Dattatreya Jayanti 2025: एक ही पूजा में पाएं त्रिदेवों का आशीर्वाद! जानिए शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
भगवान दत्तात्रेय कौन हैं?

मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मनाई जाने वाली यह जयंती भक्तों के लिए आध्यात्मिक सफलता और सिद्धियां प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर है। मान्यता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय की आराधना करने से भक्तों को शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान करने और अपने पूर्वजों के लिए तर्पण करने से व्यक्ति पिछले जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि दत्तात्रेय का जन्म ऋषि अत्रि और माता अनुसूया के घर हुआ था। भगवान दत्तात्रेय अपने 24 गुरुओं के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं, जिनसे उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था। उनके 24 गुरुओं में पृथ्वी, आकाश, वायु, जल, कबूतर, सूर्य, पतंगा, हाथी, हिरण, समुद्र और पिंगला वेश्या जैसी प्राकृतिक और अन्य चीजें शामिल हैं।
Dattatreya Jayanti 2025 Shubh Samay: दत्तात्रेय जयंती 2025 शुभ मुहूर्त
दत्तात्रेय जयंती पर पूजा और अनुष्ठानों के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:14 से सुबह 06:06 तक रहेगा। इसके अतिरिक्त, अमृत काल दोपहर 12:20 से दोपहर 01:58 तक शुभ है, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम को 05:58 से 06:24 तक रहेगा। हालांकि, इस दिन कोई अभिजित मुहूर्त उपलब्ध नहीं है, इसलिए भक्तों को पूजा के लिए अन्य शुभ कालों का उपयोग करना चाहिए।
दत्तात्रेय जयंती 2025 Puja Vidhi

दत्तात्रेय जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूजा शुरू करने के लिए, किसी भी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा स्थल को साफ करें और उस पर लकड़ी की चौकी रखकर लाल कपड़ा बिछाएं, जिस पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है। उन्हें फूल, माला और शुद्ध घी का दीपक अर्पित करें, और फिर गुलाल, अबीर, चंदन और जनेऊ जैसी पूजा सामग्री श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। इसके बाद, विधि-विधान से आरती करें और अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं। अंत में, पूजा की पूर्णता के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज या वस्त्र का दान करें।
Dattatreya Jayanti 2025: दत्तात्रेय उपासना के विशेष मंत्र


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