राहुल के कमजोर नेतृत्व से पिछड़ती कांग्रेस
कांग्रेस के कमतर प्रदर्शन के पीछे हाईकमान का कमजोर होना सबसे बड़ा कारण…
कांग्रेस के कमतर प्रदर्शन के पीछे हाईकमान का कमजोर होना सबसे बड़ा कारण है। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी का वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर कोई नियंत्रण नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए सरकार द्वारा नामित पांच कांग्रेस नेताओं में से केवल पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ही पार्टी के एक वफादार सिपाही की तरह तब तक पीछे रहे, जब तक कि गांधी ने उन्हें जाने के लिए हरी झंडी नहीं दे दी। बगावती तेवर दिखा रहे कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उत्साहपूर्वक ट्वीट करके सबसे पहले हां कहा और घोषणा की कि प्रतिनिधिमंडल में से एक का नेतृत्व करना उनके लिए “सम्मान की बात” है।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार द्वारा प्रायोजित प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के अपने फैसले को सही ठहराने के लिए ‘राष्ट्र के आह्वान’ का हवाला दिया। अपने ट्वीट में, तिवारी ने 1975 की बॉलीवुड फिल्म आक्रमण के लिए किशोर कुमार द्वारा गाए गए देशभक्ति गीत की एक क्लिप पोस्ट की। उन्होंने गीत से जो शब्द इस्तेमाल किए हैं, वे हैं -देखो वीर जवानों अपने खून पे ये इल्जाम न आये, मां ना कहे कि वक्त पड़ा तो बेटे काम न आये। उनके एक्स पोस्ट में कहा गया है कि यह पंक्ति हमें बताती है कि राष्ट्र की पुकार का जवाब कैसे दिया जाए। दो वरिष्ठ नेताओं और सांसदों द्वारा प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का स्वत: निर्णय लेने के बाद, कांग्रेस नेतृत्व ने टकराव को भड़काने से जल्दबाजी में खुद को पीछे खींच लिया। इसने सभी नामित लोगों को आगे बढ़ने की पूरी अनुमति दे दी। खुर्शीद जिस प्रतिनिधिमंडल के सदस्य हैं, वह जापान, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया और कोरिया गणराज्य के लंबे दौरे पर जाने वाले पहले प्रतिनिधिमंडलों में से एक था।
सीजेआई के प्रोटोकॉल को कैसे भूल गये फडणवीस
यह चौंकाने वाली बात है कि महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को ‘स्थायी राज्य अतिथि’ का दर्जा नहीं दिया, जब वे शपथ ग्रहण के तुरंत बाद अपने गृह राज्य का दौरा कर रहे थे। इस चूक के कारण ही कोई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उनका स्वागत करने नहीं आया। न ही उन्हें औपचारिक स्वागत, पूर्ण सुरक्षा और प्रोटोकॉल के अन्य सम्मान दिए गए, जिनका सीजेआई रैंक के व्यक्ति के राज्य के दौरे पर पालन किया जाना चाहिए। सबसे ज्यादा हैरानी की बात है कि उन्हें खुद ही इस बात की ओर ध्यान दिलाना पड़ा और मीडिया के माध्यम से विरोध दर्ज कराना पड़ा।
इसके बाद भी फडणवीस सरकार को नींद से जागने और उन्हें स्थायी राज्य अतिथि का दर्जा देने में दो दिन लग गए, ताकि उन्हें पूरे औपचारिक सम्मान के साथ विदा किया जा सके, जिसमें उन शीर्ष सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति भी शामिल थी, जो उनके मुंबई पहुंचने पर गायब थे। यह चूक निश्चित रूप से अक्ष्मय है।
उन्होंने अपने वर्तमान कार्यकाल से पहले पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है और प्रोटोकॉल नियमों और विनियमों से पूरी तरह वाकिफ हैं। महाराष्ट्र में चर्चा है कि सीएम अपने नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की आंतरिक राजनीति में इतने फंसे हैं कि उनके पास प्रशासनिक मांगों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है।
बिहार में राहुल गांधी -प्रशांत किशोर की सक्रियता नीतीश के लिये खतरे की घंटी
राहुल गांधी पिछले पांच महीनों में चार बार चुनावी राज्य बिहार का दौरा कर चुके हैं। कांग्रेस के लोगों का कहना है कि इन यात्राओं की आवृत्ति अभूतपूर्व है और यह इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की स्थिति को बेहतर बनाने के साथ-साथ सहयोगी राजद के साथ मिलकर एनडीए से बिहार को वापस छीनने के उनके दृढ़ संकल्प का संकेत है। कांग्रेस ने पांच साल पहले 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसे सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी और विपक्षी गठबंधन को निराश करने और उसे चुनाव हारने के लिए व्यापक रूप से दोषी ठहराया गया था। ऐसा लगता है कि गांधी इस बार ऐसी स्थिति को दोहराने से रोकने के मिशन पर हैं। इसलिए पहलगाम हत्याकांड के बाद भीषण गर्मी और भारत-पाक तनाव के बावजूद, उनका ध्यान बिहार पर है।