बलुआ पत्थर से Atomic Bomb बनाएगा चीन! जानें क्या है इसके पीछे का सच
चीन ने अपनी परमाणु ऊर्जा (Atomic Bomb) और सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। चीन की सरकारी ऊर्जा कंपनी ने हाल ही में बलुआ पत्थर की परतों से यूरेनियम निकालने में सफलता हासिल की है। यह खनिज धरती के 6,000 फीट (लगभग 1820 मीटर) नीचे पाया गया है।
चीन की सरकारी कंपनी नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन (CNNC) ने झिंजियांग प्रांत के तारिम बेसिन में यूरेनियम से भरपूर बलुआ पत्थर का बड़ा भंडार खोज निकाला है। यह बलुआ पत्थर औद्योगिक स्तर पर उपयोग योग्य यूरेनियम से भरपूर है। इसके जरिए चीन को अब यूरेनियम आयात पर कम निर्भर रहना पड़ेगा।
बलुआ पत्थर से यूरेनियम निकालना सस्ता
यूरेनियम आमतौर पर ज्वालामुखी चट्टानों या ग्रेनाइट में पाया जाता है, लेकिन उन्हें निकालना महंगा होता है। इसके मुकाबले बलुआ पत्थर से (Atomic Bomb) यूरेनियम निकालना आसान और सस्ता होता है। हालांकि चीन में अब तक बलुआ पत्थर को निम्न गुणवत्ता का माना जाता था, लेकिन अब नई तकनीक की मदद से इसे उपयोगी बनाया जा रहा है।
चीन की मौजूदा जरूरत और उत्पादन
चीन अभी अपनी अधिकांश यूरेनियम जरूरतें आयात से पूरी करता है। साल 2024 में चीन ने करीब 1700 टन यूरेनियम का घरेलू उत्पादन किया, जबकि 13,000 टन यूरेनियम का आयात किया गया। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के अनुसार, 2040 तक चीन को सालाना 40,000 टन यूरेनियम की जरूरत होगी। Atomic Bomb
चीन में Atomic Bomb
चीन में 55 से ज्यादा परमाणु रिएक्टर चालू हैं और 20 से अधिक निर्माणाधीन हैं। इनसे अभी देश की कुल बिजली की खपत का केवल 5% उत्पादन होता है। लेकिन चीन की योजना है कि 2050 तक 20% से ज्यादा बिजली परमाणु स्रोतों से पैदा की जाए। इसके साथ ही चीन अपने परमाणु हथियारों का भंडार भी बढ़ा रहा है। मौजूदा समय में चीन के पास लगभग 500 परमाणु वॉरहेड हैं और 2035 तक इसे 1000 से अधिक करने का लक्ष्य है।(Atomic Bomb)
ये भी देखें-India vs Pakistan: पाकिस्तान को फिर सताया भारत की एयरस्ट्राइक का डर,एयरस्पेस हुए बंद
‘इन सीटू लीचिंग’ तकनीक से निकलेगा यूरेनियम
Atomic Bomb: बलुआ पत्थर से यूरेनियम निकालने के लिए चीन ने ‘इन सीटू लीचिंग’ नामक तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन को मिलाकर एक घोल बनाया जाता है, जिसे पत्थरों पर डाला जाता है। यह रसायन यूरेनियम को घोलकर सतह तक ले आता है, जहां से मशीनों की मदद से इसे अलग कर लिया जाता है। वहीं चीन ने कुछ समय पहले समुद्र के पानी से भी यूरेनियम निकालने की तकनीक विकसित की थी। हालांकि, इस तकनीक का अभी व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है, लेकिन यह भविष्य में एक और विकल्प हो सकता है।
यह भी पढ़ें-Iran ने परमाणु कार्यक्रम पर फिर दिखाई अमेरिका-यूरोप को आंख! बनाया ये खूंखार प्लान
Iran ने एक बार फिर दोहराया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। तेहरान ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव का जवाब देने के लिए रूस और चीन के साथ अपने रिश्ते और मजबूत कर लिए हैं। इसी रणनीति के तहत हाल ही में तेहरान में ईरान, रूस और चीन के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों की बैठक हुई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान में हुई इस बैठक में तीनों देशों ने पश्चिमी देशों की रणनीति का मिलकर सामना करने पर चर्चा की। यह बैठक JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) के मुद्दे पर पश्चिमी देशों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के जवाब में काफी अहम मानी जा रही है। Iranने यह स्पष्ट किया कि अब वह “मांग आधारित कूटनीति” अपनाएगा यानी अब वह अपनी राष्ट्रीय जरूरतों और हितों को प्राथमिकता देगा, न कि किसी बाहरी दबाव को। (Atomic Bomb)
Iran और यूरोपीय देशों की बातचीत
शुक्रवार को इस्तांबुल में ईरान और यूरोपीय देशों, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (E3) के बीच बातचीत प्रस्तावित है। यह बातचीत अमेरिका के अप्रत्यक्ष दबाव में हो रही है, जहां पश्चिमी देश ईरान को JCPOA के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं। (Atomic Bomb)
Iran की दो टूक
ईरान के विदेश मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके देश को यूरेनियम संवर्धन (enrichment) का पूरा हक है, और वह किसी भी कीमत पर इससे पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब सिर्फ ईरान को दोषी ठहराना बंद किया जाए, और जो देश आरोप लगा रहे हैं, उन्हें अपने आचरण का स्पष्टीकरण देना चाहिए। (Iran)