टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

मराठी विवाद पर Dinesh Lal Yadav का तंज, "मैं मराठी नहीं बोलता, किसी में दम हो तो महाराष्ट्र से निकालों"

11:55 AM Jul 09, 2025 IST | Arpita Singh

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका एक जबरदस्त बयान, जो उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे ‘मराठी भाषा विवाद’ को लेकर दिया है। निरहुआ ने न सिर्फ मराठी भाषा को लेकर चल रही राजनीति पर खुलकर अपनी राय रखी, बल्कि चैलेंज देते हुए कहा कि – “मैं मराठी नहीं बोलता, किसी में दम है तो मुझे महाराष्ट्र से निकालकर दिखाए!”

Advertisement

अब ये बयान वायरल होगया है और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इसकी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं पूरा मामला, निरहुआ का बयान, इसकी वजह और प्रतिक्रिया क्या है।

क्या है मराठी विवाद?

हाल ही में महाराष्ट्र में एक दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम हुआ। 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, यानी शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता एक साथ नजर आए। पुराने गिले-शिकवे भुलाकर दोनों भाई एक मंच पर आए, जिसके बाद राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई। इस मिलन के बाद MNS  ने अपने पुराने एजेंडे को फिर से हवा दी – ‘मराठी को प्राथमिकता दो’। MNS  कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और हिंदी या दूसरी भाषा बोलने वालों को चेतावनी देने लगे।

एक ताज़ा मामला मीरा रोड इलाके का सामने आया, जहां एक रेस्टोरेंट मालिक पर हमला हुआ क्योंकि उसने मराठी में बात नहीं की। घटना का वीडियो वायरल हुआ और देशभर में इसकी आलोचना हुई। इस माहौल में अब भोजपुरी एक्टर और नेता निरहुआ की एंट्री हो गई है।

 

निरहुआ का चैलेंज – “मुझे महाराष्ट्र से निकाल कर दिखाओ!”

निरहुआ, जो खुद यूपी से सांसद हैं लेकिन फिल्मों और पब्लिक इवेंट्स के जरिए देशभर में मशहूर हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू बात करते हुए कहा “मैं मराठी नहीं बोलता। अगर किसी में दम है तो मुझे महाराष्ट्र से निकाल कर दिखाओ।” उन्होंने कहा कि यह गंदी राजनीति है, जो नफरत फैलाती है। भारत एक ऐसा देश है जहां सैकड़ों भाषाएं और संस्कृतियां एक साथ रहती हैं। हम सबकी यही खूबसूरती है कि अलग-अलग बोलियां और परंपराएं होते हुए भी हम एकजुट हैं।

“राजनीति जोड़ने के लिए होनी चाहिए, तोड़ने के लिए नहीं”

निरहुआ ने कहा कि वो खुद एक राजनेता हैं और राजनीति का मकसद लोगों के कल्याण के लिए होना चाहिए, ना कि उन्हें बांटने या डराने के लिए। उन्होंने कहा –“अगर कोई 5 भाषाएं सीखना चाहता है तो सीखे, लेकिन उसे एक भाषा बोलने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। राजनीति का काम है जोड़ना, ना कि तोड़ना।” उनका ये बयान उन लोगों को लेकर था जो मराठी भाषा की जबरदस्ती कर रहे हैं और हिंदी या अन्य भाषाएं बोलने पर आपत्ति जता रहे हैं।

 बयान के बाद सोशल मीडिया पर बवाल

निरहुआ का ये बयान सामने आते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। कोई उनके साहस की तारीफ कर रहा है, तो कोई इसे राजनीतिक स्टंट बता रहा है।

लोगों ने लिखा:

बॉलीवुड से भी मिली प्रतिक्रिया – रणवीर शौरी का ट्वीट

बॉलीवुड एक्टर रणवीर शौरी ने भी मीरा रोड हमले वाले वीडियो पर नाराजगी जताई। उन्होंने ट्वीट किया,“यह घिनौना है। राक्षस खुलेआम घूम रहे हैं, ध्यान और राजनीतिक प्रासंगिकता की तलाश में हैं। कानून और व्यवस्था कहां है?” इस बयान ने भी इस मामले को और ज्यादा चर्चा में ला दिया।

 भाषा को लेकर सियासत कब तक?

भारत जैसे विविधता भरे देश में भाषा हमेशा एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। तमिलनाडु, कर्नाटक, बंगाल और अब महाराष्ट्र – समय-समय पर अलग-अलग राज्यों में स्थानीय भाषा को लेकर सियासत होती रही है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या एक लोकतांत्रिक देश में किसी को सिर्फ भाषा के आधार पर धमकाया जा सकता है?

क्या कहता है संविधान?

भारतीय संविधान में कोई भी भाषा जबरदस्ती थोपी नहीं जा सकती। हर नागरिक को अपनी पसंद की भाषा में बोलने और रहने का अधिकार है। राज्य या केंद्र किसी भी नागरिक को किसी खास भाषा को अपनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।

Advertisement
Next Article