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आज सभी दीवाली मनाएं...

जी हां, आज दीवाली है। आज हर घर में दीपक जलने चाहिएं। हर घर में उजाला होना चाहिए। आज से हम सब अंधकार से उजाले की तरफ चल रहे हैं।

12:12 AM Aug 05, 2020 IST | Kiran Chopra

जी हां, आज दीवाली है। आज हर घर में दीपक जलने चाहिएं। हर घर में उजाला होना चाहिए। आज से हम सब अंधकार से उजाले की तरफ चल रहे हैं।

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आज सभी दीवाली मनाएं
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जी हां, आज दीवाली है। आज हर घर में दीपक जलने चाहिएं। हर घर में उजाला होना चाहिए। आज से हम सब अंधकार से उजाले की तरफ चल रहे हैं। आज हमें देश के सभी निवासियों का, चाहे किसी भी धर्म, किसी भी जाति के हों, उनकी स्पोर्ट के लिए धन्यवाद करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद, जिसने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। उन लोगों का जिन्होंने इसके लिए अपने प्राण न्यौछावर किए, उन लोगों का जिन्होंने इसके लिए मुकदमों को सहा और सबसे बड़ा धन्यवाद मोदी जी का जिनके राज में यह हुआ। जब श्रीराम चन्द्र जी बनवास काट कर अयोध्या आए थे तो सबने घी के दीये जलाए थे, दीवाली मनाई थी। आज फिर रामचन्द्र जी अपने घर में वापस आ रहे हैं तो हम सब दीये जलाएंगे, दीवाली मनाएंगे, एक-दूसरे को मुबारक देंगे क्योंकि राम सबके हैं। सभी जाति, धर्म के लोगों के हैं। हर घर में राम हैं। सभी लोगों के रोम-रोम में बसें हैं राम। तन में राम, मन में राम, राम ही राम हैं। अयोध्या श्रीराम की है, लेकिन श्रीराम तो रहीम के भी हैं, पीर पैगम्बरों के भी हैं। रामचरित मानस के कई पहलु हैं, जिन कारणों से ही वह भारतीय संस्कृति का आधार बन गई। इसी कारण वह कई देशों में फैली है और वहां के जनजीवन में भी गहरे तरीके से बस गई। इसलिए राम केवल भारतवासियों या केवल हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं हैं बल्कि बहुत से देशों, जातियों के भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जो भारतीय भी नहीं हैं। रामायण में जो प्रतिक्रिया, संस्कार, मूल्य सामने आए हैं वे हर सीमाओं से ऊपर उठ गई। यहां तक कि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम राष्ट्र में नागरिक रामलीला का मंचन करते हैं।
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जब मैं छोटी होती थी, अक्सर अपनी मां से पूछती थी कि भगवान राम को सभी और आप इतना क्यों पूजते हो। उन्होंने तो अपनी पत्नी को छोड़ दिया था। बेचारी सीता मां का क्या कसूर था। उन्होंने तो अग्नि परीक्षा भी दी थी, तो मुझे हमेशा मेरी मां कहती थी कि पगली उस मर्यादा पुरुषोत्तम राम को तू धीरे-धीरे समझेगी, जिन्होंने अपने पिता के वचन को निभाते 14 साल का बनवास काटा, फिर प्रजा के विचार सुनने के बाद अपनी प्रिय पत्नी को त्याग दिया क्योंकि वो एक राजा थे, प्रजा की बात सुनते थे, न्यायप्रिय राजा थे। तभी तो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहते हैं। उन्होंने अपनी मर्यादाओं को कभी नहीं लांघा, हमेशा मर्यादा की रक्षा की। ऐसे त्यागी, बलिदानी बेटे जो एक अवतार थे, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को अपनी मर्यादा के आगे नहीं आने दिया। वो एक सफल आज्ञाकारी पुत्र, बड़े भाई और राजा थे।
बहुत सालों तक लोगों ने श्रीराम मंदिर बनने की प्रतीक्षा की। आज देश के हर कोने में खुशी की लहर है। लोग बधाइयां दे रहे हैं और ले रहे हैं। चाहे वे गरीब-अमीर हों, किसी भी जाति का हो। यहां तक कि विदेशों में रह रहे भारतीयों में भी पूरा जोश और उल्लास है। वहां से लोग व्हाट्सएप पर बधाई भेज रहे हैं। कई शहरों में उत्सव मनाए जा रहे हैं, कइयों ने मुझे अमेरिका से फोटो भेजी है।
जब मंदिर बन जाएगा, पूरी व्यवस्था हो जाएगी तो हम भी वरिष्ठ नागरिकों को जो जाना चाहेंगे, सबको साथ लेकर चलेंगे। जय श्रीराम।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का संकल्प करोड़ों हिन्दुस्तानियों का था। कइयों ने सालों व्रत रखे, पूजा की। हम सबको गर्व होगा कि हम सब इन पलों के साक्षी बनेंगे। आज कितना हर्ष होगा, क्या सीन होगा, चारों तरफ  पूजा-पाठ चलेंगे, मंदिरों में कीर्तन होंगे, घरों में उत्सव का माहौल होगा और रात में सभी रामभक्त घरों में दीपक जलाएंगे या रोशनी करेंगे, प्रसाद बांटेंगे। सोचो अगर सोशल डिस्टेंसिंग न होती तो करोड़ों की संख्या में लोग अयोध्या पहुंचते।
अब बात यह है क सभी की मेहनत से रामजी के आशीर्वाद से श्रीराम मंदिर बनने जा रहा है, तो हम सबको प्रण लेना होगा कि हम रामजी के आदर्शों पर चलेंगे, जिसकी आज बहुत जरूरत है।
आज्ञा पालन होगा तो वो दिन दूर नहीं जब हिन्दोस्तान में राम राज्य (यानि किसी को कोई चिंता नहीं) होगा। राम जैसे पुत्र होंगे, राम-लक्ष्मण जैसे भाई होंगे, लोग मर्यादाओं का पालन करेंगे और एक सुनहरे युग की शुरूआत होगी तथा देश सोने की चिडिय़ा ही नहीं सोने का शेर कहलाएगा।
जय श्रीराम।
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Kiran Chopra

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