MBBS दाखिले में जाति प्रमाणपत्र घोटाले से संबंधित याचिका पर SC करेगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने MBBS की आरक्षित श्रेणी में सीटों के लिए आवेदकों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से संबंधित सभी याचिकाओं को सोमवार को अपने हाथ में ले लिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठों के बीच सीबीआई जांच शुरू करने के मामले को लेकर पहले भी विवाद सामने आया था।
Highlights:
- उच्च न्यायालय की दोनों पीठों में से किसी पर भी जातीय आक्षेप लगाने से बचने को कहा
- रिट याचिका और लेटर पेटेंट अपील (एलपीए) के माध्यम से उच्चतम न्यायालय को हस्तांतरित करेंगे
- अब तक 10 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं को यह सलाह भी दी कि उच्च न्यायालय की दोनों पीठों में से किसी पर भी जातीय आक्षेप लगाने से बचने को कहा। सुनवाई शुरू होते ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ के सदस्यों ने अदालत कक्ष में पहुंचने से पहले विचार-विमर्श किया। पीठ ने कहा, ‘‘हम कार्यवाही को रिट याचिका और लेटर पेटेंट अपील (एलपीए) के माध्यम से उच्चतम न्यायालय को हस्तांतरित करेंगे। हम इसे कुछ समय बाद सूचीबद्ध करेंगे और इसे निपटाएंगे।’’ पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे।
किसी न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ किसी याचिकाकर्ता द्वारा उसी अदालत की किसी दूसरी पीठ में की जाने वाली अपील ‘लेटर पेटेंट अपील’ कहलाती है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले में अब तक 10 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं और कई जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए गए हैं। पीठ ने उनसे कहा, ‘‘हम प्राथमिकियों के संदर्भ में राज्य सरकार से हलफनामा लेंगे।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिकाओं को ठीक तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करेंगे।’’ शीर्ष अदालत की पीठ पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने सीबीआई जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था।
विवादास्पद न्यायिक स्थिति को हल करने के प्रयास के तहत पीठ ने शनिवार को कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो पीठों के बीच टकराव के मद्देनजर ‘‘मामला अपने हाथ में लेने’’ और सभी कार्यवाही पर रोक लगाने का फैसला किया। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने खंडपीठ के न्यायाधीश सौमेन सेन पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के हितों के लिए सीबीआई जांच के उनके आदेश को खारिज करने का आरोप लगाया था।
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