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कोराेना के बाद जानलेवा चीनी मांजा

हमारा पड़ौसी चीन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। उसके प्रोडक्ट बेहद जानलेवा साबित हो रहे हैं, कम से कम पतंग उड़ाने वाला धागा जिसे बच्चे मांजा कहते हैं, वह आकर्षक नहीं बल्कि पतंग उड़ानों वालों के लिए विध्वंसक है।

03:40 AM Jul 31, 2022 IST | Kiran Chopra

हमारा पड़ौसी चीन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। उसके प्रोडक्ट बेहद जानलेवा साबित हो रहे हैं, कम से कम पतंग उड़ाने वाला धागा जिसे बच्चे मांजा कहते हैं, वह आकर्षक नहीं बल्कि पतंग उड़ानों वालों के लिए विध्वंसक है।

हमारा पड़ौसी चीन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। उसके प्रोडक्ट बेहद जानलेवा साबित हो रहे हैं, कम से कम पतंग उड़ाने वाला धागा जिसे बच्चे मांजा कहते हैं, वह आकर्षक नहीं बल्कि पतंग उड़ानों वालों के लिए विध्वंसक है, महज चार दिन पहले रोहिणी के 30 वर्षीय सुमित रंगा अपनी दुकान से बाइक से घर आ रहे थे कि रास्ते में एक पतंग से लटका मांजा उनकी गर्दन पर लिपट गया और देखते ही देखते खून का फव्वारा फूट पड़ा, परिणाम मौत के रूप में निकला। इसके बाद दिल्ली में ही उस्मानपुर इलाके में एक सेल्स मैनेजर योगेश शर्मा एक कटी पतंग के मांझे में उलझ गए और बचने की कोशिश में उनका गला और अंगुली कट गई। समय पर अस्पताल में पहुंचे तो जान बच गई। इसी तरह विकासपुरी फ्लाईओवर के पास बाइक चला रहे मनोज कुमार का गला चीनी मांजे ने काट दिया। गले में 20 टांके लगे तब कहीं जाकर जान बची। 
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य​द्यपि पिछले कई सालों से देश में चीनी मांजे की बिक्री पर प्रतिबंध है, परन्तु फिर भी देश भर में पतंगों की दुकानों पर चीनी मांजा ​कैसे बिकता है यह हमारी समझ से बाहर है। सोशल मीडिया पर चीनी मांजे के कहर का जिक्र और रोहिणी के युवक की मौत का जिक्र हर किसी को सन्न करने के लिए काफी है, उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, यह जिस तन लागे सो ही जाने। हालांकि 304ए के तहत केस दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है, लेकिन हमारा प्रशासन से सीधा सवाल है कि देश में चीनी मांजा कैसे और क्यों बिक रहा है।
सारी दुनिया को परेशान करने वाला कोरोना भी इसी चीन की देन है। हम इसमें लंबी बहस नहीं करना चाहते हैं लेकिन मुसीबत के वक्त उन बातों का उल्लेख करना चाहते हैं जिन्हें लेकर संवेदनशीलता खत्म हो रही है। जो सुमित रंगा चीनी मांजे की चपेट में आया और उसकी गर्दन से मांजे की वजह से खून बहने लगा तो बताते हैं कि लोग मोबाइल से वीडिया बना रहे थे। दो राहगीर युवकों ने उसे एक निजी अस्पताल पहुंचाया और सुमित के पिता को फोन पर पूरी जानकारी दी। पर जब तक उसे अस्पताल लेकर पहुंचते वह दम तोड़ चुका था। उसके बुजुर्ग माता-पिता, दादा-दादी और पत्नी का दर्द बयां करना मुश्किल है। सुमित की गर्दन में ज्यों ही मांजा फंसा बाइक काफी आगे निकल गई उसने इसकी लपट से खुद को निकालना चाहा यही बात उसने अपने पिता को कही कि मेरी गर्दन पर चीनी मांजा लिपट गया और उसके 15-20 मिनट बाद ही वह दम तोड़ गया और  देखते ही देखते घर का चिराग बुझ गया। अभी पिछली दीवाली को ही यह परिवार नए घर में ​शिफ्ट हुआ था। जैसा कि पहले कहा गया है कि मांजा बेचने वालों के खिलाफ जब तक कड़ी कार्यवाही नहीं की जाएगी तब तक कुछ नहीं होगा।
सब जानते हैं कि जुलाई-अगस्त के महीने पतंगें उड़ाई जाती हैं और दिल्ली में 15 अगस्त के आस-पास पतंगबाजी का आकर्षण शबाब पर होता है। छतों पर चढ़ कर पतंगें उड़ाना और दूसरे की पतंग काट देने के बाद आई बो काटा के शोर रोमांच तो पैदा करते हैं, लेकिन पतंग काटने की होड़ में मजबूत मांजे की मांग बढ़ रही है, इसी के चलते पिछले कुछ वर्षों से चीनी मांजे ने बजार में अपनी खास जगह बनाई है, लेकिन हाथ से न टूटने वाले इस मांजे ने देश भर में लाखों पतंग उड़ानों वालों को घायल किया है। यह बात सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे से कहते हैं। इसके बैन होने के बावजूद बिक्री क्यों हो रही है, यह जानकर हैरानी है। अभी दो दिन पहले ही कोटा में भी ऐसा ही हुआ जहां चीनी मांजे से दो युवक घायल हो गए।
हालांकि दिल्ली और दिल्ली एनसीआर में 15 अगस्त को लोग खूब पतंगें उड़ा कर जश्न मनाते हैं लेकिन कलात्मक पतंगबाजी तो हमें गुजरात और पंजाब में मिलती है जहां कैरम बोर्ड से भी बड़ी-बड़ी पतंगें उड़ती हैं। गुजरात में पतंग प्रेमी एक ही मांजे से 50-50 पतंगें उड़ाते हैं। यह एक कलात्मक होड़ है लेकिन एक दूसरे की पतंग काटने की होड़ को लेकर मजबूत मांजा खरीदने के लिए लोग चाइनीज मांजे का इस्तेमाल करते हैं तो वह जान पर बन आती है, इसकी बिक्री बंद होनी चाहिए। ऐसे हजारों केस  दिल्ली में हो चुके हैं। बाइक्स सवार इन दिनों में ज्यादा सावधानी बरतें तो अच्छा है, किसकी पतंग कटकर कब आ गिरे और  चाइनीज मांजा किसकी जान ले ले कहा नहीं जा सकता है। लेकिन चाइनीज मांजे की बिक्री पर ठोस बैन लगे यह सुनिश्चित किया जाए। केवल छापेमार कर काम बंद न किया जाए। जैसे चाइनीज सोशल मीडिया एप्स बंद किए गए ऐसे ही चाइनीज मांजे के खिलाफ एक मुहीम देशव्यापी स्तर पर शुरू की जाए। तभी मांजे की चपेट से हर कोई सुरक्षित रह सकता है। फिलहाल यही समय की मांग है, क्योंकि 15 अगस्त तक पतंगें उड़ेंगी। पतंगबाजी के दांवपेच एक शौक तो हो सकता है लेकिन कटी हुई पतंग का मांजा किसी और सुमित रंगा की जान न ले यह समय की मांग है। सुमित रंगा के पिता रामकुमार रंगा के दर्द का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कहा चीनी मांजे से मेरा बेटा तो चला गया अब किसी और का घर नहीं उजड़े प्रशासन यह सख्ती से सुनिश्चित करे।
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