झंडेवालान मंदिर में भक्तों ने मनाया नवरात्रि का पहला दिन, जयकारों से गूंज उठा दरबार
झंडेवालान मंदिर : दिल्ली के झंडेवालान माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि का पहला दिन धूमधाम से मनाया गया, जहाँ भक्तों की भारी भीड़ ने पारंपरिक आरती में भाग लिया। यह नौ दिवसीय उत्सव देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जो पूरे भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। नवरात्रि का यह पर्व देवी के विभिन्न रूपों का सम्मान करते हुए अनुष्ठान और प्रार्थनाओं का आयोजन करता है।
Highlight :
- दिल्ली के झंडेवालान माता मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़
- नवरात्रि का पहला दिन, जयकारों से गूंज उठा दरबार
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता को शुभकामनाएँ दीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देशवासियों को दीं शुभकामनाएँ
इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने नवरात्रि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "यह त्यौहार माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा का प्रतीक है और महिलाओं की शक्ति का सम्मान करता है।" उन्होंने कहा कि, नवरात्रि हमारी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दुर्गा पूजा समारोह का उद्घाटन करते हुए एकता और समावेशिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी धर्मों, जातियों और भाषाओं के सम्मान की बात करते हुए आशा व्यक्त की कि माँ दुर्गा सभी को स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करेंगी।
बता दें कि, दुर्गा पूजा विशेष रूप से भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में, नवरात्रि का प्रमुख हिस्सा है। यह पर्व महिषासुर नामक राक्षस पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। दक्षिणी राज्यों में यह त्यौहार देवी दुर्गा या काली की विजय का सम्मान करता है, जबकि गुजरात में नवरात्रि पारंपरिक गरबा नृत्य और आरती के साथ मनाई जाती है। पूरे भारत में, नवरात्रि उत्सव में नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। इस दौरान विभिन्न अनुष्ठान जैसे मंच सजावट, शास्त्रों का पाठ और धार्मिक संगीत का आयोजन किया जाता है। यह पर्व फसल के मौसम से भी जुड़ा है, जिसमें पंडाल प्रतियोगिताएँ, पारिवारिक दौरे और सांस्कृतिक नृत्यों का प्रदर्शन शामिल है।
नवरात्रि का अंतिम दिन विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन देवी दुर्गा की मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित किया जाता है या राक्षसों के पुतलों को जलाया जाता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है। यह त्यौहार आगामी दिवाली समारोहों के लिए भी मंच तैयार करता है, जो विजयादशमी के 20 दिन बाद मनाया जाता है। बता दें, शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी गहन प्रतिनिधित्व करता है, जो पूरे देश में भक्ति और समर्पण के साथ मनाया जाता है।
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