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सिविल सर्विसेज : देश का स्टील फ्रेम

सिविल सेवा शब्द ब्रिटिश समय का है, जब ​ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के नागरिक, कर्मचारी प्रशासनिक नौकरियों में शामिल थे और उन्हें लोक सेवक के रूप में जाना जाता था। इसकी नींव वारेन हेस्टिंग्स द्वारा रखी गई थी और बाद में चार्ल्स कार्नवालिस द्वारा और अधिक सुधार किए गए थे

03:10 AM Jun 01, 2022 IST | Aditya Chopra

सिविल सेवा शब्द ब्रिटिश समय का है, जब ​ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के नागरिक, कर्मचारी प्रशासनिक नौकरियों में शामिल थे और उन्हें लोक सेवक के रूप में जाना जाता था। इसकी नींव वारेन हेस्टिंग्स द्वारा रखी गई थी और बाद में चार्ल्स कार्नवालिस द्वारा और अधिक सुधार किए गए थे

सिविल सर्विसेज   देश का स्टील फ्रेम
सिविल सेवा शब्द ब्रिटिश समय का है, जब ​ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के नागरिक, कर्मचारी प्रशासनिक नौकरियों में शामिल थे और उन्हें लोक सेवक के रूप में जाना जाता था। इसकी नींव वारेन हेस्टिंग्स द्वारा रखी गई थी और बाद में चार्ल्स कार्नवालिस द्वारा और अधिक सुधार किए गए थे और इसलिए उन्हें भारत में सिविल सेवा के जनक के तौर पर जाना जाता है। भारत में सिविल सेवा में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और अखिल भारतीय सेवाओं और केन्द्रीय सेवाओं की ए और बी ग्रुप की व्यापक सूची शामिल है।
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भारत में सिविल सेवा की अवधारणा 1854 में ब्रिटिश संसद में लार्ड मैकाले की रिपोर्ट के बाद रखी गई। 1856 में प्रतियोगी परीक्षाएं शुरू की गईं। शुरूआत में भारतीय सिविल सेवकों की परीक्षाएं केवल लंदन में होती थीं। आम भारतीयों के लिए तो यह बूते से बाहर ही था। फिर भी परीक्षा पास करने वालों में भारतीयों की संख्या काफी थी। आईसीएस परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्र नाथ टैगोर जिन्होंने 1864 में यह सफलता प्राप्त की थी। भारत में भारतीय सिविल सेवकों की परीक्षाएं 1922 में शुरू हुईं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा तो पास कर ली थी लेकिन उन्होंने इस सेवा के तहत काम करने से इंकार कर दिया था ​िजससे इनके सिद्धांतों, मूल्यों और निष्ठा का पता चलता है। सर वेनेगल नरसिंहराव आईसीएस अधिकारी बने, जिन्हें भारत के स्वतंत्र होने से एक वर्ष पहले 1 जुलाई 1946 को संविधान सलाहकार नियुक्त किया गया था। स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दिल्ली में मैटकाफ हाउस में प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित किया था और उन्होंने सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा था। सिविल सेवा वह सेवा है जो देश की सरकार के लोक प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। सिविल सेवा वह स्तम्भ है जिस पर सरकार देश की नीतियों और कार्यक्रमों का सुचारू रूप से संचालन करती है। समाज और राष्ट्र के​ लिए सिविल सेवकों के योगदान को कुछ शब्दों से ही व्यक्त नहीं किया जा सकता।
स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक ऐसे अधिकारियों की सूची काफी लम्बी है, जिन्होंने जनता के कल्याण के लिए  जीवनभर अपनी सेवाएं समर्पित कीं। संघ लोक सेवा आयोग ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार सुधार किया और इनमें हिन्दी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रमुखता दी। समय-समय पर परीक्षाओं में बदलाव को प्राथमिकता दी जिससे इन परीक्षाओं का स्वरूप ही बदल गया। संघ लोक सेवा आयोग और विभिन्न राज्यों के राज्य लोक सेवा आयोग संवैधानिक संस्थाएं हैं और आज भारतीय युवाओं के पास अधिकारी बनने के अवसर काफी ज्यादा हैं। अब केवल शहरी क्षेत्रों से ही युवा अधिकारी नहीं बन रहे बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चे भी आईएएस और आईपीएस और विदेश सेवा के अधिकारी बन रहे हैं। आजकल ऐसी खबरें भी पढ़ने को ​िमल जाती हैं कि रिक्शा चालक या किसी श्रमिक की बेटी या बेटे सिविल सेवा परीक्षाओं में टॉप कर रहे हैं।
पिछले दिनों  की बात करें तो मजदूर का बेटा विशाल कुमार  भी आईएएस परीक्षा में सफल हुआ है। मुजफ्फरपुर के दिवंगत मजदूर का बेटा जिसने अपनी लगन और ​मेहनत से तमाम असुविधाओं को दरकिनार कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना है।
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यद्यपि इस वर्ष की सिविल सेवा परीक्षा में श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल, गामिनी सिंगला ने पहले तीन स्थानों पर कब्जा कर लिया है लेकिन कई प्रतिभाएं ऐसी हैं जिन्होंने सफल होने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट में जगह बनाई है। दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले सम्यक एस. जैन आंखों से देख नहीं सकते लेकिन उन्होंने मां और दोस्त की मदद से परीक्षा में सातवीं रैंक हासिल की। सिविल सेवा परीक्षाओं में अब झारखंड जैसे राज्यों के बच्चे भी अच्छी जगह बनाने लगे हैं। कोई शिक्षक का बच्चा है तो कोई मध्यम परिवार का। कई घंटों की कड़ी मेहनत, लगन और फिक्स टारगेट से पीलीभीत की ऐश्वर्य वर्मा ने चौथी रैंक लाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। यद्यपि अनेक बच्चों के परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न हैं और कुछ के परिवार मध्यम वर्ग के हैं लेकिन सिविल सेवा की परीक्षाएं पास करना आसान नहीं होता। परिणामों में ईडब्ल्यूएस में 73, औबीसी में 203, एससी 105 और एसटी वर्ग में सात उम्मीदवार शामिल हैं। यूपीएस सिविल सेवा के जरिये अब उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। सिविल सेवा के अधिकारियों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आयोजन, आपदा प्रबंधन, सड़क और  रेल जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं के ​निर्माण और  रखरखाव में तथा राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने जैसे राष्ट्रीय महत्व की अनेक गतिविधियों में अहम भूमिका​ निभाई है। सभी सफल उम्मीदवारों को पंजाब केसरी की तरफ से शुभकामनाएं और  साथ ही इन से यह उम्मीद भी है कि वे अपने दायित्वों के प्रति सजग रहेंगे और प्रशासनिक व्यवस्था का स्टील फ्रेम बनकर जनता को अपनी सेवाएं देंगे।
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