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मनोज झा ने राज्यसभा में उठाया विश्वविद्यालयों में ठेका शिक्षकों का मामला

कई बार तो अपने बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के भीतर ही महिला शिक्षकों को कालेज में पढ़ने जाना पड़ता है क्योंकि वे अवकाश नही ले सकतीं।

07:38 AM Jun 28, 2019 IST | Desk Team

कई बार तो अपने बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के भीतर ही महिला शिक्षकों को कालेज में पढ़ने जाना पड़ता है क्योंकि वे अवकाश नही ले सकतीं।

राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने शुक्रवार को राज्यसभा में देश के विश्वविद्यालयों में तदर्थ और ठेका शिक्षकों का मामला उठाते हुए सरकार से उनकी समस्यायों को दूर करने की मांग की। मनोज झा ने सदन में शून्य कल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 20-20 साल 25-25 साल से तदर्थ शिक्षक काम कर रहे हैं और कई तो तदर्थ शिक्षक के रूप में सेवानिवृत भी हो गए। 
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दिल्ली विश्वविद्यालय में सैकड़ तदर्थ शिक्षक काम कर रहे है तो कुछ गेस्ट शिक्षक के रूप काम कर रहे है। उनका जीवन असुरक्षा और अनिश्चितता में बीत रहा है। कई बार तो अपने बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के भीतर ही महिला शिक्षकों को कालेज में पढ़ने जाना पड़ता है क्योंकि वे अवकाश नही ले सकतीं।
उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों में तो और भी बुरी स्थिति है। उन्हें पूरी तनखाह पर हस्ताक्षर करना होता है पर उन्हें पंद्रह-सोलह हत्रार रुपए ही मिलते हैं। उन्होंने कहा कि क्या इस व्यवस्था को दूर नही किया जा सकता है। सरकार इन तदर्थ और गेस्ट शिक्षकों की गणना कराये कि देश भर में ऐसे कितने शिक्षक काम कर रहे है और उनकी समस्यों को दूर करे आखिर वे कब तक इस तरह तदर्थ और गेस्ट या ठेका शिक्षक के रूप में काम करते रहेंगे।
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