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नए भाजपाध्यक्ष को लेकर मंथन

भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर संघ ने किंचित दूरियां बना ली हैं, सूत्र बताते हैं कि नए अध्यक्ष को लेकर फैसला पूरी तरह भाजपा आलाकमान पर छोड़ दिया गया है

10:23 AM Oct 19, 2024 IST | Editorial

भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर संघ ने किंचित दूरियां बना ली हैं, सूत्र बताते हैं कि नए अध्यक्ष को लेकर फैसला पूरी तरह भाजपा आलाकमान पर छोड़ दिया गया है

नए भाजपाध्यक्ष को लेकर मंथन

‘तेरे अहसान तले डूबा था इस कदर कि तेरे कदमों पर अपना सर रख दिया है

जिधर देखूं तू ही तू है बस, मैंने अपने घर के हर आइने पर पत्थर रख दिया है’

भाजपा के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर संघ ने किंचित दूरियां बना ली हैं, सूत्र बताते हैं कि नए अध्यक्ष को लेकर फैसला पूरी तरह भाजपा आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। हरियाणा चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों के बाद भगवा पार्टी के हौसले भी सूरज के सातवें घोड़े पर सवार हैं, सो बदले परिदृश्य में संघ भी अपना स्टैंड बदलने को मजबूर हो गया है। सनद रहे कि पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2019 में अपना अध्यक्षीय कार्यभार संभाला था लेकिन अभी नए अध्यक्ष का फाइनल नहीं हुआ।

इस बाबत पार्टी ने अपने ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के.लक्ष्मण को मुख्य रिटर्निंग अधिकारी बनाया है, सो इस बात से कयास लगाए जा रहे हैं कि कम से कम पार्टी का नया अध्यक्ष ओबीसी नहीं होगा। पर भाजपा के लिए ऐसी भविष्यवाणियां बेसिर-पैर की हो सकती हैं क्योंकि अभी भी सबसे ज्यादा चर्चा ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिवराज सिंह चौहान के नाम की हो रही है। रेस में दूसरा सबसे बड़ा नाम केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का है, सूत्र बताते हैं कि अगर राजनाथ अध्यक्ष बने तो जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उनकी जगह देश के नए रक्षा मंत्री हो सकते हैं। नाम गजेंद्र सिंह चौहान और विनोद तावड़े का भी चल रहा है।

हिंदुत्व को लेकर संघ का बदलता स्टैंड

पीएम मोदी जहां ‘ब्रिक्स ​िशखर सम्मेलन’ में हिस्सा लेने के लिए रूस रवाना हो रहे हैं, ठीक इसी वक्त संघ प्रमुख मोहन भागवत हिंदुत्व को लेकर संघ के रटे-रटाए एजेंडे को छोड़ कर अब ‘सर्व धर्म समभाव’ की वकालत करते नज़र आ रहे हैं। अभी सूरत में भागवत ने जैन समुदाय के एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया, फिर उन्होंने जैन आचार्य महाश्रमण से मुलाकात की और उस दौरान कहा-भारत की संस्कृति है कि हम संकट के समय अपने दुश्मनों की भी मदद करते हैं। जिन्होंने हमारे साथ युद्ध किया, हमने उनका भी भला सोचा।’ इसके बाद भागवत 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान कुशीनगर में ‘बुद्धिज्म’ पर अपने विचार रखेंगे। आखिर जो संघ प्रमुख अब तक ‘हिंदू राष्ट्र’ और ‘हिंदुओं एक हो जाओ’ का राग अलापते रहे थे, आज अचानक वे शांति व क्षमा की बात करने लगे हैं। क्या संघ की इस नई सोच को चीन के ’रिलीजन डिप्लोमेसी’ के आइने में देखा जा सकता है? जो इन दिनों एशिया में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने के लिए बौद्ध धर्म को आगे कर रहा है, इस कड़ी में उसने बौद्ध धर्म व संस्कृत को लेकर विश्वविद्यालय की भी स्थापना की है। कहा जा रहा है कि संघ अमेरिका के बदलते रुख को देखते हुए चीन के प्रति किंचित उदारता दिखा रहा है। अगर कमला हैरिस नई अमेरिकी राष्ट्रपति बनती हैं तो संघ के प्रति उनका सख्त नजरिया सामने आ सकता है। संघ इस बदलते भौगोलिक राजनीतिक परिदृश्य में अपनी सार्थकता बनाए रखना चाहता है।

वायनाड में प्रियंका का रास्ता रोकने के लिए सीपीआई आगे आई

इस 13 नवंबर को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने जीवन का पहला चुनाव केरल के वायनाड से लड़ने जा रही हैं, यह सीट भी राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से खाली हुई है। वैसे भी वायनाड को कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, पर राज्य में सत्तासीन एलडीएफ गठबंधन प्रियंका को यहां से कोई ‘केक वॉक’ नहीं देना चाहता, सो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रियंका के सामने अपने एक लोकप्रिय किसान नेता सत्यन मोकेरी को चुनाव में उतारने का फैसला लिया है।

70 वर्षीय मोकेरी सीपीआई के सैक्रेटरी होने के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। छात्र राजनीति से आगे बढ़ने वाले मोकेरी कोझीकोड से तीन टर्म एमएलए भी रह चुके हैं, पर 2014 लोकसभा चुनाव वे कांग्रेस नेता व यहां के एमआई शानवास से मात्र 20 हजार वोटों से हार गए थे। सो, समझा जाता है कि मोकेरी को हराने के लिए प्रियंका गांधी को भी वायनाड में पूरा जोर लगाना पड़ सकता है।

कनाडा-भारत तकरार कब थमेगी?

