W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

काले धन का तंत्र

विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को लेकर काफी बवाल मचा था। देश काले धन के खिलाफ बड़े आंदोलनों का चश्मदीद रहा है।

04:14 AM Jan 08, 2020 IST | Ashwini Chopra

विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को लेकर काफी बवाल मचा था। देश काले धन के खिलाफ बड़े आंदोलनों का चश्मदीद रहा है।

काले धन का तंत्र
Advertisement
‘‘काला धन और काला मन 
Advertisement
एक न एक दिन बेपर्दा हो ही जाते हैं।’’
Advertisement
विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को लेकर काफी बवाल मचा था। देश काले धन के खिलाफ बड़े आंदोलनों का चश्मदीद रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी जैसा बड़ा कदम उठाया लेकिन बैंकिंग सिस्टम ने साथ नहीं दिया। बैंकिंग सिस्टम अब भी अपना खेल जारी रखे हुए है। काले धन के खिलाफ उठी आवाजें अब धीमी हो गई हैं।
Advertisement
देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई ने 51 कम्पनियों और तीन राष्ट्रीय बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ वर्ष 2014-15 में एक हजार करोड़ से ज्यादा का काला धन हांगकांग ट्रांसफर करने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। इस फर्जीवाड़े के लिए फर्जी कम्पनियों का सहारा लिया गया। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बिना बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से हो ही नहीं सकता। इन अधिकारियों का संबंध चेन्नई स्थित बैंक आफ इंडिया, स्टेट बैंक आफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक समेत अन्य बैंकों से बताया जा रहा है।
काले धन को हांगकांग भेजने के ​लिए फर्जी विदेशी रेमिटन्स का सहारा लिया गया। फर्जीवाड़े में लिप्त कम्पनियों में से कुछ ने बहुत कम आयात किया। बैंक अधिकारियों, जिन पर विदेशी मुद्रा विनियम की जिम्मेदारी होती है, को भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पूरी गम्भीरता और सतर्कता से पालन करना होता है लेकिन उन्होंने कोई सतर्कता नहीं दिखाई। कम्पनियों ने अपना वार्षिक टर्नओवर तो लाखों में दिखाया लेकिन रेमिटन्स के जरिये भेजी गई रकम करोड़ों में थी।
उधर स्विट्जरलैंड के टैक्स अधिकारी ऐसे लोगों की जानकारियां भारत से साझा कर रहे हैं जो टैक्स चोरी कर यहां से बाहर भाग गए हैं। ऐसे ट्रस्टों की पहचान की गई है, जिनमें देश से भागे लोगों का धन पड़ा हुआ है। बहुत से नाम सामने भी आ चुके हैं। यह बात भी स्पष्ट हो चुकी है कि भारत को जानकारियां मिलने के बावजूद विदेशों में जमा काले धन को वापस लाना काफी मुश्किल है। काले धन पर राजनीतिक विवाद के बीच मार्च 2011 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने तीन संस्थानों एनआईपीएफपी, एनसीएआईआर और एनआईएफएम को देश और देश से बाहर भारतीयों के काले धन का अध्ययन और सर्वेक्षण की जिम्मेदारी दी थी।
तीनों दिग्गज संस्थानों ने अपनी रिसर्च में पाया कि भारतीयों ने पिछले 30 वर्षों में लगभग 246.48 अरब डालर (17,25,300 करोड़) से लेकर 490 अरब डालर (34,30,000 करोड़) के  बीच काला धन देश से बाहर भेजा। संसद की वित्त पर स्टैंडिंग कमेटी ने तीनों संस्थानों के निष्कर्ष पर एक रिपोर्ट भी सदन पटल पर रखी थी। जाहिर है कि देश के लोगों का काला धन लगातार बाहर जा रहा है। काले धन की वापसी कोई ब्लैक बाक्स नहीं है क्योंकि इसे खाताधारक शीघ्र ही उद्योग धंधों में लगा देते हैं। सरकार ने कई योजनाएं भी पेश कीं जिनमें 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत जुर्माना अदा करके काले धन को सफेद करने का प्रावधान था लेकिन बहुत कम लोग ही सामने आए।
भ्रष्टाचार देश की जड़ों को खोखला कर रहा है, इसका भयावह चेहरा है काला धन। इससे न केवल देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को खतरा पैदा होता है बल्कि विकास में भी बाधा पैदा होती है। लोग राष्ट्रहित, देशहित और समाज हित भूल चुके हैं। मध्यम वर्ग और गरीबों के पास इतनी फुर्सत कहां होती है कि वे बेचारे किसी के हितों के बारे में सोच भी सकें। निम्न वर्ग के लोग तो बाजार में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। अगर देश के बैंक ही लोगों का काला धन विदेश भेजने में सहायक बनेंगे तो फिर काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था कैसे खत्म होगी। देश के बैंकिंग तंत्र की ओवर हालिंग की जरूरत है और काले धन को विदेश भेजने के नियमों को और भी कड़ा करने की जरूरतें हैं।
कई ऐसे तरीके अब भी मौजूद हैं जिनसे काले धन को सफेद किया जा रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा। लोग अपनी आय को कृषि आय दिखाकर, राजनीतिक दलों को चंदा देकर, मनी लांड्रिंग कम्पनियों के माध्यम से धन को इधर-उधर कर काला धन सफेद कर रहे हैं। काले धन का तंत्र इतना विकसित हो चुका है कि जांच में भी परतें खुल जाती हैं लेकिन अंतिम ठिकाना नहीं मिलता। वित्त मंत्रालय को काले धन का विदेश प्रवाह रोकने के लिए अनेक छिद्र बंद करने होंगे अन्यथा अर्थव्यवस्था को बहुत नुक्सान होगा।
Author Image

Ashwini Chopra

View all posts

Advertisement
Advertisement
×