अमेरिका की Tariff धमकी से नहीं डरा चीन! ट्रंप को दे दिया मुंहतोड़ जवाब, जानें क्या कहा?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन को चेतावनी दी गई है कि अगर वह रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो उस पर "सेकेंडरी Tariff" (दूसरे स्तर का शुल्क) लगाया जा सकता है। इस पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने शुक्रवार को एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान साफ किया कि चीन का रूस समेत अन्य देशों के साथ ऊर्जा और व्यापारिक सहयोग पूरी तरह कानूनी और वैध है। उन्होंने कहा, "चीन की नीति स्पष्ट और स्थिर है। हम अपने राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाते रहेंगे।"
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में यह संकेत दिया कि अगर चीन रूस से तेल खरीदना नहीं रोकता, तो अमेरिका उस पर अतिरिक्त शुल्क (Tariff) लगा सकता है। उन्होंने कहा कि यह वैसा ही हो सकता है जैसा उन्होंने भारत के साथ किया। "मैं अभी यह नहीं कह सकता, लेकिन यह संभव है। हमने पहले भारत के साथ यह कदम उठाया था, और शायद हम कुछ और देशों के साथ भी ऐसा करें। चीन उनमें से एक हो सकता है,"
चीन ने Tariff के इस्तेमाल का किया विरोध
गुरुवार को चीनी प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने Tariff के दुरुपयोग का विरोध किया और कहा कि चीन की स्थिति इस मामले में हमेशा साफ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन अनुचित आर्थिक दबाव के खिलाफ है और हर देश को अपने ऊर्जा स्रोतों को चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
भारत पर भी Tariff, सरकार ने जताई नाराजगी
ट्रंप ने हाल ही में भारत पर भी 25 प्रतिशत अतिरिक्त Tariff लगाने की घोषणा की है। यह शुल्क(Tariff) पहले से लागू 25 प्रतिशत शुल्क के अलावा होगा, जो 20 जुलाई से लागू हुआ था। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से लगातार तेल खरीद रहा है, इसीलिए यह कदम उठाना पड़ा। भारत सरकार ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश मंत्रालय ने इसे "अनुचित, अन्यायपूर्ण और भारत की ऊर्जा जरूरतों के खिलाफ" बताया है। मंत्रालय का कहना है कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और ऊर्जा सुरक्षा का सम्मान किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी का बयान: किसानों के हितों से समझौता नहीं
दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा, "हम कभी भी किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे, चाहे इसकी कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े।" पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश की ऊर्जा नीतियों का निर्धारण भारत की जरूरतों और लोगों के हितों को ध्यान में रखकर ही किया जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिन आयात शुल्कों (Tariff) को विदेश नीति का हथियार बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं, अब वही कदम अमेरिका के लिए नई मुसीबत बनते दिख रहे हैं। ट्रंप का मकसद था कि इन भारी शुल्कों के जरिए रूस पर दबाव बने, भारत जैसे देशों से अपने पक्ष में रियायतें ली जाएं, और चीन की उत्पादन क्षमता को कमजोर किया जाए। लेकिन अब इसका असर उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा से बातचीत की। दोनों नेता उन देशों में शामिल हैं जिन पर अमेरिका ने 50% तक Tariff लगाए हैं। इस बातचीत में व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, रक्षा, कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। ब्राजील ने अमेरिका की टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना भी की है।
चीन भी हुआ मुखर
अमेरिका की Tariff नीति पर चीन भी खुलकर विरोध जता रहा है। भारत में चीन के राजदूत ने कहा कि टैरिफ का इस तरह से इस्तेमाल करना अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। चीन ने इशारा दिया कि वो भारत और ब्राजील जैसे देशों के साथ खड़ा रहेगा। खास बात ये भी है कि प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही चीन जाने वाले हैं, जहां वे SCO सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।