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परिसीमन : विरोधियों को चित्त करेगी भाजपा

दक्षिण भारतीय राज्यों से परिसीमन के विरोध में भले ही समवेत स्वर ध्वनियां उभर रही…

10:48 AM Mar 08, 2025 IST | त्रिदीब रमण

दक्षिण भारतीय राज्यों से परिसीमन के विरोध में भले ही समवेत स्वर ध्वनियां उभर रही…

परिसीमन   विरोधियों को चित्त करेगी भाजपा

‘कितने दौर भी आएं जाएं हम ही हैं हर दौर में किस्मतों की कहानी लिखते हैं

चौखट पर हमारे तूफां लाख सिर पटक ले हम रोशनी की बयानी लिखते हैं’

दक्षिण भारतीय राज्यों से परिसीमन के विरोध में भले ही समवेत स्वर ध्वनियां उभर रही हों, पर भाजपा के मन में कुछ और ही चल रहा है। दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता है कि ‘जनसंख्या को आधार बना कर जहां उत्तर भारत की सीटों में इजाफा किया जा सकता है तो उस अनुपात में दक्षिण की लोकसभा सीटों की संख्या घटाई जा सकती है’, मिसाल के तौर पर तमिलनाडु की कुल 39 लोकसभा सीटें नए परिसीमन में सिमट कर 31 पर आ सकती हैं। यही वजह है कि तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन ने इसी शुक्रवार को केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब व ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर उनसे गुहार लगाई है कि ‘वे साथ आएं और मिल कर इस मुद्दे के विरोध में अलख जगाएं’।

स्टालिन परिसीमन का आधार 1971 की जनगणना को बनाने की मांग कर रहे हैं। अपने पत्र में स्टालिन ने इन राज्यों को सुझाव दिया है कि ‘22 मार्च को वे चैन्नई में आहूत बैठक में हिस्सा लें ताकि परिसीमन के मुद्दे पर एक संयुक्त रणनीति को अमलीजामा पहनाया जा सके’। वहीं इन विरोधों की परवाह न करते हुए केंद्रनीत भाजपा ने परिसीमन पर काम करने के लिए लगभग हर प्रदेश में अपने ग्यारह लोगों की एक टीम गुप्त रूप से गठित कर दी है यह टीम वहां जमीनी स्तर पर काम कर रही है।

भाजपा जानती है कि ‘दक्षिण राज्यों की सीटें कम करने का फैसला आसान नहीं क्योंकि इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु, कर्नाटक या केरल जैसे राज्य सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।’ सो, फिलवक्त भाजपा का सारा फोकस अपने जनाधार वाली सीटों को बढ़ाने पर है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि भाजपा के नए प्लॉन में लोकसभा की शहरी सीटों की गिनती बढ़ाने का है, इस क्रम में ग्रामीण हलकों की कई सीटों को (जहां भाजपा का प्रभाव कम है) शहरी सीटों में किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर गाजियाबाद की लोकसभा सीट ही लें, जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से यहां लोकसभा की ढाई सीटें निकल सकती हैं, इसके साथ लगी नोएडा यानी गौतम बुद्ध नगर की सीट भी डबल हो सकती है। यानी इसे 2 लोकसभा सीटों में तब्दील किया जा सकता है।

घर का भेदी आप ढाहे

दिल्ली के चुनाव के साथ नई दिल्ली में अपनी लुटिया डुबोने के बाद से ही आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल आत्म पड़ताल मोड में हैं। पार्टी में गहन विचार मंथन का दौर जारी है कि दिल्ली की जीती हुई बाजी आखिर वे हार कैसे गए? इस क्रम में उन्हें मालूम चला कि उनकी कोर टीम का कोई ऐसा सदस्य था जो यहां की पल-पल की खबरें भाजपा को लीक कर रहा था, सो आप की कोई भी रणनीति भाजपा से छुपी नहीं थी।

