W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

पीएफआई के खतरनाक मंसूबे

केन्द्रीय जांच एजैंसियों ने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग गति​विधियों और टैरर फंडिंग तथा लोगों की भर्ती करने को लेकर जो मिडनाइट आपरेशन चलाया उसके बाद संगठन की खतरनाक सा​जिशों का खुलासा हुआ।

02:46 AM Sep 26, 2022 IST | Aditya Chopra

केन्द्रीय जांच एजैंसियों ने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग गति​विधियों और टैरर फंडिंग तथा लोगों की भर्ती करने को लेकर जो मिडनाइट आपरेशन चलाया उसके बाद संगठन की खतरनाक सा​जिशों का खुलासा हुआ।

पीएफआई के खतरनाक मंसूबे
केन्द्रीय जांच एजैंसियों ने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग गति​विधियों और टैरर फंडिंग तथा लोगों की भर्ती करने को लेकर जो मिडनाइट आपरेशन चलाया उसके बाद संगठन की खतरनाक सा​जी शों का खुलासा हुआ। आपरेशन मिडनाइट की कार्रवाई में ईडी और राज्यों की पुलिस भी शामिल थी। इस पूरे आपरेशन के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह नजर बनाए हुए थे। अब यह खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पीएफआई के निशाने पर थे और पिछले एक साल में करीब 120 करोड़ रुपऐ नकद पीएफआई के खातों में जमा हुए हैं। इन पैसों का इस्तेमाल ट्रेनिंग कैम्पों पर करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 12 जुलाई की पटना यात्रा के दौरान निशाना बनाना था। हैरानी की बात तो यह है कि यह संगठन करीब 16 सालों से सक्रिय है लेकिन फिर भी इस पर शिकंजा कसने में इतनी देरी क्यों लगा दी गई? जांच एजैंसियों की कार्रवाई से आतंक पर कड़ा प्रहार हुआ है। इस पर भी देश में सियासत होनी शुरू हो गई है। कुछ राजनीतिक दल और सांसद पीएफआई छापों की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। यह देश इस बात को भूला नहीं है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान मुस्लिम संगठन की गतिविधियों को जायज करार ​दिया जाता रहा है। आतंकवादियों के केसों को खत्म करने की पैरवी भी की जाती रही है।
Advertisement
भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है लेकिन इससे किसी को यह अधिकार नहीं मिल जाता कि वे हिंसा के रास्ते अपनी मांगें मनवाने का प्रयास करें। छापेमारी के विरोध में आयो​जित बंद के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ करना ऐसा ही एक उत्सित प्रयास है। ऐसी हिंसा देश में अतिवाद फैलाना ही मानी जाएगी। दक्षिण भारत में पीएफआई की ​गतिविधि​यों को ज्यादा संदिग्ध माना जा रहा है। केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के अलग-अलग स्थानों से रफ्तारियां हुईं।
कट्टरवादी इस्लाम के चलते भारत कश्मीर में, मुम्बई में पूर्वोत्तर भारत में, पहले ही कई दंश झेल चुका है।
-मुम्बई के सीरियल बम धमाकों और पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने निर्दोष लोगों को​ निशाना बनाया था।
Advertisement
-आतंकवादियों ने लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर संसद तक को नहीं बख्शा था।
-जम्मू के रघुनाथ मंदिर से लेकर गुजरात के गांधीनगर धाम तक आतंकवादियों ने खून की होली खेली थी।
-अयोध्या में राम जन्म भूमि और मथुरा में श्रीकृष्ण भूमि को निशाना बनाने का खुलासा हो चुका है।
-कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग का सिलसिला अब भी जारी है।
