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लहूलुहान हुआ कजाखस्तान, हिंसा में 12 पुलिस कर्मियों की मौत व दर्जनों प्रर्दशन कारी घायल

कजाखस्तान में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर ढेर कर दिया। वहीं हिंसा में 12 पुलिस कर्मियों की भी मौत हुई है जिनसें से एक का सिर काट दिया गया है।

04:39 AM Jan 07, 2022 IST | Desk Team

कजाखस्तान में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर ढेर कर दिया। वहीं हिंसा में 12 पुलिस कर्मियों की भी मौत हुई है जिनसें से एक का सिर काट दिया गया है।

कजाखस्तान में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों ने दर्जनों प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर ढेर कर दिया। वहीं हिंसा में 12 पुलिस कर्मियों की भी मौत हुई है जिनसें से एक का सिर काट दिया गया है। प्रदर्शनकारी सरकारी इमारतों में घुस गए और उनको आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनों के बाद सरकार ने इस्तीफा भी दे दिया है।
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प्रशासन की कड़ी प्रतिक्रिया के बावजूद प्रदर्शनकारी मध्य एशियाई देश के सबसे बड़े शहर अलमाती में फिर से सड़कों पर उतर आए। इससे एक दिन पहले वे राष्ट्रपति भवन और महापौर के दफ्तर में घुस गए थे। राजधानी नूर सुल्तान में शांति बताई जाती है। वहीं रूसी सैनिक रास्ते में हैं।
रूस की ‘स्पूतनिक’ समाचार सेवा ने खबर दी है कि शहर में पुलिस कर्मियों को करीब 200 लोगों की भीड़ ने घेर लिया था जिसके बाद उन्हें गोली चलानी पड़ी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, अबतक दो हजार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस की प्रवक्ता सल्तनत अज़ीरबेक ने सरकारी समाचार चैनल ‘खबर-24’ से बातचीत करते हुए कहा कि बुधवार को कई हमलावरों को ढेर किया गया है। बृहस्पतिवार को बताया कि 12 पुलिस अधिकारियों की मौत के अलावा, 353 कानून प्रवर्तक अधिकारी जख्मी हुए हैं।
तीन दशक पहले सोवियत संघ से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कजाखस्तान सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है। तरलीकृत पेट्रोलियम गैस ईंधन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि को लेकर रविवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कजाखस्तान को झकझोर कर रख दिया है।
देश के पश्चिम में शुरू हुआ प्रदर्शन अलमाती और राजधानी नूर-सुल्तान तक फैल गया। हजारो लोग कथित रूप से डंडे और ढाल लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।
तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का इस्तेमाल व्यापक तौर पर वाहन ईंधन के तौर पर किया जाता है। प्रदर्शन की तीव्रता देश में व्यापक असंतोष की ओर संकेत है। देश में 1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद से एक ही पार्टी की सरकार है।सरकार ने आर्थिक मुद्दों का निदान करने की कोशिश के तहत बृहस्पतिवार को वाहन ईंधन पर 180 दिन की मूल्य सीमा और उपयोगिता दरों को बढ़ाने पर रोक का ऐलान किया।
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव प्रदर्शनों को शांत करने की कोशिश में हैं। उन्होंने सरकार के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है और वहीं अशांति कुचलने का संकल्प लिया है। उन्होंने अशांति के लिए आतंकवादी समूह को जिम्मेदार ठहराया है।
अलमाती और एक अन्य शहर में हवाई अड्डे को बंद कर दिया है। रूस के नेतृत्व वाले गठबंधन ‘सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन’ (सीएसटीओ) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव के अनुरोध पर कजाखस्तान में शांति सैनिक भेजेगा। कजाखस्तान की उत्तरी सीमा रूस से तो पूर्वी सीमा चीन से लगती है।
सीएसटीओ के मुताबिक, रूस अपनी सेना रवाना कर चुका है। सीएसटीओ के एक सदस्य देश किर्गिस्तान के राष्ट्रपति के प्रवक्ता एरबोल सुतनबाएव ने कहा कि उनके देश की सेना संसद की मंजूरी के बाद जाएगी और प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई नहीं करेगी।
चीन का मामलें में शामिल होने से स्पष्ट इंकार 
उन्होंने कहा कि कजाखस्तान में जो भी हो रहा है, उसका आंतरिक मामला है और वह इसे उचित तरीके से हल कर सकता है।कजाखस्तान के राष्ट्रपति तोकायेव ने पूरे देश में दो हफ्ते के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की है जिसके के तहत में रात में कर्फ्यू लागू रहेगा और धार्मिक प्राथर्नाओं पर रोक लगा दी है। इसेस कजाखस्तान में रहने वाली ऑर्थोडॉक्स ईसाई आबादी को झटका लगा है, क्योंकि वे शुक्रवार को क्रिसमस मनाते।
ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई नेता या मांग नहीं है। कई प्रदर्शनकारियों ने ‘पुराने लोग जाओ’ के नारे लगाए जो जाहिर तौर पर देश के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबेयेव का हवाला दे रहे थे। उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका प्रभाव अब भी है।
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