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केंद्र के 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को कोरोना टीका लगाने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 45 वर्ष से अधिक आयु के केवल ‘‘प्राथमिकता वाले आयु समूहों’’ को कोविड-19 का टीका लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई है और सभी नागरिकों के लिए इसकी खुराक देने का अनुरोध किया गया है।

06:46 PM Apr 12, 2021 IST | Ujjwal Jain

उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 45 वर्ष से अधिक आयु के केवल ‘‘प्राथमिकता वाले आयु समूहों’’ को कोविड-19 का टीका लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई है और सभी नागरिकों के लिए इसकी खुराक देने का अनुरोध किया गया है।

केंद्र के 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को कोरोना टीका लगाने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
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उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 45 वर्ष से अधिक आयु के केवल ‘‘प्राथमिकता वाले आयु समूहों’’ को कोविड-19 का टीका लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई है और सभी नागरिकों के लिए इसकी खुराक देने का अनुरोध किया गया है।
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राजनीतिक कार्यकर्ता एवं स्तंभकार तहसीन पूनावाला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि देश में प्रतिदिन सामने आने वाले कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और नौ अप्रैल को 1.31 लाख नये मामले सामने आये थे। इसमें कहा गया है कि इससे सभी आयु समूहों और विशेष रूप से श्वसन बीमारियों जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कोविड-19 टीकाकरण के लिए अनुमति दिये जाने की आवश्यकता बढ़ गई है, जिन्हें वायरस की चपेट में आने के खतरे बावजूद टीके के जरिये संरक्षण का विकल्प नहीं दिया गया है।
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अर्जी में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि के बीच आयु-समूहों को लेकर यह मनमानी रोक… यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाना जरूरी हो गया है कि टीका केवल 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए ही उपलब्ध नहीं हो बल्कि 45 वर्ष से कम आयु के ऐसे सभी व्यक्तियों के लिए भी उपलब्ध हो जिन्हें ऐसे काम पर लगाया जाता है जिससे उन्हें हर दिन बाहर जाना पड़ता है और ऐसे उन सभी व्यक्तियों को भी, जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं।’’
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अर्जी में कहा गया है, ‘‘अन्य बीमारियों से पीड़ित होने के बावजूद 45 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को स्वीकृत टीके की उपलब्धता पर रोक मनमानी, अनुचित है, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है जो जीवन का अधिकार प्रदान करता है, यह अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है जिसमें सभी नागरिकों के लिए समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।’’ याचिका में देश के सभी नागरिकों को कोविड-19 का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह अपनी नीति में प्रभावी बदलाव करे।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने टीकाकरण के लिए दो टीकों के उपयोग को मंजूरी दी थी – सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। केंद्र ने टीकाकरण की आयु सीमा को कम कर दिया है जिससे एक अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग टीके ले सकते हैं। भारत में टीकाकरण के चरणों के तहत अब तक 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों, अन्य बीमारियों से पीड़ित 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों, चिकित्सा पेशेवरों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को इसमें शामिल किया गया है।
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