पूरे देश की निगाहें जांच एजैंसियों पर टिकी हुई है। पीएफआई के छापों में इस संगठन को फंडिंग और भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के दस्तावेज भी मिले हैं। खाड़ी देशों से मिले पैसों से युवाओं को आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया गया और काफी धन गैर कानूनी तरीके से कतर में ट्रांसफर किया गया। इस संगठन का मंसूबा 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा तब तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था। बरामद दस्तावेजों में यह भी लिखा है कि यदि दस प्रतिशत मुस्लिम भी साथ दें तो कायरों को घुटने पर लाया जा सकता है। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद उसके कई नेता पीएफआई में शामिल हो गए थे, जो किराये के मकान लेकर कई राज्यों से आए युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते थे। ट्रेनिंग देने का काम कई राज्यों में जारी था। ऐलानिया तौर पर पीएफआई भले ही अल्पसंख्यकों के हितों के लिए बना संगठन हो लेकिन पर्दे के पीछे जो काम हो रहा था वो कई मायनों में आतंकवाद से कम नहीं था। बड़े मुस्लिम कारोबारी पीएफआई को चंदा देते थे। इसी चंदे के सहारे यह संगठन मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी फैलता चला गया।
पीएफआई के लोग युवाओं को फंसाने के लिए  सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लेते रहे हैं और यह काम तीन चरणों में होता रहा। पहले तो वह सार्वजनिक तौर पर ऐसी चीजें लिखते जिन पर युवा प्रतिक्रिया देते। इसके बाद  दूसरे चरण में धर्म या जिहाद के बारे में बातें लिखी जातीं। जो युवा इस बारे में कमेंट लिखते उनसे ही सम्पर्क किया जाता और  उन्हें संगठन का कोर मैम्बर बनाया जाता। कोर मैम्बर को मोहम्मद पैगम्बर साहब की आलोचना करने वालों को सबक सिखाने का निर्देश दिया जाता और उन्हें यह भी बताया जाता कि मौजूदा हालात में काम कैसे करना है। भारतीय जनता पार्टी की निलम्बित प्रवक्ता नुपूर शर्मा के आपत्तिजनक बयान के बाद भड़की हिंसा के पीछे भी पीएफआई की साजिश सामने आई है। इस संगठन का उद्देश्य 50 फीसदी मुस्लिम और बाकी लोगों के साथ राजनीतिक ताकत हासिल करना और सत्ता मिलते ही सरकारी विभागों की कमान अपने कैडर के लोगों को सौंपना भी शामिल है।
भारतीय मुस्लिमों को यह बात समझनी चाहिए कि धर्म आधारित सत्ता वाले देशों का क्या हो रहा है। धर्म के आधार पर बना पाकिस्तान आज एक विफल राष्ट्र बन चुका है। अफगानिस्तान में मानवाधिकार कुचले जा रहे हैं और महिलाओं के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है। ईरान की महिलाओं ने हिजाब के विरोध में धर्म आधारित सत्ता के लिए विद्रोह कर दिया है। जहां-जहां भी कट्टर इस्लाम है, वहां मुसलमान ही मुसलमान को मार रहा है। जितने सुरक्षित भारत में मुसलमान हैं उतने तो अन्य मुस्लिम राष्ट्रों में भी नहीं। फिर क्यों मुस्लिम समाज अपने बच्चों के हाथों में कम्प्यूटर और लैपटॉप देने की बजाय बंदूक या छुरा पकड़ाने को प्राथमिकता क्यों देता है? आज का युग युवा पीढ़ी को सही रास्ता दिखाने का है न कि उसे जेहादी बनाने का। जब तक मुस्लिम समाज खुद अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं देगा, तब तक धर्मांधता खत्म नहीं होगी। जांच एजैंसियों को बड़े ही संवेदनशील ढंग से आगे बढ़ना चाहिए। जांच को सावधानी और सतर्कतापूर्ण तरीके से करना होगा, ताकि जो दोषी है, वह जेल की सलाखों के पीछे बंद हो जाएं। यह भी देखना होगा कि किसी निर्दोष को बेवजह परेशान न किया जाए। कई मामलों में हमनेे देखा है कि जांच ​एजैंसियों द्वारा पकड़े गए लोग बरी हो जाते हैं। आतंकवाद एक गम्भीर अपराध है, इसकी जड़  काटना ही हमारी जिम्मेदारी है।
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×