ड्रीमलाइनर-डेथलाइनर
12 जून, 2025 का दिन भारत के इतिहास में काला गुरुवार के रूप में याद किया जाएगा…
12 जून, 2025 का दिन भारत के इतिहास में काला गुरुवार के रूप में याद किया जाएगा। दोपहर एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटना की खबर आते ही भयावह मंजर दिखाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर एक के बाद एक आने लगे थे। हादसे की जो तस्वीरें वायरल हुईं वो इतनी भयानक थीं जिसे देखकर इंसान की रूह भी कांप जाए। तभी देशवासियों को इस बात का अहसास हो चुका था कि बहुत बड़ी अनहोनी हो चुकी है। शाम तक जो दिखाई दिया वो बहुत भयानक था। सड़कों पर लाशें बिछी हुई थीं। केवल नरकंकाल ही बचे थे कि पहचान करना भी मुश्किल था। इसे कुदरत का क्रूर प्रहार कहा जाए, मानवीय चूक या फिर तकनीकी गड़बड़ी कुछ कहा नहीं जा सकता। जो चेहरे चंद मिनट पहले विमान में मुस्कुराते हुए चढ़े थे वे अब मलबे में तबदील हो चुके थे। विमान आग का गोला बनकर मेडिकल कॉलेज के होस्टल पर गिरा, तो काले धुएं का गुब्बार आसमान में फैल गया। चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था। हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, प्रतिभाशाली और बिजनेस टाइकून और हादसेे की चपेट में आए मेडिकल छात्रों समेत 265 लोगों की मौत हो गई। ब्रिटिश, पुर्तगाली और कनाडाई यात्रियों समेत इतने लोगों का मारा जाना स्तब्ध कर देने वाला है। हर पीड़ित परिवार की अपनी-अपनी दुःख भरी दास्तान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने घटनास्थल का दौरा किया। हादसे से हर कोई स्तब्ध है। दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने विमान यात्रा की सुरक्षा को लेकर गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ड्रीमलाइनर 787 को अपने आप में बहुत ही ताकतवर विमान माना जाता है। इसकी क्षमता एक ही बार में 14 घंटे उड़ान भरने की है। ड्रीमलाइनर डेथलाइनर कैसे बना इसको लेकर पहले ही चिंताएं चल रही थीं। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की सुरक्षा पर सवाल हाल के वर्षों में कई बार उठ चुके हैं। अप्रैल 2024 में बोइंग के इंजीनियर सैम सालेहपुर ने खुलासा किया कि 787 के फ्यूजलेज को जोड़ने की प्रक्रिया में खामियां हैं, जिसके कारण विमान का ढांचा समय से पहले कमजोर हो सकता है। सालेहपुर ने दावा किया कि प्रोडक्शन में “शॉर्टकट्स” किए गए, जिससे विमान के जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और कुछ समय बाद में “बड़े संकट” का कारण बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बोइंग ने उनकी चिंता को नजरअंदाज किया और उन्हें 787 प्रोजेक्ट से हटाकर 777 प्रोजेक्ट में भेज दिया। इसके बाद, अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) ने सालेहपुर के दावों की जांच शुरू की। मई 2024 में एफएए ने पाया कि बोइंग के दक्षिण कैरोलिना प्लांट में कर्मचारियों ने विंग-टू-फ्यूजलेज जोड़ों की जांच को छोड़ दिया था और रिकॉर्ड में इसे पूरा दिखाया। इस “गलत बर्ताव” को बोइंग ने स्वीकार भी किया लेकिन दावा किया कि यह तत्काल उड़ान सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है। एफएए ने बोइंग को बाकी बचे सभी 787 विमानों की दोबारा जांच करने और पहले से सेवा में मौजूद विमानों के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का इतिहास विवादों से भरा रहा है। 2013 में बैटरी की समस्याओं, फ्यूल रिसाव और ब्रेक से संबंधित तकनीकी खामियों के कारण कई देशों ने इस विमान को अस्थायी रूप से ग्राउंड किया था। 2021 में एफएए ने उत्पादन में खामियों की वजह से 787 की डिलीवरी को 2022 तक रोक दिया था। हाल ही में, मार्च 2024 में लैटम एयरलाइंस के एक 787 विमान में अचानक गोता लगाने की घटना ने 50 से अधिक यात्रियों को घायल कर दिया, जिसके कारण एफएए ने पायलट सीटों की जांच के लिए आदेश जारी किए। बोइंग के अन्य विमान भी सुरक्षा को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं। वर्ष 2018 में लॉयन एयर फ्लाइट 610 और 2019 में इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302 के हादसे, जिनमें कुल 346 लोगों की जान गई थी, के बाद से बोइंग की निर्माण प्रक्रिया कठघरे में रही है।
जनवरी, 2024 में उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक बोइंग 737 िवमान का आपातकालीन दरवाजा ही उड़ गया था, िजसके बाद विमानों को ग्राउंड कर दिया गया था। बोइंग कम्पनी करीब तीन दर्जन ऑडिट में विफल रही है और अमेरिकी न्याय िवभाग ने आपराधिक जांच शुरू की थी। हैरानी की बात यह है िक ड्रीमलाइनर में खामियों को उजागर करने वाले सैम सालेहपुर ने रहस्यमय तरीके से आत्महत्या कर ली थी। ऐसा भी नहीं है कि विमान के मुख्य पायलट कैप्टन सुमित सब्बरवाल आैर सह पायलट क्लाइव कुंदर अनुभवी नहीं थे। उड़ान भरते ही कैप्टन ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को मेडे काॅल की थी। मेडे काॅल तब कहा जाता है जब कोई विमान पूरी तरह खतरे में होता है। यह कॉल अत्यंत तनाव या खतरे में की जाती है। भारत में पहले भी कई विमान हादसे हो चुके हैं लेकिन विमान यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिएं उनको लेकर संदेह उत्पन्न होता है। एयर इंिडया को लेकर पहले ही यात्रियों को कई तरह की िशकायतें रही हैं। यह भी कहा जाता है कि एयर इंडिया के विमान काफी पुराने हो चुके हैं, जिनमें तकनीकी समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। टाटा ने 27 जनवरी, 2022 को एयर इंिडया का अधिग्रहण किया था, तब से अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। कभी िवमानों का हाइड्रोलिक सिस्टम ठप्प हो जाता है, कभी यात्री एयर कंडीशन बंद रहने की शिकायतें करते हैं। अनेक विशेषज्ञ पुराने विमानों को हटाने की सलाह देते हैं। विमान दुर्घटना किन कारणों से हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इसका पता तो जांच से चलेगा लेकिन नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और एयर इंडिया को गम्भीरता से जांच कर िजम्मेदारी तय करनी होगी। इस राष्ट्रीय त्रासदी के लिए बोइंग कम्पनी को भी कठघरे में खड़ा करना होगा। िवमान यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता नहीं हो सकता। अगर सुरक्षा को नजरअंदाज किया गया तो याित्रयों का भरोसा ही उठ जाएगा।