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डीसी ने दिए जांच के आदेश, विभाग के एससी करेंगे जांच

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02:47 PM Jan 18, 2018 IST | Desk Team

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करनाल : मुख्यमंत्री के अपने ही जिले में पीडब्लयूडी विभाग की जमीन पर कब्जा कर उस पर किए गए निर्माण का मामला अब डीसी की चौखट पर पहुंच गया है। पंजाब केसरी में खबर छपने के बाद डीसी डा. आदित्य दहिया ने इसकी जांच के आदेश दिए है। डीसी ने पंजाब केसरी को बताया कि पीडब्लयूडी विभाग के एससी वीरेंद्र जाखड़ इस मामले की विभागीय जांच करेंगें। एससी जो भी रिपोर्ट देंगें उस रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही अम्ल में लाई जाएगी। इधर खबर छपने के बाद खरीददार और बेचने वालों में हडकंप मच गया है। खबर का इतना जोरदार असर रहा कि लोगों ने पंजाब केसरी की प्रतियाँ करनाल से मंगवाई।

जिन लोगों ने भारी भरकम रकम देकर प्लाट पर कब्जे लिए थे। अब वह क्लोनाइजरों के गिरेबान पकड रहे है। इधर कुछ क्लोनाइजर ना केवल भूमिगत हो गए है बल्कि उन्होने अपने मोबाइल फोन भी बंद कर लिए है। इसमें एक खरीददार वह भी सामने आया है जिसने 25 लाख रूपये लेकर क्लोनाइजरों से सडक पर ही करीब 8 मरले भूमि खरीद डाली। उस पर उसने लाखों रूपये खर्च कर निर्माण तो करवा लिया। लेकिन असलियत उजागर होने के बाद खरीददार के हाथ-पांव फूले हुए है। क्योंकि उसमें प्लाट का अधिकांश हिस्सा किसान गोपाल चौधरी और पीडब्लयूडी विभाग की जमीन का पाया गया है। उसके पास केवल थोडा सा हिस्सा हिस्से में आता है।

यही नही पीडब्लयूडी विभाग की ही जमीन पर जिन दूकानों का निर्माण कर बेचा गया है। उनके खरीददार भी चिंतित हो गए है। विभाग की ही जमीन पर करीब 35 से 40 प्लाटों को बेच कर उस पर दूकाने बनाई गई है। इन खरीददारों को रजिस्ट्री के लिए जमीन का जो हिस्सा दिखाया गया था उस पर रजिस्ट्री तो करवा ली गई। लेकिन जिस भूमि पर कब्जा दिया गया वह पीडब्लूडी विभाग की जमीन बताई जा रही है। करोडों रूपये की इस जमीन की रजिस्ट्री करवाने और उस पर कब्जा करवाने का असली मास्टर माइंड कौन है इसका पता तो विभागीय जांच के लगेगा।

लेकिन एक बात साफ नजर आ रही है कि अधिकांश क्लोनाइजरों ने कानूनगो व अन्य कर्मचारियों से मिलकर भ्रष्टाचार का यह बडा खेल खेला है। लेकिन निशानदेही की जमीन सामने आने पर भ्रष्टाचार के इस बडे खेल का भंडाफोड हो गया। इसमें सबसे बडी बात जो सामने आई है कि एक कानूनगो ने सभी नियम ताक पर रखते हुए करीब 2 साल तक निशानदेही की रिपोर्ट को बाहर आने से रोके रखा। क्योंकि इसका सबसे बडा मकसद ही यही था कि भूमि पर कब्जा करवाकर सारे प्लाट बेच दिए जांए और उस पर निर्माण करवा दिया जाए और फिर निशान देही की रिपोर्ट दी जाए।

अधिक जानकारियों के लिए बने रहिये पंजाब केसरी के साथ।

– हरीश चावला

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