Char Dham Yatra: Aadhaar-आधारित पंजीकरण शुरू, तीर्थयात्रियों को मिलेगी आसानी
आधार प्रमाणीकरण से चार धाम यात्रा का पंजीकरण हुआ आसान
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए आधार-आधारित पंजीकरण शुरू हो गया है। इससे पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी आएगी और तीर्थयात्रियों के अनुभव में सुधार होगा। अब तक 750,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। यह कदम पंजीकरण की दोहराव को रोकने और संसाधनों की बेहतर योजना में मदद करेगा।
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के शुरू होने से पहले कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे है। यात्रियों के लिए सुविधा के लिए कई पहल के तहत कार्य किया जा रहा है। अब इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक, चार धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए पंजीकरण करने के लिए आधार प्रमाणीकरण और ईकेवाईसी की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य पंजीकरण के समय को कम करना और तीर्थयात्रियों के लिए चार धाम यात्रा के अनुभव को बढ़ाना है।
आधार कार्ड से आधारित ऑनलाइन पंजीकरण तीर्थ यात्रियों के साथ ही अधिकारी के लिए भी महत्वपूर्ण है। अधिकारी भी तीर्थयात्रियों की गतिविधियों की निगरानी कर सकते हैं, मंदिरों में भीड़भाड़ से बचने के लिए बेहतर तैयारी कर सकते हैं और विशेष रूप से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम संबंधी सूचना प्रवाह में सुधार कर सकते हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण 20 मार्च को शुरू हुआ और आज सुबह तक 750,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने आधार-आधारित ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा का लाभ उठाया है।
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इस कदम से पंजीकरण की दोहराव को रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है, जिससे अधिक तीर्थयात्रियों को यात्रा करने का अवसर मिलेगा साथ ही आधार-आधारित डिजिटल सत्यापन से पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी आने और कागजी कार्रवाई कम होने की उम्मीद है साथ ही निर्दिष्ट केंद्रों पर ऑफ़लाइन पंजीकरण भी जारी रहेगा।
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बता दें कि आधार से जुड़ा पंजीकरण पंजीकृत तीर्थयात्रियों की वास्तविक संख्या के आधार पर आवास, परिवहन, भोजन और चिकित्सा सहायता की बेहतर योजना और प्रबंधन में भी मदद कर सकता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी और कमी पर अंकुश लग सकता है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह आपातकालीन स्थिति को बेहतर ढंग से संबोधित करने में भी मददगार हो सकता है क्योंकि यह तीर्थयात्रियों और अधिकारियों के बीच समन्वय को और बेहतर बना सकता है