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आज दशहरा, जानें देशभर में क्या रहेगा पूजा और रावण दहन का शुभ मुहूर्त

08:37 AM Oct 02, 2025 IST | Shivangi Shandilya
आज दशहरा  जानें देशभर में क्या रहेगा पूजा और रावण दहन का शुभ मुहूर्त
Dussehra 2025 Muhurat
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Dussehra 2025 Muhurat: आज, 2 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। जैसे ही दशहरे की बात होती है, भगवान श्रीराम और रावण के युद्ध की याद स्वतः आ जाती है। रामायण की कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था, और तभी से विजयादशमी का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन रावण के पुतले दहन किए जाते हैं, जो हमें यह संदेश देते हैं कि चाहे बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, उसका अंत निश्चित होता है।

Dussehra 2025 Date and Auspicious Time: दशहरा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

Dussehra 2025 Muhurat
Dussehra 2025 Muhurat

दशमी तिथि का प्रारंभ:
1 अक्टूबर 2025, शाम 7:01 बजे दशमी तिथि का समापन:
2 अक्टूबर 2025, शाम 7:10 बजे

Dussehra 2025:  अस्त्र-शस्त्र पूजन मुहूर्त

समय: 2 अक्टूबर दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक
कुल अवधि: 2 घंटे 22 मिनट

पूजन मुहूर्त

समय: 2 अक्टूबर दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक
कुल अवधि: 47 मिनट

Dussehra News: वाहन खरीदने का शुभ समय

समय: सुबह 10:41 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक

Dussehra 2025 Ravan Dahan Muhurat: रावण दहन मुहूर्त (प्रदोष काल)

सूर्यास्त: शाम 6:05 बजे
रावण दहन: सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाएगा

दशहरा पूजन विधि

1. सुबह स्नान कर शुद्ध होकर पूजा स्थल की तैयारी करें।
2. गेहूं या चूने से दशहरा की प्रतिमा बनाएं।
3. गाय के गोबर से 9 गोले बनाकर उन पर जौ और दही लगाएं।
4. भगवान राम की झांकी पर जौ चढ़ाएं, और कुछ लोग इन्हें कान पर भी रखते है।
5. गोबर से दो कटोरियां बनाएं—एक में सिक्के रखें
दूसरी में रोली, चावल, फल, फूल और जौ भरें
6. प्रतिमा पर केला, मूली, ग्वारफली, गुड़ और चावल चढ़ाएं।
7.धूप-दीप जलाए और बहीखातों की पूजा करें।
8. पूजा के बाद ब्राह्मणों को दान दें
9.रावण दहन के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।

Importance of Dussehra: दशहरा का महत्व

दशहरा न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत खास है। यह पर्व धैर्य, साहस, और धर्म की रक्षा का संदेश देता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है-कहीं रामलीला होती है, तो कहीं दुर्गा पूजा का समापन इसी दिन होता है। यह त्योहार सांस्कृतिक एकता, सामाजिक सद्भाव और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है।

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Shivangi Shandilya

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