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मौके पर मौजूद व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिखाने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों ने व्यापारियों की एक न सुनीं और पीले पंजे की मदद से सभी दुकानें ध्वस्त करते हुए सारा सामान जब्त कर लिया।

पीड़ित खोखाधारकों द्वारा इस गरीब विरोधी कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि नगर निगम व जिला प्रशासन को नालों पर बने पक्के निर्माण दिखाई नहीं देते और बड़े रसूकदारों से उलझने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, सिर्फ खानापूर्ति के लिए हम गरीबों को उजाड़ने की नीयत से गरीबों पर अत्याचार करने पर आमादा हैं। पिछले 14 सालों से दुकानें देने का लॉलीपॉप चित्रा टाकिज के खोखाधारकों को दिया हुआ है, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं किया गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 27 नवम्बर 2015 को तीन माह के भीतर विकल्प देने का आदेश पारित किया था, जिसे 9 वर्ष बीत चुके हैं और खोखाधारकों को विकल्प न मिलने तक वहीं बैठाये जाने के लिए निगम की ओर से 6 माह की रसीदें भी काटी गयीं थी और प्रत्येक खोखाधारक से 92 हजार रुपये बकायदा रसीदें भी काटी गयीं, जिसकी अवहेलना लगातार निगम, पुलिस व जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। मौके पर मौजूद खोखाधारकों ने दमनकारी गरीब विरोधी कार्रवाई से तंग आकर इच्छा मृत्यु की मांग सरकार से की है।