W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

कच्चे तेल पर कोरोना वायरस का असर, और घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी, लेकिन चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग नरम रहने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।

05:34 PM Feb 16, 2020 IST | Shera Rajput

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी, लेकिन चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग नरम रहने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।

कच्चे तेल पर कोरोना वायरस का असर  और घट सकते हैं पेट्रोल डीजल के दाम
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी, लेकिन चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग नरम रहने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है। 
उधर, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी(आईईए) का अनुमान है कि इस साल की पहली तिमाही में कच्चे तेल की वैश्विक खपत मांग पिछले साल के मुकाबले 4.35 लाख बैरल घट सकती है। 
चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप महामारी का रूप ले चुका है और इसकी चपेट में आने से 1,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 
तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक और रूस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में अतिरिक्त कटौती करने के संकेत दिए जाने से बीते सप्ताह कीमतों में तेजी आई, लेकिन जानकार बताते हैं कि मांग घटने के कारण कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। 
ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने कहा कि कोरोनावायरस से चीन में परिवहन व्यवस्था और उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं, जिसके कारण कच्चे तेल की मांग काफी घट गई है। इसलिए कीमतों पर दबाव बना रहेगा। 
तेल की घटती कीमतों को थामने के मकसद से ओपेक और रूस द्वारा उत्पादन में छह लाख बैरल अतिरिक्त कटौती करने के संकेत दिए जाने से कीमतों पर पड़ने वाले असर को लेकर पूछे गए सवाल पर तनेजा ने कहा, ‘ओपेक और रूस द्वारा तेल के उत्पादन में अगर कटौती की जाती है तो भी मुझे नहीं लगता है कि तेल की कीमत वापस 60 डॉलर प्रति बैरल तक जाएगी।’ 
ओपेक और रूस अगर अतिरिक्त छह लाख बैरल रोजाना तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला लेता है तो उत्पादन में उसकी कुल कटौती 23 लाख बैरल रोजाना हो जाएगी, यही कारण है कि बीते सप्ताह तेल के दाम में तेजी देखने को मिली। 
हालांकि तनेजा का कहना है कि कोरोनावायरस के प्रकोप के असर से जब तक चीन की अर्थव्यवस्था उबरकर वापस पटरी पर नहीं आएगी तब तक तेल के दाम पर दबाव बना रहेगा। 
उन्होंने कहा कि तेल का लिंक बहरहाल चीन में कोरोनावायरस और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से है। 
उन्होंने कहा कि अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव है और वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहेंगे कि तेल कीमतें नियंत्रण में रहे, क्योंकि अमेरिका में वहीं राष्ट्रपति दोबारा चुना जाता है जो तेल के दाम को नीचे रखता है। 
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में 2020 की पहली तिमाही में तेल की वैश्विक मांग अनुमान में पिछले साल के मुकाबले 4.35 लाख बैरल की कटौती की है। बीते एक दशक में यह पहला मौका होगा, जब तेल की सालाना मांग में कमी दर्ज की जाएगी। इससे पहले एजेंसी ने तेल की खपत मांग में पिछले साल के मुकाबले आठ लाख बैरल रोजाना का इजाफा होने का अनुमान लगाया था। 
आईईए के अनुसार, 2020 में पूरे साल के दौरान तेल की मांग में वृद्धि महज 8.25 लाख बैरल रोजाना होने का अनुमान है, जोकि पिछले अनुमान से 3.65 लाख बैरल कम है। इस प्रकार 2011 के बाद तेल की सालाना मांग में यह सबसे कम वृद्धि होगी। 
अंतर्राष्ट्रीय बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बीते सप्ताह शुक्रवार को बेंट क्रूड का अप्रैल अनुबंध 57.33 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सप्ताह के आरंभ में सोमवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 53.27 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था। 
वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का मार्च अनुबंध शुक्रवार को 52.23 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सोमवार को 50 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिरकर 49.94 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था। 
Advertisement
Advertisement
Author Image

Shera Rajput

View all posts

Advertisement
Advertisement
×