दिल्ली हाईकोर्ट की सहमति पर कनाडा सरकार लेगी बड़ा फैसला, 65 करोड़ की होगी वसूली
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कनाडा सरकार को भारतीय मूल के पूर्व कनाडाई नौकरशाह संजय मदान और उनके सहयोगियों के भारतीय बैंक खातों से 65.9 करोड़ रुपये वसूलने की अनुमति दी है। यह राशि उत्तर अमेरिकी देश में वर्तमान में चल रहे करोड़ों रुपये के गबन के एक मामले में वसूल की गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने 23 जून को आदेश पारित करते हुए इंडसइंड बैंक और आरबीएल बैंक को निर्देश दिया कि वे धनराशि हस्तांतरित करने से पहले अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रियाएं पूरी करें। अदालत ने सीमित अपवादों के साथ मदन के भारतीय खातों से सभी लेन-देन पर भी रोक लगा दी - जिसमें अनुमत धन प्रेषण और वैध दस्तावेजों द्वारा समर्थित कानूनी शुल्क का भुगतान शामिल है।
मदन को कोई आपत्ति नहीं, वकिल ने कोर्ट से कहा
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए संजय मदान ने फंड ट्रांसफर पर सहमति जताई। उनके वकील ने अदालत को बताया कि मदन के खातों में इंडसइंड बैंक में 38 करोड़ रुपये और आरबीएल बैंक में 29 करोड़ रुपये हैं और मदन ने धन प्रेषण पर कोई आपत्ति नहीं जताई। यह कार्रवाई ओंटारियो के शिक्षा मंत्रालय में पूर्व आईटी निदेशक मदन से जुड़े 290 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले से उपजी है। उन्होंने कथित तौर पर 2011 और 2020 के बीच शेल कंपनियों का उपयोग करके और COVID-19 राहत कार्यक्रमों का फायदा उठाकर 47.4 मिलियन कनाडाई डॉलर (CAD) की धोखाधड़ी की। दोषी करार दिए जाने के बाद अप्रैल 2023 में 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई, मदन ने दलील के तहत 30 मिलियन CAD वापस कर दिए और बाकी राशि 15 साल में चुकाने पर सहमति जताई। अनुपालन न करने पर उनकी सजा छह साल और बढ़ सकती है। कनाडाई सरकार ने नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 84 के तहत वसूली का मुकदमा दायर किया, जो विदेशी राज्यों को आधिकारिक सहमति से भारत में कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
अपनी सभी संपत्तियों का खुलासा करने का होगा, दिल्ली हाईकोर्ट
अदालत ने कई भारतीय बैंकों--जिनमें यस बैंक, कोटक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक शामिल हैं- को खाता होल्डिंग्स का विवरण देने वाले हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। संजय और एक अन्य आरोपी विधान मदन को भारत में अपनी सभी संपत्तियों का खुलासा करने का आदेश दिया गया।