For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

राष्ट्रसंघ में दिल्ली विकास माडल

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित ‘विश्व विधानसभा शिखर सम्मेलन’ में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की विधायक श्रीमती आतिशी ने जिस प्रकार राजधानी के विकास माडल की चर्चा की है

12:53 AM May 01, 2022 IST | Aditya Chopra

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित ‘विश्व विधानसभा शिखर सम्मेलन’ में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की विधायक श्रीमती आतिशी ने जिस प्रकार राजधानी के विकास माडल की चर्चा की है

राष्ट्रसंघ में दिल्ली विकास माडल
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित ‘विश्व विधानसभा शिखर सम्मेलन’ में  दिल्ली की  आम आदमी पार्टी की विधायक श्रीमती आतिशी ने जिस प्रकार राजधानी के विकास माडल की चर्चा की है उससे यह तो सिद्ध हुआ है कि विकसित देशों के पास ही किसी शहर के विकास करने का पेटेंट नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय मंच से यदि भारत की राजधानी के विकास के तरीके पर चर्चा होती है तो निश्चित रूप से यह उल्लेखनीय है क्योंकि पहले यह परिपाठी रही है कि भारत के बड़े-बड़े शहरों के मेयर या अन्य उच्च अधिकारी यूरोप के शहरों के विकास माडल का अध्ययन करने जाया करते थे। बेशक यह आम आदमी का दावा हो सकता है कि पिछले सात वर्षों के दौरान अपने शासन काल के दौरान उसके प्रशासन में दिल्ली की सूरत बदल गई है मगर जब इसी बात को राष्ट्र संघ जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के मंच से कहने का साहस दिल्ली विधानसभा का कोई सदस्य करता है तो उसे विश्वसनीयता मिलती है क्योंकि विश्व की अाधिकारिक संस्थाओं के मंच से कोई भी बात हवा में नहीं कही जा सकती। इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली में राज्य सरकार ने शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में लीक से हट कर कदम उठाये हैं और सरकारी स्कूलों की स्थिति में परिवर्तन करने की कोशिश की है तथा स्थानीय स्तर पर आम जनता को चिकित्सा सेवा देने के लिए भी मोहल्ला क्लीनिकों की अवधारणा को साकार किया है।
Advertisement
विपक्षी पार्टियां भाजपा व कांग्रेस इस बारे में आलोचना कर सकती हैं कि सरकारी स्कूलों का स्तर बढ़ाने के लिए एेसी प्रणाली विकसित की गई जिससे केवल मेधावी छात्रों को ही इनमें प्रवेश मिल सके जबकि दिल्ली के बहुत बड़ी संख्या में स्कूल दिल्ली नगर निगम ही चलाती है और मोहल्ला क्लीनिकों में पिछले दिनों कोरोना महामारी के इलाज का कोई प्रबन्ध नहीं था मगर इसके बावजूद यह तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि दिल्ली के उन स्कूलों का शिक्षा स्तर बहुत बेहतर हुआ है जिनका संचालन केजरीवाल सरकार करती है। जहां तक मोहल्ला क्लीनिकों का सवाल है तो यह भी दिल्ली की गरीब जनता को बहुत राहत देते हैं और छोटी-मोटी बीमारी के लिए उन्हें दूसरे अस्पतालों की तरफ नहीं भागना पड़ता और मोटी रकम खर्च नहीं करनी पड़ती।
हमें यह समझना होगा कि दिल्ली की सरकार एक शहर की सरकार ( सिटी गवर्नमेंट) है और सिटी गवर्नमेंट की अवधारणा का उदय लोकतान्त्रिक विचार के जन्म लेने के बाद सबसे पहले यूरोप में इटली व यूनान में ही हुआ था। राष्ट्रीय स्तर पर लोकतान्त्रिक सरकारों का गठन सिटी गवर्नमेंट की स्थापना के बाद ही धीरे-धीरे व्यापक हुआ। बाद में इसमें और सुधार आते गये और लोकतान्त्रिक प्रणाली सुदृढ़ होती चली गई। श्रीमती आतिशी ने राष्ट्र संघ के मंच से यह कहने में भी गुरेज नहीं किया कि 2015 तक दिल्ली में आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें बहुत ज्यादा थीं और इसकी सप्लाई भी सतत् नहीं रह पाती थी। 24 घंटे बिजली सुलभ कराना भारत जैसे देश में किसी बड़े शहर की सरकार के लिए स्वाभाविक रूप से एक चुनौती होती है क्योंकि बड़े-बड़े शहरों के पूंजी केन्द्र होने से रोजगार के साधन इनमें ही ज्यादा सुलभ होते हैं जिसकी वजह से इनकी जनसंख्या में लगातार इजाफा होता रहता है और दूर-दराज व आसपास के ग्रामीम क्षेत्रों से लोग यहां काम धंधा व रोजी-रोटी की तलाश में आते रहते हैं। जिसे देखते हुए बढ़ती आबादी की  मूल जीवनोपयोगी सुविधाएं सुलभ कराने की चुनौती राज्य सरकार के लिए हमेशा ही मुंह बाये खड़ी रहती है। इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना कोई आसान काम नहीं होता। यदि केजरीवाल सरकार ने इसे सफलतापूर्वक सुलझाया है तो निश्चित रूप से यह उपलब्धि कही जायेगी और श्रीमती आतिशी का विश्व मंच पर इसका उल्लेख करना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
इसी प्रकार राजधानी के दो करोड़ से अधिक लोगों को पेयजल उपलब्ध करना भी सफल नियोजन का परिणाम ही कहा जायेगा। क्योंकि बिजली और पानी किसी भी महानगर के विकास के प्राथमिक पैमाने होते हैं, उसके बाद स्थायी आवास का सवाल आता है। इस मोर्चे पर आतिशी ने दिल्ली सरकार की नीतियों का जो खाका खींचा है उसका संज्ञान विश्व के अन्य विकासशील देश भी लेंगे। क्योंकि 80 के दशक में दिल्ली के मुख्य कार्यकारी पार्षद रहे स्व. जग प्रवेश चन्द्र ने चेतावनी दी थी कि यदि दिल्ली के विकास की भविष्यगत योजना तैयार नहीं की गई तो बढ़ती आबादी के लिए बिजली-पानी तक सुलभ कराना असंभव हो जायेगा। श्री प्रवेश चन्द्र कांग्रेस के अनुभवी नेता थे और स्वतन्त्रता सेनानी भी थे परन्तु यह भी स्त्य है कि इसके बाद राजधानी की समस्याओं के निदान के लिए सतत् रूप से योजनाएं बनती रहीं और हर क्षेत्र में चरणगत विकास भी होता रहा परन्तु पिछले कुछ वर्षों में जमीनी बदलाव लाने की तरफ केजरीवाल सरकार ने मजबूत कदम उठाये।
Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×