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गरीबों, किसानों सहित अन्य लोगों को निराश करने वाली बजट : मांझी

सरकारी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन परिवारों को आवास की व्यवस्था एवं खेती करने की व्यवस्था पर कोई ठोस कदम बजट में नहीं दिखता है |

08:48 PM Feb 13, 2019 IST | Desk Team

सरकारी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन परिवारों को आवास की व्यवस्था एवं खेती करने की व्यवस्था पर कोई ठोस कदम बजट में नहीं दिखता है |

पटना हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बजट को पूरी तरह किसानों, दलितों एवं अन्य समाज के गरीबों के लिए निराशा से भरा कहा है | उन्होंने बिहार सरकार द्वारा पेश की गई बजट वर्ष 19-20 को किसान, मजदूर एवं दलित विरोधी बताया है | जहां विकास दर कुछ वर्ष पूर्व 13% की जगह पर पिछले वर्ष 2% आ गया है | इससे बिहार के 76% किसानों की परेशानियां बढ़ी है | एक तरफ बेरोजगारी बढ़ी है तो दूसरी तरफ कृषि की उत्पादकता प्रभावित हो रही है |

मांझी ने कहा कि इस बजट में अनुसूचित जाति / जनजाति को नियोजित का कोई प्रयास नहीं हुआ है | उल्टे में नौकरियों में बैकलॉग है | उसकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है | स्थापना मध्य में कटौती कर अनुसूचित जाति जनजाति का बैकलॉग पूरा करने की दिशा में साफ नकारात्मक प्रयास किया जा रहा है |

मांझी ने कहा कि किसानों को बिजली मुहैया कराने की बात तो हो रही है | पर विभिन्न कंपनियों एवं विद्युत बोर्ड के द्वारा विद्युत विपत्र के जरिए किसानों की परेशानियां बढ़ाई जा रही है | इस समस्या का हल का कोई निदान इस बजट में नहीं है |मांझी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बजट राशि बढ़ाई गई है | पर शिक्षण व्यवस्था की सुविधा की दिशा में कोई रूपरेखा तैयार नहीं किया गया है|

सरकारी विद्यालय में गरीब के बच्चे का नामांकित रहता है, सिर्फ छात्रवृत्ति, साइकिल, पोशाक के लिए | पर वास्तव में 80% से अधिक बच्चे निजी विद्यालय में अध्ययन के लिए बाध्य हो रहे हैं | सरकार का नकारात्मक सोच के चलते सामान्य शिक्षा एवं सबों के लिए शिक्षा की नीति को दरकिनार किया जा रहा है | कमीशन खोरी को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग एवं अन्य विभाग में निर्माण कार्यों में अधिक ध्यान दिया गया है |

सरकारी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन परिवारों को आवास की व्यवस्था एवं खेती करने की व्यवस्था पर कोई ठोस कदम बजट में नहीं दिखता है | दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि भूमि सुधार के कानून को यह सरकार नकार रही है |इस प्रकार यह बजट घोर निराशा का बजट है | जिसके चलते कृषि शिक्षा का विकास अवरुद्ध तो होगा ही | दलित एवं अन्य लोग मूलभूत सुविधाओं से महरूम रहेंगे |

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