खाद की कमी के लिए केंद्र और राज्य सरकार बराबर के दोषी: हुड्डा
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चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में हो रही यूरिया खाद की कमी के लिए केंद्र और राज्य सरकार बराबर की दोषी हैं। आज प्रदेश में खाद वितरण के लिए जिम्मेवार अधिकांश पैक्स के लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं हो पाया है जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नई नीति जिम्मेवार है। केन्द्र तथा राज्य सरकारों को नई नीति बनाने से पहले इन सोसाईटीज के लाईसेंस रिन्यू करने चाहिए थे, अन्यथा पुराने पैट्रन पर ही खाद का वितरण करना चाहिए था। भाजपा सरकार किसी न किसी बहाने चिंतन में तो मशगूल है पर उसे किसानों की चिंता नहीं है।
मंत्रालय ने जो नए नियम बनाये हैं, उसके अंतर्गत केवल उन्हीं डीलरज् को नए लाइसेंस जारी किए जाएंगे जिसने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से कृषि में विज्ञान स्नातक या रसायन में विज्ञान स्नातक या कृषि विज्ञान में डिप्लोमा या एमएएनएजीई, एनआईपीएचएम और सरकार द्वारा अनुमोदित संस्थान से छ: महीने का कृषि इनपुट में विशेष कोर्स किया होगा। इस कारण प्रदेशभर में भ्रम की स्थिति है। नई शर्तों के चलते डीलरज् को व सहकारी समितियों में उपरोक्त विषय के स्नातक पास को नियोजित करना अनिवार्य है। प्रदेश सरकार को सहकारी समितियों को इस अनिवार्यता से छुटकारा दिलाने के लिए पहल करनी चाहिए थी, जो उसने समय रहते नहीं की।
यही कारण है कि इन विषयों में स्नातकों की कमी के चलते ना नए लाइसेंस जारी हो पा रहे हैं ना ही समय पर सहकारी समितियों के लाईसेंसों का नवीनीकरण हुआ है। हुड्डा ने कहा कि इससे पहले भी प्रदेश के किसान भाजपा सरकार की उदासीनता के चलते काफी खामियाजा उठा चुके हैं। हरियाणा में भाजपा सरकार के गठन के समय भी किसानों को यूरिया खाद की भारी किल्लत झेलनी पड़ी थी, जिसका कारण केन्द्र से प्रदेश सरकार द्वारा अपने तय कोटे का यूरिया न उठाना था। नतीजन पुलिस थानों में खाद बटी और किसान को मजबूरी में ब्लैक में खाद खरीदनी पड़ी थी। आज खाद के मामले में लगभग वैसी ही स्थिति है। मैंने चन्द रोज पहले सरकार को खाद की कमी के मामले में चेताया भी था। मगर सरकार टिम्बर ट्रेल, हिमाचल में मौजमस्ती करती रही। एक तरफ भाजपा सरकार किसान की आय 2022 तक दोगुना करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ ऐसे फैसले ले रही है, जिससे किसान का कष्ट और कर्ज रोज बढ़ रहा है।
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(आहूजा)