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'कोविड में भी पराली जली, तब नीला आसमान क्यों दिखा?' दिल्ली प्रदूषण पर CJI सूर्यकांत का कड़ा सवाल

04:55 PM Dec 01, 2025 IST | Bhawana Rawat

CJI On Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को हुई सुनवाई में सीजेआई सूर्यकांत ने साफ कहा कि अब यह मामला सिर्फ अक्टूबर में ही सूचीबद्ध नहीं होगा, बल्कि पूरे साल नियमित रूप से इसकी सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि कम से कम महीने में दो बार इस मुद्दे पर सुनवाई होगी ताकि हालात बेहतर करने के लिए प्रभावी कदम तत्काल उठाए जा सकें।

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Surya Kant On Air Pollution: 'पराली का मुद्दा राजनीति का विषय नहीं बनना चाहिए'

Surya Kant On Air Pollution (Image- Social Media)

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने देश की वायु गुणवत्ता की वास्तविक स्थिति और उसके वैज्ञानिक विश्लेषण पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर सबसे ज्यादा प्रदूषण किस कारण से हो रहा है? उन्होंने कहा कि अदालत पराली जलाने पर टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि किसानों का प्रतिनिधित्व अक्सर अदालत में कम होता है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कोविड काल में भी पराली जलाई जा रही थी, लेकिन तब लोगों को साफ और नीला आसमान देखने को मिल रहा था।

इसलिए पराली का मुद्दा राजनीतिक या अहंकार का विषय नहीं बनना चाहिए। CJI ने कहा कि किसान जो कुछ भी जला रहा है, वह भी एक तरह की संपत्ति है, इसलिए इसे राजनीतिक बहस का विषय न बनाया जाए कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसंबर तय की है।

Delhi Air Pollution: हवा तुरंत सुधारने का शॉर्ट टर्म प्लान क्या है?

सुनवाई के दौरान CJI ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) से पूछा कि दिल्ली-एनसीआर की हवा तुरंत सुधारने के लिए उनका शॉर्ट टर्म प्लान क्या है। इस पर सीएक्यूएम की ओर से अदालत को बताया गया कि वे पहले ही शॉर्ट टर्म प्लान से जुड़ा हलफनामा दाखिल कर चुके हैं।

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एश्वर्या भाटी ने कहा कि सभी एजेंसियों (हरियाणा, पंजाब, सीपीसीबी और अन्य) की रिपोर्ट के आधार पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल कर सकती है।

'हम हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते'

सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को दिया निर्देश (Image- Social Media)

सीजेआई ने कहा कि अदालत का उद्देश्य किसी भी पक्ष पर आरोप लगाना नहीं बल्कि समाधान ढूंढना है। हम हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते। हम सभी स्टेकहोल्डर्स को एक ऐसा प्लेटफॉर्म दे सकते हैं जहां वे मिलकर सोच-विचार कर समाधान निकाल सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर ऐसी रिपोर्ट दाखिल करे जिसमें पराली जलाने के अलावा प्रदूषण के अन्य कारणों को रोकने के लिए उठाए गए प्रभावी और ठोस कदमों का पूरा विवरण हो।

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