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डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं

कहते हैं जब कोई बीमार हो या किसी पीड़ा से ग्रस्त हो तो पहले भगवान का नाम मुंह से निकलता है, फिर डॉक्टर में ही उसे भगवान दिखता है।

05:19 AM Oct 20, 2019 IST | Kiran Chopra

कहते हैं जब कोई बीमार हो या किसी पीड़ा से ग्रस्त हो तो पहले भगवान का नाम मुंह से निकलता है, फिर डॉक्टर में ही उसे भगवान दिखता है।

कहते हैं जब कोई बीमार हो या किसी पीड़ा से ग्रस्त हो तो पहले भगवान का नाम मुंह से निकलता है, फिर डॉक्टर में ही उसे भगवान दिखता है। अगर आपकी मुश्किल के समय एक अच्छा डॉक्टर मिल जाए और प्यार और मानवता की भावना से आपकी देखभाल करे तो उससे ज्यादा कुछ भी अच्छा नहीं। हमारे भारतीय डॉक्टर बहुत ही लायक हैं। यहां तक कि विदेशों में भी भारतीय डॉक्टरों का बोलबाला है। भारतीय डॉक्टर बहुत ही मेहनती और लायक होते हैं। 
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यही कारण है कि अमेरिका में बड़े-बड़े अस्पतालों में भारतीय डॉक्टरों का बोलबाला है, परन्तु अगर हमारे डॉक्टरों को सही रिस्पैक्ट, सही सुविधाएं और सही वेतन भारत में मिले तो शायद हमारा भारत अच्छे डॉक्टरों का विश्व में हब होगा। विदेशों से लोग भारत में इलाज करवाने आएंगे। अभी भी बहुत से अस्पताल विदेशियों से भरे हुए हैं, क्योंकि भारत में इलाज भी सस्ता है और डॉक्टर भी उपलब्ध होते हैं। बाहर अगर कोई परेशानी आ जाए तो डॉक्टर सिर्फ ई-मेल पर ही बात करते हैं। 
हमारे बहुत से लोग जो विदेशों में बसे हुए हैं वे भारत यानी अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं, चाहे वो बिजनेस आयकॉन हों या डॉक्टर हों या इंजीनियर हों या आम गांव से गया व्यक्ति, वहां के लोग हम भारतीयों से भी ज्यादा भारतीय हैं। जिनके रोम-रोम में भारतीय संस्कृति, देशभक्ति भरी हुई है। अक्सर वहां भारतीय महफिलों में ‘चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आई है’ गीत पर भारतीयों को रोते देखा। लंदन में तो मिनी पंजाब है। अमेरिका में 60 प्रतिशत भारतीयों के रेस्टोरेंट हैं। यानी हर जगह भारतीय छाये हुए हैं। अभी बहुत से ऐसे लोग हैं जो भारत को भी कुछ देना चाहते हैं। 
स्पै​शियली लंदन से एक तालीवाल जी हैं, जो भारत में आकर कैंसर मरीजों के लिए काम कर रहे हैं, जिनकी मैंने ​वीडियो सुनी है कि बेशक मंदिर, गुरुद्वारे में चढ़ावा न चढ़ाओ किसी की मदद कर दो। उसी तरह भारतीय मूल के गुजराती डॉक्टर किरण सी. पटेल भारत में प्राइवेट यूनिवर्सिटी खोलने जा रहे हैं। उनका मकसद साफ है कि देश में हजारों-लाखों गांव हैं, जहां सरकारी अस्पताल तो दूर महज डिस्पैंसरियां हैं या बिल्कुल ही नहीं हैं। दुखद पहलू यह है ​कि वहां कितने ही लोग बीमार हैं और शहरों में उपचार महंगा होने की वजह से उनका इलाज नहीं हो पा रहा। 
डॉक्टर पटेल ने कहा है कि वह गुजरात के बड़ौदा में 100 एकड़ जमीन खरीदने की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं और वह भारत के ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों को इतनी बड़ी संख्या में तैनात कर देना चाहते हैं कि किसी को कोई दिक्कत न हो और अपने देश में भी उनकी सर्विसिज का लाभ उठाने की परम्परा आरम्भ हो जाए ताकि कैंसर या अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को देश से बाहर न जाना पड़े। डॉक्टर पटेल का मानना है कि न सिर्फ उपचार में बल्कि हैल्थ सविर्सिज में भी भारत में बहुत सुधार की जरूरत है। उनके हौंसले बुलंद हैं। 
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसकी इजाजत दी या नहीं दी इसके ​लिए भी डॉक्टर पटेल एक वैकल्पिक मार्ग तलाश रहे हैं लेकिन उनका मानना है ​कि विदेशों में मेडिकल सर्विसिज आला दर्जे की है वैसी भारत में भी होनी चाहिए इसलिए वह अपनी यूनिवर्सिटी को ​विश्व स्तर की बनाने का संकल्प ले चुके हैं। उनकी पत्नी तनवी इस काम में उनका साथ दे रही हैं। उनका मानना है कि सरकार से नीतिगत मामलों में बातचीत के बाद उनकी यूनिवर्सिटी अस्तित्व में आ जाएगी ऐसी उम्मीद है। उनका मानना है कि अब पुराने तौर-तरीके खत्म करते हुए हमें उपचार की लेटेस्ट टैक्नोलाजी में उतरना होगा। 
वह फ्लोरिडा में कॉर्डियोलॉजी की प्रेक्टिस करते हैं और उनका मानना है कि आप मेडिकल क्षेत्र में अगर कमाई करते हैं तो दान बहुत जरूरी है। उनकी खुद की कम्पनी फ्लोरिडा में बिलियन डॉलर से ऊपर की है लेकिन वह मानवता को समर्पित है। अमरीका में सोशल मीडिया में चर्चा है कि नौवा साउदर्न यूनिवर्सिटी में डा. पटेल एक बहुत बड़ा दान देने जा रहे हैं। डा. पटेल ने कहा है कि इस यूनिवर्सिटी में ओसटियो पैथिक मेडिसीन विभाग डा. पटेल के नाम पर समर्पित है। हमारा मानना है कि इंसानियत के मामले में मेडिकल सेवाओं को ब्यूरोक्रेसी से सुविधा मिलनी चाहिए। यह बात डॉक्टर पटेल ने भी कही है। 
सच में मैं गांव घूमी हूं। बुरा हाल है। बहुत से गांवों में न कोई डॉक्टर, न कोई डिस्पैंसरी, न कोई नर्स, न कोई कम्पाउंडर। लोग तड़प कर मर जाते हैं, हर गांव में नहीं तो 2 गांवों या 5 गांवों के लिए एक छोटा अस्पताल, डॉक्टर होने चाहिएं। हर न्यू कमर डॉक्टर को 2 साल गांव में काम करना अनिवार्य होना चाहिए। उन डॉक्टरों की तन्खवाह ज्यादा हो जो गांवों में सेवा करें। अभी दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने फरिश्ता नाम की स्कीम शुरू की है, वह भी सराहनीय है, मोहल्ला क्लीनिक भी सराहनीय है। परन्तु बात तभी बनेगी जब देश का हर गांव मेडिकल सुविधाओं से भर पूर्ण होंगे, कोई गांव का निवासी इलाज की कमी से नहीं मरेगा, क्यों​कि असली भारत गांवों में ही बसता है।
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