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आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा

दुनिया भर के देशों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बयानबाजी के बावजूद दुनिया के कोने-कोने से आतंकी हमलों से जुड़े समाचार मिलते रहते हैं।

12:40 AM Nov 02, 2022 IST | Aditya Chopra

दुनिया भर के देशों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बयानबाजी के बावजूद दुनिया के कोने-कोने से आतंकी हमलों से जुड़े समाचार मिलते रहते हैं।

दुनिया भर के देशों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बयानबाजी के बावजूद दुनिया के कोने-कोने से आतंकी हमलों से जुड़े समाचार मिलते रहते हैं। आतंकी संगठन नई-नई तकनीक अपनाकर पहले से कहीं अधिक दुर्दांत हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद और संगठित अपराधों के मध्य गहरा संबंध विकसित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अभी तक अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद की सार्वभौमिक और सर्वमान्य परिभाषा तय नहीं कर सकी है। ऐसा कई बार महसूस होता है कि सुरक्षा परिषद का अब कोई महत्व नहीं रह गया और यह केवल वीटो पावर वाले देशों का क्लब बनकर रह गया है। भारत काफी अरसे से जी-20, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन आदि मंचों पर आतंकवाद की परिभाषा तय करने का प्रस्ताव ला चुका है और इसे तय करने के लिए राष्ट्रों से अपील भी कर चुका है।  आतंकवाद की परिभाषा के अलग-अलग राजनीतिक और वैचारिक अर्थ बताए जा रहे हैं। किसी देश में आतंकवादी दूसरों के लिए स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है और किसी के लिए अपराधी। संयुक्त राष्ट्र के कई प्रयासों के बावजूद सभी देश आतंकवाद की परिभाषा पर एकमत नहीं हुए हैं।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अक्तूबर 2004 के अपने रिजॉल्यूशन 1566 में इस परिभाषा को विस्तृत करते हुए कहा है कि आतंकवादी कृत्य ‘‘आपराधिक कृत्य है, ​जिसमें नागरिकों के खिलाफ, मौत या गम्भीर शारीरिक चोट या बंधक बनाने के इरादे से प्रतिबद्ध है। आम जनता में या व्यक्तियों या विशेष व्यक्तियों के समूह में आतंक की​ स्थिति को भड़काने के उद्देश्य से, किसी आबादी को डराना या किसी सरकार या अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य  करने या करने के लिए मजबूर करना एक आतंकवादी कृत्य है।’’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस ​रिजॉल्यूशन में इस बात का भी उल्लेख किया है कि इस तरह के कृत्य ‘‘किसी भी परिस्थिति में राजनीतिक, दार्शनिक, वैचारिक, नस्लीय, जातीय, धार्मिक या अन्य समान प्रकृति के विचारों से उचित नहीं हैं।’’ संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद पर तो अपनी परिभाषा जाहिर कर दी लेकिन अभी तक पड़ोसी देशों द्वारा प्रायोजित छद्म आतंकवाद को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर सका है।
अमेरिका ने 2019 में आतंकवाद पर देशों की रिपोर्ट पेश की थी जिसमें आतंकवाद के प्रायोजकों के रूप में नामित देश के लिए प्रासंगिक 2019 के दौरान की घटनाओं का एक लेखा-जोखा दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक के रूप में नामित करने के लिए, सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को यह निर्धारित करना होगा कि ऐसे देश की सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिए बार-बार समर्थन प्रदान किया हो।
संयुक्त राष्ट्र परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति की दो ​दिवसीय विशेष बैठक मुम्बई में सम्पन्न हुई जिसमें एक बार फिर भारत ने अपनी आवाज बुलंद की। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से प्रचार, कट्टरता और  षड्यंत्र के सिद्धांतों को फैलाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों के टूलकिट में शक्तिशाली उपकरण बन गए हैं। आतंकवादियों द्वारा बड़ी संख्या में ड्रोन का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। भारत का संकेत सीधा पाकिस्तान की तरफ था। 
भारत में ऐसी अनेक घटनाएं रोज हो रही हैं जिनसे हमारी सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाता है। पाकिस्तान से आए ड्रोन न केवल ड्रग्स बल्कि हथियार भी गिरा रहे हैं। ड्रोन के उपयोग से आतंकवादी हमलों का भय भी बना रहता है। भारत अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर 2008 के मुम्बई हमलों को लेकर पाकिस्तान को नग्न कर चुका है। लेकिन पाकिस्तान लगातार आतंक की खेती कर रहा है और वहां के हुकुमरानों ने आतंकवाद के सरकारी नीति बना लिया है। वहां स्टेट और नॉन स्टेट एकर्ट्स में कोई अंतर नहीं रह गया है। वीटो पावर वाले देश अपने कूटनीतिक हितों को साधने के​ लिए ढुलमुल रवैया अपनाते हैं। अमेरिका और कई अन्य देश पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाते रहे हैं और समय-समय पर पाकिस्तान पर डॉलर बरसाते रहे हैं। चीन तो हमेशा पाकिस्तान का बचाव करता आ रहा है। भारत में हमलों को अंजाम देने वाले पाकिस्तान के सरगनाओं को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन लगातार वीटो लगाता रहा है।
भारत का स्टैंड स्पष्ट है कि आतंकी बस आतंकी होते हैं, उन्हें अच्छे या बुरे श्रेणियों में नहीं बांटा जा सकता। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र परिषद को एक सर्वमान्य परिभाषा तय करनी चाहिए। वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी होगी और सभी देशों को उनके ​खिलाफ कार्रवाई करने के लिए काम करना होगा। अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपे बैठे ओसामा ​िबन लादेन को मारकर 9/11 हमले का प्रतिशोध तो ले लिया लेकिन वो दूसरे देशों की चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं देता। 2000 के दशक में संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है। दुनिया को दिखाने के​ लिए पाकिस्तान एक्शन की नौटंकी करता है लेकिन आतंकी भारत के खिलाफ साजिशें जारी रखे हुए हैं। भारत ने एक बार फिर आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा तय करने की मांग की है जिसमें पड़ोसी देशों द्वारा प्रायोजित छदम आतंकवाद पर भी स्पष्ट रुख शामिल है। देखना होगा कि सुरक्षा परिषद के देश क्या रुख अपनाते हैं। अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता तो इसका महत्व ही क्या है?
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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