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बुद्धम शरणम गच्छामि

यह सत्य है कि बौद्ध धर्म एक सशक्त सम्प्रदाय के रूप में अपनी जन्मभूमि से ही विलुप्त हो गया, फिर भी इसका अर्थ यह नहीं कि इसने भारत के इतिहास को किसी तरह प्रभावित नहीं किया।

02:16 AM Jun 13, 2022 IST | Aditya Chopra

यह सत्य है कि बौद्ध धर्म एक सशक्त सम्प्रदाय के रूप में अपनी जन्मभूमि से ही विलुप्त हो गया, फिर भी इसका अर्थ यह नहीं कि इसने भारत के इतिहास को किसी तरह प्रभावित नहीं किया।

बुद्धम शरणम गच्छामि
यह सत्य है कि बौद्ध धर्म एक सशक्त सम्प्रदाय के रूप में अपनी जन्मभूमि से ही विलुप्त हो गया, फिर भी इसका अर्थ यह नहीं कि इसने भारत के इतिहास को किसी तरह प्रभावित नहीं किया। बौद्ध धर्म अपने में एक महान क्रांति था, इसलिए इसने भारतीयों के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक जीवन पर व्यापक प्रभाव डाला। इस  धर्म का उदय भारतीय संस्कृति के लिए बड़ा ही हितकर प्रमाणित हुआ। भारतीय संस्कृति की सम्पन्नता में इस धर्म के कारण काफी अभिवृद्धि हुई और इस देश के लोगों को जीवन के प्रति एक विशिष्ट दृष्टिकोण का विकास करने में काफी सहायक रहा।
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बौद्ध धर्म ने अहिंसा सिद्धांत पर सर्वाधिक जोर दिया और अहिंसा परमो धर्म का नारा बुलंद किया। भारतीय राजनीति पर इस उपदेश का गहरा प्रभाव पड़ा। इसके फलस्वरूप ही भारत के राजाओं के दिल में हिंसा और रक्तपात के खिलाफ एक प्रतिक्रिया हुई। बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर ही सम्राट अशोक ने युद्ध को तिलांजलि दे दी और धर्म प्रचार को राज्य का लक्ष्य निर्धारित किया।
भारत और अन्य देशों के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में बौद्ध धर्म ने एक मजबूत कड़ी का काम किया। बौद्ध धर्म भारत की ओर से विदेशों के लिए अमूल्य भेंट था। यह एक ऐसा धर्म था जिसकी अनेक देशों ने जाति-पाति के बंधनों को त्याग कर स्वीकार किया। इस धर्म को विश्वव्यापी आंदोलन कहा जा सकता है। भारत के भिक्षुओं और विद्वानों ने ईस्वी पूर्व तीसरी शताब्दी से विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार करना शुरू कर दिया। बौद्ध धर्म के दीक्षित विदेशी लोग भारत को एक तीर्थस्थल मानने लगे थे। सातवीं शताब्दी में भारत में बौद्ध धर्म का प्रभाव घटने लगा लेकिन चीन समेत दक्षिण तथा दक्षिण पूर्व एशियाई देश बौद्ध धर्म अपनाने लगे।
श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, कम्बोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, ताइवान, हांगकांग, दक्षिण को​िरया, मंगोलिया, तिब्बत और नेपाल में बौद्ध धर्म फैलता गया। भारत में बौद्ध धर्म के लुप्त होने के कई कारण रहे लेकिन अहिंसा परमोधर्म के संदेश को भारत ने पूरी तरह अपनाया। भारत अब चीन के पड़ोसी मंगोलिया के साथ सांस्कृतिक कूटनीति की शुरूआत करने जा रहा है। केन्द्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू मंगो​िलया के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने के लिए वहां की सरकार के आग्रह पर भगवान बुद्ध से जुड़े अवशेष लेकर वहां जा रहे हैं। 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को राजकीय अतिथि का दर्जा प्राप्त होगा। भगवान बुद्ध के प्रतीक चिन्हों को कपिलवस्तु अवशेष कहा जाता है। भारत समय-समय पर अपने पड़ोसी देशों खासतौर से श्रीलंका, जापान और अन्य देेेेशों को जहां बौद्ध धर्म के मानने वाले बड़ी तादाद में हैं वहां पर अवशेष दर्शन के लिए लेकर जाता रहा।
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इस साल 14 जून को बुद्ध पूर्णिमा है। इससे पहले 1993 में मंगोलिया में दर्शन करने के लिए भारत की तरफ से अवशेष भेजे गए थे। भारत और मंगोलिया के संबंध बहुत पुराने हैं। वर्तमान में 500 बौद्ध भिक्षु भारत में अलग-अलग जगह मोनेस्ट्री में अध्ययन कर रहे हैं। मंगोलिया की 55 प्रतिशत से ज्यादा आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। मंगो​िलया में हजारों मठ और विहार हुआ करते थे। इन सभी को 1937 में स्टालिन के आदेश पर या तो आंशिक तौर पर या पूरी तरह नष्ट कर​ दिया गया था। 1946 में एक उलान बटोर मठ को प्रतीक के तौर पर खोला गया था। उसके बाद 1970 के दशक में भिक्षुओं के लिए एक पंच वर्षीय प्रशिक्षण कालेज खोला गया। 1990 में साम्यवाद के पतन के बाद से निर्वासन में रह रहे तिब्बितियों की सहायता से बौद्ध धर्म को मजबूती के साथ पुन​र्जीवित किया गया है। बौद्ध धर्म के सभी सम्प्रदाय दुनियाभर के उन देशों में भी पाए जाते हैं जो पारम्परिक तौर पर बौद्ध देश नहीं हैं। अमेरिका में 4 मिलियन से अधिक और यूरोप में 2 मिलियन से अधिक बौद्ध हैं। इसके अलावा दुनियाभर के कई विश्वविद्यालयों में बौद्ध अध्ययन के कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं और बौद्ध धर्म तथा दूसरे धर्म विज्ञान, मनोविज्ञान तथा आयुुर्विज्ञान के बीच संवाद और वैचारिक आदान-प्रदान भी बढ़ रहा है। इस दृष्टि से दलाई लामा की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मंगोलिया चीन के उत्तर में, रूस और चीन के बीच बसा हुआ देश है। भले ही किरण रिजिजू की मंगोलिया यात्रा को सांस्कृतिक डिप्लोमेसी कहें मगर राजनीतिक रिश्तों के लिहाज से यह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत की तरफ से मंगोलिया को हमेशा विशेष महत्व दिया जाता है। इस मुहिम से भारत और ंमगो​िलया के रिश्ते और मजबूत होंगे क्योंकि मंगोलिया के लोगों के लिए भगवान बुद्ध से जुड़े हुए अवशेषों के दर्शन करने का एक विशेष महत्व और भावनात्मक लगाव भी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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