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हमले में कटे थे दोनों पैर, लेकिन हार नहीं मानी, आज बने राज्यसभा सांसद – जानिए सदानंदन मास्टर की प्रेरक कहानी

03:25 PM Jul 13, 2025 IST | Priya
हमले में कटे थे दोनों पैर  लेकिन हार नहीं मानी  आज बने राज्यसभा सांसद – जानिए सदानंदन मास्टर की प्रेरक कहानी

केरल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित हस्तियों को मनोनीत किया है, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व शिक्षक सी. सदानंदन मास्टर का नाम प्रमुखता से शामिल है। सदानंदन का जीवन संघर्ष, साहस और सामाजिक सेवा की मिसाल है। 1994 में एक राजनीतिक हमले में दोनों पैर गंवाने के बावजूद उन्होंने न सिर्फ जीवन को नई दिशा दी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।

1994 का वह ‘काला दिन’
25 जनवरी 1994 को सदानंदन मास्टर पर जानलेवा हमला हुआ था। वह उस दिन अपनी बहन की शादी का न्योता बांटकर घर लौट रहे थे। जैसे ही वे घर पहुंचे, सीपीएम कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उन पर हमला कर दिया। आरोप है कि हमलावरों ने न सिर्फ उनके दोनों पैर काट डाले, बल्कि उन्हें सड़क पर घसीटा ताकि सर्जरी भी संभव न हो सके। उस वक्त सदानंदन की उम्र महज 30 साल थी।

परिवार था कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़ा
सदानंदन का परिवार लंबे समय तक कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़ा रहा। लेकिन कुछ स्थानीय नेताओं से मतभेद के बाद सदानंदन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का साथ चुना। उन्होंने केरल के मट्टनूर, जो सीपीएम का गढ़ माना जाता है, में संघ कार्यालय की स्थापना की, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया। इसी पृष्ठभूमि में उन पर जानलेवा हमला हुआ।

शिक्षक के रूप में 25 वर्षों की सेवा
अपने पैरों को खोने के बाद भी सदानंदन ने हार नहीं मानी। कृत्रिम पैरों के सहारे उन्होंने सामान्य जीवन की ओर वापसी की और 1999 में त्रिशूर जिले के पैरामंगलम के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक बने। वे 2020 में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने हजारों छात्रों को न सिर्फ शिक्षा दी, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी सिखाया।

राजनीति में सक्रियता और चुनावी भागीदारी
सेवानिवृत्ति के बाद सदानंदन मास्टर राजनीति में और सक्रिय हो गए। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार बनाया। उनकी पहचान एक ज़मीनी कार्यकर्ता और प्रेरक नेता के रूप में बनी रही। राज्यसभा के लिए नामित होने पर सदानंदन मास्टर ने इसे अपने लिए एक गर्व का पल बताया। उन्होंने कहा, “यह मेरे जैसे ज़मीनी कार्यकर्ता के लिए सम्मान की बात है कि पार्टी ने मुझ पर विश्वास जताया। मैं विकसित केरल और विकसित भारत के लिए समर्पित भाव से कार्य करूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “राजनीतिक विरोधियों ने हमें केरल में कई अत्याचारों का सामना करवाया है। लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं ने सब कुछ सहा और पार्टी के लिए जीवन तक समर्पित कर दिया। मेरा कर्तव्य है कि मैं उनके आत्मविश्वास को मज़बूत करूं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सदानंदन मास्टर के जीवन संघर्ष और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “सदानंदन मास्टर का जीवन साहस, प्रतिबद्धता और अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े होने की मिसाल है। हिंसा और धमकियों के बावजूद उन्होंने सामाजिक कार्य और शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह प्रेरणादायक है।”

अन्य मनोनीत सदस्य
सदानंदन मास्टर के अलावा राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए प्रख्यात वकील उज्जवल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और शिक्षा विशेषज्ञ मीनाक्षी जैन को मनोनीत किया है। इन सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं।

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