत का विवाह समारोह एक सादगी भरे माहौल में संपन्न होगा।
अब कांग्रेस सेवादल पर राहुल का फोकस
आने वाले 8-9 अप्रैल को गुजरात में आहूत होने वाले कांग्रेस अधिवेशन की तैयारियां जोरों पर हैं। राहुल गांधी भी भविष्य की कांग्रेस का रोडमैप बनाने में जुटे हैं। अभी पिछले दिनों अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा की अगुवाई में 45 लोगों का एक डेलीगेट राहुल से मिला। शर्मा इस प्रतिनिधिमंडल में ज्यादातर पुराने ‘कार्डिनेटर्स’ को लेकर आए थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जमाने से सेवादल को ‘कैडर बिल्डिंग’ का एक अहम केंद्र माना जाता रहा था। अब गांधी परिवार के पुराने वफादारों के कहने पर राहुल भी ‘बैक टू द बेसिक’ पर लौटने को राज़ी हो गए हैं।
राहुल ने इस प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि आने वाले दिनों में सेवादल में एक नई जान फूंकी जाएगी और पार्टी कैडर को ट्रेनिंग देने और बूथ लेवल तक पार्टी संगठन को नए सिरे से तैयार करने की एक फौरी कवायद शुरू की जाएगी। वैसे भी कांग्रेस ने इस 2025 के वर्ष को संगठन निर्माण के वर्ष के तौर पर शुमार किया है। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू और वहां के नवनियुक्त राजेश राम के समक्ष राहुल पहले ही अपनी यह दिली इच्छा व्यक्त कर चुके हैं कि बिहार में जमीनी स्तर पर कांग्रेस संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का प्रयास हो।
यूपी को लेकर हरकत में प्रियंका
कांग्रेस अब हिंदी भाषी बड़े राज्यों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है। इस कड़ी में अभी पिछले दिनों प्रियंका गांधी ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से एक लंबी बातचीत की। प्रियंका ने अखिलेश के समक्ष यह साफ कर दिया कि आने वाले 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों को कांग्रेस बेहद गंभीरता से ले रही है। प्रियंका चाहती थीं कि इस आगामी चुनाव को लेकर अभी से कांग्रेस और सपा के दरम्यान एक रणनैतिक तालमेल स्थापित हो जाए। सूत्रों की मानें तो प्रियंका ने अखिलेश से कहा, ‘हमारी पार्टी ने अभी से यूपी के अलग-अलग जनपदों के जिलाध्यक्षों के नाम तय करने शुरू कर दिए हैं, इसी तर्ज पर हम विधानसभावार उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया भी अभी से शुरू कर देंगे। अगर हमें एक बार इस इस बात का इल्म हो जाए कि सपा हमारे लिए कौन-कौन सी सीटें छोड़ना चाहती है।’
प्रियंका ने बातों ही बातों में अखिलेश को संकेत दिया कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस कम से कम 100 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहेगी। कहते हैं कि अखिलेश ने ध्यानपूर्वक प्रियंका की बातों को सुना फिर उन्होंने कहा-‘मेरी राय है कि कांग्रेस सिर्फ उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़े जहां उसके जीतने की सभावनाएं अच्छी हो, अगर आप ज्यादा सीटें लेकर चुनाव हार जाएं तो नुक्सान तो सबसे ज्यादा मेरा होगा। सो, बेहतर रहेगा कि आप 40-50 जीत सकने वालीं सीटों पर फोकस करें। सीटों का चयन कर संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट फाइनल करें ताकि मैं भी उन पर अपना इनपुट दे सकूं। प्रियंका ने अखिलेश को भरोसा दिलाया है कि वह इस अप्रैल माह में सीट फाइनल कर लेंगी और उन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए योग्य उम्मीदवारों की तलाश भी शुरू कर देंगी।
सिंगापुर जाएंगे केजरीवाल
दिल्ली का चुनाव भाजपा के हाथों गंवाने के बाद इन दिनों आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल किंचित फुरसत में हैं। उन्हें सिंगापुर के ‘ली क्वान’ और कुआलालंपुर यूनिवर्सिटी से लेक्चर देने के लिए बुलावा आया है। केजरीवाल ने इन दोनों प्रस्तावों पर सहर्ष सहमति दे दी है और अब वे अपनी सिंगापुर और मलेशिया की यात्रा की तैयारियों में जुट गए हैं। पर उनके निकटस्थ सहयोगी गोपाल राय ने उन्हें समझाया है कि ‘अभी-अभी जुम्मे-जुम्मे चार दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है आप इस सरकार को खुला मैदान देकर क्यों विदेश की ठौर पकड़ना चाहते हैं।’ तो केजरीवाल ने राय को समझाया कि दिल्ली की जनता भाजपा से 2-3 सालों में ही परेशान हो जाएगी, जब तक हमें आराम से ‘वेट एंड वाच’ की रणनीति अपनानी चाहिए। अभी ज्यादा शोर मचाने से कुछ हासिल नहीं होगा, वैसे भी रोजाना के मसलों पर पार्टी का रुख सामने रखने के लिए आतिशी ही काफी हैं, वह भाजपा की ईंट से ईंट बजाने की काबिलियत भी रखती हैं, तब तक हमें अन्य राज्यों पर फोकस करना चाहिए और वहां हमें अपना कैडर मजबूत करना चाहिए। इस बीच जब पंजाब में भगवंत मान को लगा कि उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है तो उन्होंने फौरन केजरीवाल को यह डर दिखाया कि अगर केजरीवाल स्वयं पंजाब में ज्यादा एक्टिव होंगे तो आप के 35 विधायक कांग्रेस में जा सकते हैं।
कहा जाता है कि मान इस बात की भी पूरी चिंता कर रहे हैं कि केजरीवाल राज्यसभा जाने के लिए पंजाब का रास्ता न अख्तियार करें। वैसे भी अब केजरीवाल का सारा फोकस दिल्ली से हट कर गुजरात, गोवा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों पर रहने वाला है। वे तीनों प्रदेशों के ज्यादा से ज्यादा दौरे लगवा रहे हैं, खासकर गुजरात को लेकर वे बहुत सीरियस हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि गुजरात में आप का वोट शेयर कांग्रेस से ज्यादा रहे।
और अंत में
अभी पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ राहुल गांधी की एक अहम बैठक संपन्न हुई। कहते हैं इस मीटिंग में राहुल उमर से चाहते थे कि वे यानी उमर कांग्रेस के 2 विधायकों को मंत्री बना दें और एक को डिप्टी स्पीकर का पद दे दें क्योंकि भाजपा ने अपनी गिद्ध दृष्टि इन कांग्रेसी विधायकों पर पहले से गड़ा रखी है। उमर ने कहा कि अभी वे अपनी कैबिनेट का विस्तार नहीं कर पाएंगे, पर हां वे कांग्रेस के विधायकों का पूरा ध्यान रखेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वे इधर-उधर न भागें।