W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

Congress को सोचना चाहिए कि कौन हो पार्टी का चेहरा: Sharmistha Mukherjee

12:53 PM Feb 06, 2024 IST | Yogita Tyagi
congress को सोचना चाहिए कि कौन हो पार्टी का चेहरा  sharmistha mukherjee
Advertisement

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सोमवार को 17वें राजस्थान के जयपुर शहर में हो रहे लिटरेचर फेस्टिवल से इतर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmistha Mukherjee) ने पत्रकारों से, कहा कि कांग्रेस को सोचना चाहिए कि किसे अपना चेहरा पेश किया जाए। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हारी जब राहुल गांधी पार्टी का चेहरा थे। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को कहा, अगर कोई पार्टी किसी विशेष नेता के नेतृत्व में लगातार हार रही है, तो पार्टी के लिए इस बारे में सोचना जरूरी है। कांग्रेस को इस बारे में सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।

  • कांग्रेस को सोचना चाहिए कि किसे अपना चेहरा पेश किया जाए- शर्मिष्ठा मुखर्जी
  • पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी बुरी तरह हारी- शर्मिष्ठा मुखर्जी
  • कांग्रेस को ध्यान रखने की जरूरत 2014 और 2019 में राहुल बुरी तरह हारे- शर्मिष्ठा

बुरी तरह हारे थे राहुल- शर्मिष्ठा मुखर्जी

उन्होंने कहा, कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि 2014 और 2019 में राहुल गांधी बहुत बुरी तरह से हारे थे, वह कांग्रेस का चेहरा थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं, जबकि 2014 के चुनाव में उसे 44 सीटें मिलीं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके दिवंगत पिता विभिन्न विचारधाराओं के साथ संवाद करने को महत्व देते थे, भले ही कोई इसका विरोधी हो। उन्होंने कहा, मेरे पिता मानते थे कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, हो सकता है कि आप उनकी विचारधारा से सहमत न हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व गलत है। इसलिए संवाद होना जरूरी है।

अपने पिता के बारे में बोलीं शर्मिष्ठा

'प्रणब माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स' की लेखिका शर्मिष्ठा मुखर्जी ने साझा किया कि जब उनके पिता सक्रिय राजनीति में थे, तो उनमें संसद में गतिरोध के मामलों में अन्य पार्टी सदस्यों के साथ चर्चा करने की क्षमता थी। उन्होंने कहा, जब मेरे पिता सक्रिय राजनीति में थे, तो उन्हें सर्वसम्मति का जनक माना जाता था, क्योंकि संसद में गतिरोध के दौरान अन्य पार्टी के सदस्यों के साथ चर्चा करने का उनमें यह गुण था।
उन्होंने कहा, लोकतंत्र सिर्फ बोलने के बारे में नहीं है, दूसरों को सुनना भी बहुत महत्वपूर्ण है। प्रणब मुखर्जी विचारधारा थी कि लोकतंत्र में संवाद होना चाहिए।

RSS कार्यक्रम को लेकर पिता से हुआ मतभेद

पूर्व राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निमंत्रण स्वीकार करने का कारण बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, यदि कोई आरएसएस प्रचारक भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में आया है, तो आप विचारधारा या संगठन को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसलिए, उन्होंने आरएसएस के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और उनके मंच पर उन्होंने कांग्रेस की विचारधारा, इसकी बहुलता और समावेशिता और पंडित नेहरू के बारे में बात की। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पहले उनके आरएसएस कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले को लेकर उनके पिता के साथ मतभेद थे, लेकिन फिर, समय के साथ उन्हें लोकतंत्र में संवाद के महत्व का एहसास हुआ। उन्होंने कहा, जब उन्होंने मेरे साथ आरएसएस कार्यक्रम में जाने का अपना निर्णय साझा किया, तो मैं उनसे बहुत नाराज हुई। मैंने इसके खिलाफ ट्वीट भी किया था। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि लोकतंत्र में कई विचारधाराएं होती हैं और भले ही आप सहमत न हों उनके साथ, उनके बीच संवाद बनाए रखना आवश्यक है।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Yogita Tyagi

View all posts

Hello, I'm Yogita Tyagi your wordsmith at Punjab Kesari Digital. Simplifying politics and health in Hindi, one story at a time. Let's make news easy and fun.

Advertisement
×