पिछले दिनों गुजरात की साबरमती जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई कई वजह से सुर्खियों में रहा। एक तो एनसीपी नेता बाबा सिद्दिकी की सरेआम हत्या से उसके गैंग का नाम जुड़ा तो कनाडा ने भी सिख अलगाववादी नेता निज्जर की हत्या के मामले में गैंग का नाम लिया है। पहली नज़र में कनाडा के आरोप बेहद हास्यास्पद लगते हैं कि हमारे राजनयिक जेल में बंद गैंगस्टर की मदद लेकर विदेशी धरती पर ऐसे वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

कनाडा ने कथित तौर पर ये सूचनाएं इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड जैसे अपने ‘फाइव आईज’ देशों के साथ शेयर भी की हैं। कनाडा इतने पर भी नहीं रुका। उसने मोदी कैबिनेट के एक अहम मंत्री, हमारे राष्ट्रीय सलाहकार व रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी पर भी अंगुली उठाई है। सूचना तो यह भी है कि डोभाल के खिलाफ अमेरिका के एक स्थानीय कोर्ट में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है।

अब भारत-कनाडा के तल्ख होते संबंधों में एक और नई कड़ी जुड़ गई है, भारत ने भी कनाडा से ‘कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी’ यानी सीबीएसए के एक अधिकारी संदीप सिंह सिद्धू को भगोड़ा आतंकवादी घोषित कर उसकी गिरफ्तारी की मांग की है। साथ यह भी कहा है कि उसे भारत लाने दिया जाए। संदीप सिद्धू पर पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे के साथ संबंध रखने के आरोप हैं।

दूसरा केजरीवाल नहीं बनना चाहते उमर अब्दुल्ला

लोगों की आशा के विपरीत जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री का पद संभालते ही एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने केंद्रनीत भाजपा सरकार की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। उमर ने साफ किया है कि ‘वे केंद्रनीत मोदी सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ता बनाए रखने के पक्षधर हैं, वे केंद्र के साथ मिल कर काम करना चाहते हैं।’ कहते हैं उमर ने अपने नजदीकी लोगों से कहा है कि ‘उनका दूसरा केजरीवाल बनने का कोई इरादा नहीं है।’ वे चाहते हैं कि ‘केंद्र से बात कर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का पुनः दर्जा हासिल हो और राज्य के लिए आवंटित बजट भी केंद्र उन्हें आसानी से दे सके।’ पर भाजपा के इरादे कुछ और हैं, उमर के सीएम पद की शपथ लेते ही वहां के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने विधानसभा में 5 विधायकों के मनोनयन प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है, जिसका एनसी व कांग्रेस दोनों ही दल पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उप राज्यपाल के इस कदम को असंवैधानिक ठहरा रहे हैं। अब ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, जम्मू हाईकोर्ट को इस पर विचार करना है। अगर ये पांच मनोनीत विधायक वहां भाजपा के समर्थन में उतर आते हैं तो उमर का गेम कभी भी पलट सकता है।

…और अंत में

एक कांग्रेस पार्टी है जो अपनी चुनावी हार से भी कभी कुछ सबक सीखने का प्रयास नहीं करती। ताजा मामला कांग्रेस को हरियाणा में मिली उसकी अप्रत्याशित हार से जुड़ा है। जैसा कि सबको मालूम है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा की अप्रत्या​िशत हार की वजह जानने के लिए एक ‘फैक्ट फाईडिंग कमेटी’ के गठन की घोषणा की थी, पर पार्टी में व्याप्त गुटबाजी के चलते कमेटी के सदस्यों के नाम कभी सार्वजनिक नहीं किए गए।

कांग्रेस से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि इस तीन सदस्यीय ‘फैक्ट फाईडिंग कमेटी’ के दो अहम सदस्य छत्तीसगढ़ व राजस्थान से हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान से हरीश चौधरी को यह महत्ती जिम्मेदारी सौंपी गई है। तय हुआ था कि कमेटी के सदस्य हरियाणा का जिलेवार दौरा कर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के फीडबैक लेंगे जिससे हार के सही कारणों की पड़ताल हो सके। अब कमेटी के सदस्यगण बगैर फील्ड में गए उम्मीदवारों को फोन कर बस यही पूछ रहे हैं कि ‘क्या हम ईवीएम की वज़ह से हारे’।

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