विमान यात्रियों को लेकर DGCA का बड़ा फैसला, जारी किए नए और सख्त नियम
खराब मौसम में उड़ान के लिए जरूरी एहतियात
DGCA ने खराब मौसम में उड़ानों को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें यात्रियों और क्रू की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। पायलटों को खराब मौसम में फ्लाइट डायवर्ट करने, रीरूट करने या लौटाने की अनुमति दी गई है। तूफानी बादलों से दूरी, यात्रियों को जानकारी देने और पायलटों को विशेष ट्रेनिंग देने पर जोर दिया गया है। ये नियम सभी ऑपरेटर्स पर अनिवार्य रूप से लागू होंगे।
नई दिल्ली। देश में हेलिकॉप्टर हादसों और वाणिज्यिक विमानों में तेज टर्बुलेंस की घटनाओं के मद्देनज़र, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने बड़ा फैसला लिया है। डीजीसीए ने खराब मौसम में उड़ानों के संचालन को लेकर नए और सख्त नियम जारी किए हैं। नियामक संस्था ने स्पष्ट किया है कि उड़ान का समय और शेड्यूल, यात्रियों और क्रू की सुरक्षा से ऊपर नहीं है।
ये निर्देश विशेष रूप से केदारनाथ में हुए हेलिकॉप्टर दुर्घटना और पिछले महीने श्रीनगर जा रही इंडिगो फ्लाइट में आए तेज टर्बुलेंस के बाद सामने आए हैं। DGCA ने सभी शेड्यूल्ड और नॉन-शेड्यूल्ड एयरलाइन ऑपरेटर्स के लिए नया सर्कुलर जारी किया है, जिसमें मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए विस्तृत गाइडलाइन्स दी गई हैं।
फ्लाइट क्रू को मौसम के प्रति सतर्क रहने का निर्देश
DGCA ने सर्कुलर में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब मौसम की स्थिति अधिक अनिश्चित और तेजी से बदलने वाली हो गई है। इसलिए सभी फ्लाइट क्रू को हर समय सतर्क रहना होगा। सर्कुलर में कहा गया है कि सेफ्टी टाइमलाइन से अधिक महत्वपूर्ण है।
पायलटों को अब यह अधिकार दिया गया है कि वे खराब मौसम की स्थिति में बिना किसी हिचकिचाहट के फ्लाइट को डायवर्ट, रीरूट या वापस लौटाने का तत्काल निर्णय ले सकते हैं। निर्णय लेने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर कप्तान (कैप्टन) पायलट की होगी।
खराब मौसम में उड़ान के लिए जरूरी एहतियात
– वे तूफानी बादलों से कम से कम 20 नॉटिकल मील की दूरी बनाए रखें।
– ऐसे बादलों के नीचे उड़ान से बचें क्योंकि इससे हवा के झोंके, बिजली गिरने और ओले पड़ने जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ता है।
– तेज हवाओं, विंड शीयर, बर्फ जमने, अचानक दृश्यता कम होने या अन्य मौसमीय संकटों की स्थिति में फ्लाइट का रूट तुरंत बदला जाए या उसे डायवर्ट किया जाए।
– बारिश या गीले रनवे पर रात के समय उड़ान भरते वक्त पायलटों को खास सतर्कता बरतनी होगी और इंस्ट्रूमेंट्स से लगातार पुष्टि करनी होगी।
यात्रियों और क्रू को समय पर दी जाए जानकारी
DGCA ने इस बार ‘आइस क्रिस्टल आइसिंग’ जैसी गंभीर मौसमीय स्थिति को भी गाइडलाइन्स में शामिल किया है। पायलटों को ऐसे मौसमी इलाकों में ऊपर-नीचे की बजाय बगल से रास्ता लेने की सलाह दी गई है। संचार (कम्युनिकेशन) को भी उड़ान सुरक्षा का अहम हिस्सा बताते हुए DGCA ने निर्देश दिया है कि पायलट खराब मौसम या टर्बुलेंस की स्थिति में यात्रियों को घोषणा (अनाउंसमेंट) के माध्यम से सूचित करें। केबिन क्रू को भी तुरंत जानकारी दें ताकि वे आवश्यक सावधानियाँ ले सकें। संबंधित एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को मौसम की स्थिति की जानकारी साझा करें। Windshear और Turbulence Reports को रूटीन में साझा करें।
पायलटों को विशेष ट्रेनिंग देने के निर्देश
DGCA ने एयरलाइन ऑपरेटर्स को कहा है कि वे अपने पायलटों को खराब मौसम में निर्णय लेने और जोखिम प्रबंधन से जुड़ी विशेष ट्रेनिंग दें। इसमें सिनेरियो-बेस्ड ट्रेनिंग को शामिल किया जाए, जिससे पायलट किसी भी आपात स्थिति का सामना आत्मविश्वास से कर सकें। यह कदम उड़ान सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है।
DGCA ने स्पष्ट किया है कि ये नियम सभी शेड्यूल्ड और नॉन-शेड्यूल्ड ऑपरेटरों के लिए लागू होंगे। इनका पालन विशेष रूप से प्री-मानसून, मानसून और खराब मौसम के समय अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। DGCA का कहना है कि यह कदम भारत में नागरिक उड्डयन को अधिक सुरक्षित, जिम्मेदार और यात्रियों के अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा और जरूरी बदलाव है।