कहते हैं केजरीवाल ने चतुराई से पंजाब सरकार की मदद लेते हुए अपने करीबियों के फोन भी ‘सर्विलांस’ पर लगा रखे थे। एक फोन नंबर ऐसा था जिससे बार-बार भाजपा नेताओं को फोन जा रहे थे, जब इस नंबर के मालिक का पता किया गया तो वह फोन किसी घरेलू नौकर के नाम पर रजिस्टर्ड था। फिर ‘ट्राईंग्लूलेशन’ की प्रक्रिया से उस फोन की लोकेशन को चेक किया गया तो यह घर केजरीवाल के ही एक ‘ब्लू आईड’ नेता का निकला। केजरीवाल ने उस नेता को तलब कर जम कर उनकी क्लास लगाई, कहा-‘तुम भले ही अरुण जेतली को अपना आदर्श मानते हो पर उनसे तुमने कुछ सीखा नहीं, जेतली जी ने अपना पूरा जीवन अपनी पार्टी को समर्पित कर दिया था, पर तुमने तो पार्टी से सिर्फ लिया ही है, अब तक दिया क्या है?’ शर्मसार नेता जी ने फिलवक्त लंबी छुट्टी पर जाना पसंद किया है।

दिल्ली आने को इच्छुक सिन्हा जी

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अब सक्रिय राजनीति में वापिस लौटना चाहते हैं। इसके लिए संघ और भाजपा में उनकी पैरवी कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय, जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष भी हैं। राय ने मनोज सिन्हा की ताजा भावनाओं से संघ नेतृत्व को अवगत करा दिया है। कहते हैं इसके बाद सिन्हा की मुलाकात अमित शाह से भी हो चुकी है और उनके समक्ष भी उपराज्यपाल महोदय ने अपने उद्गार व्यक्त किए हैं। यह भी माना जा रहा है कि सिन्हा की नज़रें नए भाजपाध्यक्ष पद पर मजबूती से जमी हैं। वे पीएम मोदी के भी लाडले हैं और संघ भी उन्हें पसंद करता है, इस नाते भी अध्यक्ष पद के लिए उनके दावे पर गंभीरतापूर्वक विचार हो सकता है। पर यूपी की राजनीति में एक सिन्हा विरोधी गुट अब भी सक्रिय है, वह भी दिल्ली तक अपनी भावनाओं का संचार कर रहा है, इस गुट का कहना है कि ‘लोकसभा चुनाव में सिर्फ सिन्हा के कहने पर गाजीपुर संसदीय सीट से उनकी पसंद के उनके ही एक सजातीय भूमिहार नेता को टिकट दिया गया, पर वह कितने बड़े अंतर से चुनाव हारा। जब गाजीपुर में ही इनका असर नहीं तो फिर राष्ट्रीय राजनीति में कैसे अपना सिक्का मनवा पाएंगे?’

क्या अपनी जड़ों की ओर लौटेंगे केजरीवाल?

दिल्ली में मिली अप्रत्याशित हार पर गहन मंथन के लिए आप सुप्रीमो केजरीवाल ने अपने खास कोर ग्रुप के नेताओं की एक अहम बैठक बुलाई और उनसे जानना चाहा कि ‘अब आप के लिए आगे का रोड मैप क्या होगा?’ बैठक में मौजूद नेताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए, जब दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी की बोलने की बारी आई तो उनके क्रांतिकारी विचारों को सुन कर बैठक में सन्नाटा पसर गया। आतिशी का केजरीवाल से कहना था-‘आप हमारी पार्टी के सर्वेसर्वा हैं, आप के चेहरे से ही पार्टी का चेहरा बना है, आपकी छवि से ही हमने इतने चुनाव जीते हैं। पर भाजपा ने ‘शीशमहल’ के प्रोपेगेंडा से आपकी छवि को धूमिल करने का काम किया है। सो, अब वक्त आ गया है कि आप अपनी जड़ों की ओर लौटें, सब छोड़-छाड़ कर एक छोटे से घर में रहना शुरू करें या तो कौशांबी के अपने पुराने घर में या दिल्ली के किसी छोटे से डीडीए फ्लैट में, सुरक्षा का त्याग करें ताकि आम लोगों से फिर से घुल मिल सकें।

आम आदमियों की तरह फिर से मैट्रो में, बस में, ऑटो में सफर करें ताकि हमारा कैडर इस बात को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित कर सके।’ केजरीवाल ने ध्यानपूर्वक आतिशी की बातों को सुना फिर कहा, ‘जब त्याग करने की बारी आए तो सिर्फ केजरीवाल त्याग करें-जेल जाएं, बस-मैट्रो में सफर करें, छोटे घर में रहें, अपनी सुरक्षा की परवाह न करें, पर पार्टी के बाकी लोग सिर्फ सत्ता की मलाई काटें, यही चाहती हैं न आप?’ फिर बैठक में एक नीरव सन्नाटा छा गया, तूफान आने से पहले वाला।

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त्रिदीब रमण

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