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समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास तभी पहुंचेगा जब जातीय जनगणना होगी : प्रो. रणबीर नंदन

जातीय जनगणना की जरूरत पर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कहा है कि जातीय जनगणना पर अचानक कई लोग ऐसे आ गए हैं जो सबके हितैषी बनने का प्रयास कर रहे हैं।

06:04 PM May 27, 2022 IST | Desk Team

जातीय जनगणना की जरूरत पर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कहा है कि जातीय जनगणना पर अचानक कई लोग ऐसे आ गए हैं जो सबके हितैषी बनने का प्रयास कर रहे हैं।

पटना, (राकेश कुमार ) : जातीय जनगणना की जरूरत पर जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कहा है कि जातीय जनगणना पर अचानक कई लोग ऐसे आ गए हैं जो सबके हितैषी बनने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि जातीय जनगणना की मांग पूरे देश में किसी ने सबसे पहले की, वो हैं माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी। डाॅ. नंदन ने कहा कि नीतीश कुमार के विकास का माॅडल समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति तक विकास पहुंचाना है और इसके लिए जातीय जनगणना अनिवार्य है।
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उन्होंने कहा कि साल 2011-12 के डेटा के अनुसार भारत में कुल 21.92 फीसदी लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। संख्या की बात करें तो यह आंकड़ा 26.97 करोड़ का है। यह सरकारी डेटा है और पुराना भी। इनमें ग्रामीण इलाकों में गरीबी का प्रतिशत 25.70 है जबकि शहरी क्षेत्र में यह संख्या 13.70 प्रतिशत है। अब सबको देखना होगा कि आखिर कौन लोग हैं जो 21वीं सदी के भारत में भी गरीबी की रेखा से नीचे हैं। ये लोग सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक हर दृष्टिकोण से पिछड़े हुए हैं। 
प्रो. नंदन ने कहा कि किसी भी योजना को समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए जरूरी है कि हमें पूरी स्थिति का आंकलन सही पता हो। इसके लिए एक ही उपाय है और वो है जातीय जनगणना। इसलिए नीतीश कुमार की मांग को पूरे देश भर में लागू किया जाए, जिससे हम समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हर व्यक्ति को विकास का पूरा लाभ मिले।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में सभी जातियों को प्रतिनिधित्व दिया है। सबके शिक्षा की व्यवस्था से लेकर विधानमंडल में भी उचित सम्मान दिया है। अगर पूरे देश में नीतीश माॅडल को ही लागू किया जाएगा तभी समावेशी विकास होगा। जबकि आज विकास देश में कुछ लोगों तक ही सीमित रह गया है। विकास समावेशी होगा तो न कोई राष्ट्रविरोधी बनेगा और न ही धर्मांतरण जैसे कार्य होंगे। सिर्फ राम का नाम लेने से नहीं बल्कि पेट मे भोजन और विकास के दूसरे पैमानों पर आगे बढ़ने से देश बढ़ेगा।
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